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बबीता फौगाट ट्विटर पर दे रही विरोधियों को पटखनी, पढ़ें... हरियाणा से जुड़ी और भी रोचक खबरें

राजनीति में ऐसा बहुत कुछ होता है जो कई बार सुर्खियों में नहीं आ पाता। ताऊ की बेबसाइट कॉलम के जरिये नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही रोचक खबरों पर...

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 09:43 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 09:43 AM (IST)
बबीता फौगाट ट्विटर पर दे रही विरोधियों को पटखनी, पढ़ें... हरियाणा से जुड़ी और भी रोचक खबरें
बबीता फौगाट ट्विटर पर दे रही विरोधियों को पटखनी, पढ़ें... हरियाणा से जुड़ी और भी रोचक खबरें

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। चरखी दादरी से भाजपा के टिकट पर चुनाव लडनेे वाली अंतरराष्ट्रीय पहलवान बबीता फौगाट भले ही स्थानीय समीकरणों के कारण चुनाव हार गईं, लेकिन पार्टी के योद्धा के रूप में सदैव अग्रिम मोर्चे पर रहती हैं। वह फील्ड में भी सक्रिय रहती हैं और ट्विटर पर भी। ट्विटर पर चलने वाली लंबी से लंबी बहस में शामिल होती हैं और वैचारिक विरोधियों को करारा जवाब देती हैं।

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बबीता को ट्विटर पर राष्ट्रवादियों का बेइंतेहा सपोर्ट भी मिलता है। जमातियों पर ट्वीट कर बबीता खूब चर्चाओं में रहीं। उनके निशाने पर कांग्रेसी अधिक होते हैं और वह कांग्रेसियों की हर बात की काट रखती हैं। फिलहाल तो उनका चर्चित ट्वीट फिल्म अभिनेता सुशांत राजपूत को लेकर है, जिसमें उन्होंने बॉलीवुुड के गैंग पर सवाल उठाते हुए फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत की बात का समर्थन किया है। ट्विटर लोग बबीता को भारत की शेरनी बताते हैं तो कुछ हरियाणे की दबंग छोरी।

..और मिल रही तारीख पर तारीख

फिल्म दामिनी का वह डायलॉग तो आपको याद होगा ही, जिसमें नायक कोर्ट रूम में चिल्लाता है तारीख पर तारीख.. तारीख पर तारीख मिलती रही है, लेकिन इंसाफ नहीं मिला माई लॉर्ड। मिली है तो सिर्फ ये तारीख। कुछ इसी तर्ज पर आजकल ऑनलाइन सुनवाई में तकनीकी अड़चनों के कारण अधिकतर मामलों में अगली तारीख पड़ रही है। महामारी के दौर में हाई कोर्ट सहित जिला अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये केस लग रहे हैं। कभी तकनीकी दिक्कतें तो कभी नेट की स्पीड कम या फिर सर्वर डाउन होना, कई केसों पर भारी पड़ जाता है। विशेषकर हाई कोर्ट सीमित संख्या में केस सुन रहा है। जैसे-तैसे केस लिस्ट होता है, लेकिन कई बार केवल इस आधार पर सुनवाई टल जाती है कि वकील की आवाज नहीं सुनाई देती। इससे फरियादी दुखी हैं। कह रहे कि हैं कोर्ट में तो कम से कम इंटरनेट तेज स्पीड वाला होना चाहिए। 

छोटे हुड्डा ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ा बरौदा चुनाव

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने सोनीपत जिले की बरौदा सीट पर होने वाले उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। दीपेंद्र ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को खुली चुनौती देते हुए यहां तक कह दिया कि जिस तरह जींद उपचुनाव के नतीजों ने राजनीतिक दिशा का संकेत दिया था, ठीक उसी तरह बरौदा के नतीजे प्रदेश की नई राजनीतिक दिशा तय करेंगे। दीपेंद्र हुड्डा कांग्रेस के ऐसे नेता हैं, जो हाल ही में राजस्थान गए थे और वहां होने वाले राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी बिसात बिछाकर आए हैं। बरौदा सीट दीपेंद्र के साथ-साथ उनके पिता भूपेंद्र हुड्डा की प्रतिष्ठा से भी जुड़ी है, लेकिन यहां का चुनाव दीपेंद्र ही संभालेंगे। चर्चा यह भी कि हुड्डा परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जा सकता है, लेकिन दीपेंद्र हुड्डा ने केवल जीतने वाले उम्मीदवार पर ही दांव खेलने की बात कही है।

बरकरार है 85 साल के बड़े चौटाला का जादू

85 साल के इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला की आवाज में अभी भी गजब का जादू है। इतनी उम्र होने के बावजूद उन्हेंं कार्यकर्ताओं के नाम याद हैं। चौटाला को मौजूदा राजनीतिक माहौल में भी उम्मीद है कि इनेलो फिर से खड़ा होगा। अपनी इस बात को वजनदार बनाने के लिए चौटाला दलील देते हैं कि हमारे पास संगठन है। उनके पास क्या है? उनके मतलब जो छोड़कर चले गए, यानी पोते दुष्यंत चौटाला। दादा यहीं नहीं रुके। कहते हैं कि बहुत से लोग अब आना चाहते हैं। जिस उम्मीद में वे हमें छोड़कर गए थे, वह पूरी नहीं हो रही। बड़ा दिल करके पार्टी में जो भी वापस लौटेगा, उसे सम्मान के साथ ले लिया जाएगा। चौटाला अपनी बात कहते हुए जो भी पर खास जोर देते हैं। अब देखने वाली बात है कि चौटाला का अनुभव कितना सही निकलता है, लेकिन बुजुर्गवार के जज्बे की दाद तो देनी पड़ेगी।


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