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मानेसर भूमि घोटाला में बिल्‍डर अतुल बंसल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, कोर्ट में पेश हुए हुड्डा

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हु्ड्डा मानेसर भूमि घोटाला मामले में पंचकूला की अदालत में पेश हुए। अदालत ने पेश न होने पर बिल्‍डर अतुल बंसल के खिलाफ गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 02:19 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 10:58 PM (IST)
मानेसर भूमि घोटाला में बिल्‍डर अतुल बंसल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, कोर्ट में पेश हुए हुड्डा
मानेसर भूमि घोटाला में बिल्‍डर अतुल बंसल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, कोर्ट में पेश हुए हुड्डा

पंचकूला, जेएनएन। हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मंगलवार को मानेसर भूमि घोटाला मामले में यहां अदालत में पेश हुए। हुड़्डा के साथ ही अन्‍य आरोपित भी अदालत में पेश हुए। अदालत ने बिल्‍डर अतुल बंसल के पेश नहीं होने पर उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर लिया। अदालत में इस मामले पर अगली सुनवाई अब 6 फरवरी को होगी।

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पंचकूला की अदालत में आज सुबह मानेसर भूमि घोटाले में सुनवाई थी। इसके लिए हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित अन्‍य आरो‍पित पहुंचे, लेकिन बिल्‍डर अतुल बंसल नहीं आए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्‍य आरोपित कोर्ट में पेश हुए, लेकिन बिल्‍डर अतुल बंसल के नहीं पहुंचने पर सुनवाई नहीं हो सकी। अतुल बंसल के अदालत में पेश नहीं होने पर अदालत ने भारी नाराजगी जताई और उसकी गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। अदालत ने अतुल बंसल के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया।

इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 6 फरवरी तक क‍े लिए स्‍थगित कर दी। अदालत में पेश होने के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा आैर अन्‍य आरोपित अदालत परिसर से चले गए। अदालत पहुंचने पर हुड्डा के साथ उनके वकील और कई कांग्रेस नेता भी थे।

बता दें कि मानेसर भूमि घोटाला की सुनवाई पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में हो रही है। इस संबंध में सीबीआइ ने मामला दर्ज किया था कि 27 अगस्त 2004 से 27 अगस्त 2007 के बीच निजी बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के अज्ञात जनसेवकों के साथ मिलीभगत कर गुड़गांव जिले में मानसेर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों के किसानों और भूस्वामियों को सरकार द्वारा अधिग्रहण का भय दिखाकर उनकी करीब 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम पर खरीद ली थी।

सितंबर 2015 को भाजपा सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी। इस मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस दर्ज किया था। ईडी ने हुड्डा और अन्य के खिलाफ सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया था।

यूं चला पूरा प्रकरण

कांग्रेस की तत्कालीन हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचने का आरोप है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल के दौरान मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में करीब 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमा दिए गए थे। आरोप है कि इसके बाद हरियाणा सरकार से पहले कुछ निजी बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण की धमकी देकर उनकी जमीन औने-पौने दाम में खरीदनी शुरू कर दी।

आरोप है कि यह पूरा घटनाक्रम तत्कालीन सरकार के संरक्षण में चल रहा था। इसी दौरान उद्योग निदेशक ने सरकारी नियमों की अवहेलना करते हुए बिल्डर द्वारा खरीदी गई जमीन को अधिग्रहण प्रक्रिया से मुक्‍त कर दिया। आरोप है कि निजी बिल्डरों ने तत्कालीन सरकार तथा संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर करीब 400 एकड़ जमीन को खरीदा था। अधिसूचना रद करने से नाखुश किसान सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। जिसके बाद मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे।


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