तंवर का हुड्डा पर तंज, कहा- साइकिल का हैंडल मेरे हाथ में रहेगा, पीछे जो चाहे बैठे
हरियाणा कांग्रेस में नेताओं की खींचतान थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस की हैंंडिल मेरे हाथ में ही रहेगी, जो चाहे पीछे बैठ जाए।
जेएनएन, पंचकूला। हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी खत्म होने की बजाय बढ़ती जा रही है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर द्वारा आयोजित मंथन शिविर में हरियाणा कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा और शिविर का शुभारंभ पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल ने किया। इस मौक पर तंवर ने इशारों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर तंज कसा। तंवर ने कहा, प्रदेश में कांग्रेस का हैंडल मेरे हाथों में ही रहेगा, अगर कोई मेरी साइकिल के पीछे आकर बैठना चाहता है तो उसका स्वागत है।
इस शिविर में तंवर समर्थकों की ही उपस्थिति रही, जबकि पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा के समर्थकों ने दूरी बनाए रखी। होर्डिंग, बैनरों पर विधायक दल की नेता किरण चौधरी और पूर्व सांसद नवीन जिंदल के फोटो तो लगे थे, लेकिन वह भी मंथन करने नहीं पहुंचे।
हरियाणा कांग्रेस को और अधिक मजबूत करने के लिए पंचकूला में दो दिवसीय 'मंथन शिविर' का आयोजन किया गया। इसमें राज्य के उत्तर-पूर्व के सात जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। डॉ. अशोक तंवर ने पार्टी कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पिछले चार साल से लोगों से फीडबैक मिल रहा है और इन मंथन शिविरों में भी पार्टी नेताओं से सुझाव मांगे जा रहे हैं ताकि पार्टी स्तर पर उन्हें यथाशीघ्र क्रियांवित किया जा सके। यह दूसरा शिविर है और तीसरा मंथन शिविर हिसार में 7 व 8 फरवरी को होगा।
उन्होंने कहा कि इन शिविरों के बाद रोहतक में 12 फरवरी को विशाल मंथन सभा का आयोजन किया जाएगा। कांग्रेस की गुटबाजी पर प्रतिक्रिया तंवर ने कहा कि सभी नेता अपने कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। हमने सभी को मैसेज दिया था, जो आए हैं, उनका स्वागत है। दीपेंद्र हुड्डा के बयान पर तंवर ने कहा कि हाइकमान सही समय पर सही फैसला ही करती है और मुझे प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भी सही समय का सही फैसला है।
तंवर से जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रथ यात्रा में शामिल होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं साइकिल रैली कर रहा हूं, इस साइकिल रैली में कोई भी आ सकता है, मेरे पीछे बैठ सकता है, लेकिन साइकिल का हैंडल तो मेरे ही हाथ में रहेगा।