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डीजल जनरेटरों पर प्रतिबंध ने बिगाड़ी हरियाणा में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार

डीजल जनरेटरों पर ईपीसीए के प्रतिबंध का असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ रहा है। पिछले दो दिन में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार लगातार कम हुई है। उद्यमियों का कहना है कि डीजल जनरेटर के बिना तो उद्योग बंद हो जाएंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 10:19 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 10:19 AM (IST)
डीजल जनरेटरों पर प्रतिबंध ने बिगाड़ी हरियाणा में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार
डीजल जनरेटरों पर प्रतिबंध ने बिगाड़ी औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, नई दिल्ली/चंडीगढ़। हरियाणा में डीजल जनरेटरों पर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के प्रतिबंध का असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ रहा है। पिछले दो दिन में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार लगातार कम हुई है। औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि बता रहे हैं कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति देने का वादा व्यवहार में नहीं है।

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दवा से लेकर आटो इंडस्ट्री तक में लगातार 24 घंटे पालियाें (शिफ्टों) में काम होता है। इसका कारण है कि दवा निर्माता कंपनियां एक मिनट के लिए भी निर्माण प्रक्रिया नहीं रोक सकते। निर्माण प्रक्रिया को बीच में रोकते ही दवा निष्प्रभावी हो जाती हैं। ऐसे ही आटो इंडस्ट्री में जब किसी वाहन के कलपुर्जे या वाहन की बाडी पर पेंट किया जाता है तो बीच में रुकने का मतलब है कि दोबारा पेंट करने से इसके रंग में मामूली अंतर आ जाएगा, इसलिए औद्योगिक संगठन चाहते हैं कि जिन कंपनियों ने डीजल जनरेटर पर प्रदूषण नियंत्रक उपकरण लगाए हुए हैं, वहां प्रतिबंध से छूट मिलनी चाहिए। इसके अलावा जिन कंपनियों में निर्माण की प्रक्रिया नियमित चलती है, उनके लिए भी प्रतिबंध में छूट मिलनी चाहिए।

यह अव्यवहारिक कानून

एफआइए के वरिष्ठ उपप्रधान शम्मी कपूर का कहना है कि डीजल जनरेटरों पर प्रतिबंध एकदम अव्यवहारिक कानून है। सड़क पर चल रहे डीजल वाहनों पर इससे पहले प्रतिबंध लगना चाहिए था। लाकडाउन के बाद जो उद्योग बड़ी मुश्किल से अपने उत्पादन को पटरी पर ला रहे थे, उनके लिए ईपीसीए के आदेश ने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। उत्पादन पर इस प्रतिबंध का असर अभी 20 फीसद है तो आगे शतप्रतिशत हो जाएगा।

डीजल जनरेटर के बिना तो उद्योग बंद हो जाएंगे

उद्यमी राजीव चावला का कहना है कि कोई भी उद्यमी प्रदूषण नहीं फैलाना चाहता। कई उद्यमियों ने तो प्रदूषण नियंत्रण के लिए करोड़ों के उपकरण लगाए हुए हैं। उनकी कंपनियों में भी यदि डीजल जनरेटर नहीं चलेंगे तो यह गलत होगा। हमने सरकार खासतौर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से आग्रह किया है कि वे ईपीसीए में उद्यमियों का पक्ष रखें। डीजल जनरेटर के बिना तो उद्योग बंद हो जाएंगे।


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