इनेलो व भाजपा के बीच बढ़ी रही खींचतान, बराला व अरोड़ा ने एक-दूसरे को घेरा
हरियाणा में इनेलो व बसपा के बीच राजनीतिक गठजोड़ के बाद इनेलो व भाजपा नेताओं में खींचतान बढ़ गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में इनेलो व बसपा के बीच राजनीतिक गठजोड़ के बाद इनेलो व भाजपा नेताओं में खींचतान बढ़ गई है। गठबंधन के बाद इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा के ताजा बयान को लेकर फिलहाल विवाद है। इनेलो व बसपा के गठबंधन पर अंगुली उठा रहे नेताओं को आइना दिखाते हुए अरोड़ा ने कहा था कि जब हाथी मस्ती में चलता है तो कुत्ते भौंकते हैैं। इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक सुभाष बराला की तीखी टिप्पणी सामने आई है।
सुभाष बराला ने अरोड़ा की टिप्पणी को इनेलो के चरित्र के अनुरूप अहंकार से परिपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि अपनी इसी मानसिकता की बदौलत इनेलो को जनता ने 15 साल से सत्ता से बाहर बैठा रखा है। जब-जब इनेलो सत्ता में रही, तब-तब उसने दलितों के हित की अनदेखी की और उन पर कुठाराघात किए।
सुभाष बराला यहीं नहीं रूके। उन्होंने कहा कि इनेलो नेताओं की भद्दी जुबान और सोच की वजह से जनता उन्हें पसंद नहीं करती। गांवों में उनके कार्यकर्ता न केवल दलित बस्तियों में भय का माहौल बनाते थे, बल्कि विकास में बाधा पैदा करते थे। वर्ष 1990 में ओमप्रकाश चौटाला के इशारे पर मंडल आयोग के खिलाफ सैकड़ों बसों को आग के हवाले किया गया था। इन सिफारिशों का लाभ पिछड़ा वर्ग को मिलता।
सुभाष बराला ने कहा कि वर्ष 1982 में तत्कालीन राज्यपाल जीडी तपासे के मुंह पर कालिख पोतने वाले समर्थक को इनेलो ने सार्वजनिक तौर पर सम्मानित किया। वर्ष 1987 में आम चुनाव में डा. कृपाराम पूनिया के बहाने सत्ता की हिस्सेदारी करने वाले चौटाला परिवार ने उन्हें चीन में अपमानित कराया। ऐसे तमाम उदाहरण हैैं, जिनकी वजह से इनेलो का अहंकार झलकता है।
इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने सुभाष बराला के बयानों को बौखलाहट का नतीजा बताया है। उन्होंने कहा कि हाथी के मस्त चलने और कुत्तों के भौंकने की पुरानी कहावत है। इसमें गलत कुछ भी नहीं है। अरोड़ा ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समूचे विपक्ष को कुत्ते, बिल्ली, जानवर बोलें और मुख्यमंत्री मनोहर लाल इनेलो को सड़क छाप पार्टी बताए, तब कुछ नहीं। हमने कहावत बोलकर आइना दिखाया तो भाजपा वालों के पेट में दर्द हो गया। उन्होंने कहा कि सुभाष बराला की बौखलाहट से स्पष्ट हो गया कि भाजपा अब कभी सत्ता के करीब भी नहीं पहुंचेगी।
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