हरियाणा के IAS खेमका केंद्र में सेवाएं देने को कैट से भिड़े, हाईकोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस
हरियाणा के सीनियर आइएएस अफसर केंद्र की सेवा में जाने का इच्छुक बताए जाते हैं। इसके लिए वह कैट से भिड़ गए हैं और उसके खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे हैं। हाई कोर्ट ने केंद्र को नोटिस दिया
चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। केंद्र में सेवाएं देने को लालायित हरियाणा कैडर के सीनियर आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका कैट से भिड़ गए हैं। कैट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। अशोक खेमका की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस राजन गुप्ता व जस्टिस कर्मजीत सिंह पर आधारित बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
कैट ने खेमका की केंद्र में अतिरिक्त सचिव बनाने की मांग कर दी थी खारिज
खेमका ने अपनी याचिका में कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) चंडीगढ़ बेंच के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत केंद्र में अतिरिक्त सचिव बनाने की उनकी मांग को कैट ने खारिज कर दिया था। खेमका ने कहा कि उन्हें केंद्र में सेवाएं देनी हैं। ऐसे में उन्हें केंद्र में अतिरिक्त सचिव या समकक्ष पद पर नियुक्ति दी जाए। उन्होंने कई बार केंद्र में अतिरिक्त सचिव बनाए जाने के लिए आवेदन किया लेकिन बार-बार उनका आवेदन रद कर दिया गया।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर मांगा जवाब
खेमका ने तीन अन्य ऐसे अफसरों के नाम दिए, जिन्होंने आवेदन भी नहीं किया था, फिर भी उन्हेंं केंद्र में अतिरिक्त सचिव बना दिया गया। कैट ने खेमका की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र का कैडर एक्स कैडर है। यहां पर नियुक्ति के लिए कोई दावा नहीं कर सकता है। यह अक्सर देखा जाता है कि केंद्र की इंपेनलमेंट (संबद्धता) के लिए आवेदन किया जाता है, लेकिन दावा करने के स्थान पर याचिकाकर्ता को इसके लिए अपनी सेवाओं के स्तर पर और अधिक बेहतर कार्य करना चाहिए।
एक्स कैडर में नियुक्ति के लिए न्यूनतम तीन वर्ष का डिप्टी सेक्रेटरी पद का अनुभव अनिवार्य है। कैट द्वारा याचिका खारिज किए जाने को अशोक खेमका ने गलत करार देते हुए हाई कोर्ट से कैट के आदेश को रद करने की अपील की है।
हर सरकार से टकराते रहे हैं अशोक खेमका
आइएएस अधिकारी अशोक खेमका देश भर में चर्चित हैं। सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा को गुरुग्र्राम में जमीन आवंटित करने के पिछली हुड्डा सरकार के फैसले पर अंगुली उठाने के बाद खेमका पूरे देश में चर्चा में रहे थे। भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया था, जिसका उसे चुनाव में फायदा भी मिला। गृह मंत्री अनिल विज अभी भी उनकी हिमायत करते हैं, लेकिन कई मौके ऐसे आए, जब खेमका केंद्र की मोदी व हरियाणा की मनोहर सरकार के विभिन्न निर्णयों पर सवाल उठाने से भी नहीं चूके।
केंद्रीय सेवा में जाने के लिए पहले भी तीन बार प्रयास कर चुके खेमका
पिछली हुड्डा सरकार में एक समय ऐसा था, जब सरकार चाहती थी कि खेमका किसी तरह हरियाणा छोड़कर केंद्र में चले जाएं। बाद में जब भाजपा सरकार आई तो लगने लगा था कि उनके अच्छे कार्यों को आधार बनाकर खेमका को केंद्र में भेज दिया जाएगा। लेकिन, जब खेमका बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के सरकार के ही फैसलों पर अंगुली उठाने लगे तो केंद्र को लगा कि खेमका को केंद्र में बुलाने का निर्णय ठीक वैसा ही होगा, जैसा संजीव चतुर्वेदी के मामले में हुआ है।
केंद्र में जाने के लिए खेमका ने इससे पहले तीन बार प्रयास किया था। एक बार उनका केंद्र में जाना तय भी हो गया था, लेकिन हरियाणा सरकार की एक चार्जशीट के चलते मामला अटक गया था। हालांकि यह चार्जशीट अब खत्म हो चुकी है।