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हरियाणा में कालोनियों में मिलेंगी तमाम बुनियादी सुविधाएं, गरीबों को प्लाट देने में बंद होगी खानापूर्ति

हरियाणा में गरीबों को दिए जाने वाले प्लाटों को काटने से पहले बिजली-पानी पक्की गली और नाली का बंदोबस्त किया जाएगा। जिन गांवों जमीन नहीं है वहां वहां पंचायती जमीन को निजी भूमि से बदलकर या फिर भूमि अधिग्रहण कर भूखंड दिए जाएंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 11:07 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 11:07 AM (IST)
हरियाणा में कालोनियों में मिलेंगी तमाम बुनियादी सुविधाएं, गरीबों को प्लाट देने में बंद होगी खानापूर्ति
हरियाणा में कालोनियों में मिलेंगी बुनियादी सुविधाएं। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। हरियाणा में गांवों में अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों को 100 गज के प्लाट देने के नाम पर की जाने वाली खानापूर्ति अब बंद होगी। बस्ती (कालोनी) में पहले बिजली-पानी, पक्की गलियों और नालियों सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी और फिर प्लाट दिए जाएंगे।

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महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत हरियाणा में अभी तक करीब 3.75 लाख परिवारों को 100-100 गज के मुफ्त प्लाट दिए गए हैं। योजना के तहत पहले गांवों के बाहरी हिस्सों में घर बनाने के लिए ऐसी जमीन दी जाती रही है जहां सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं होता। कहीं तालाबों के साथ लगती जमीन तो कहीं ऐसी शामलाती जमीन गरीब परिवारों को दो दी गई जिनमें मिट्टी का भराव कराने में ही लाखों रुपये का खर्च बैठ गया। जैसे-तैसे मकान बन भी गया तो दूसरी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाईं। नतीजतन, बड़ी संख्या में लोग प्लाट मिलने के बावजूद इन पर निर्माण नहीं करा पाए और योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका।

जिन गांवों में शामलाती भूमि उपलब्ध है, वहां पात्र परिवारों को प्लाट उपलब्ध कराने की प्रक्रिया नए सिरे से शुरू की गई है। जिन गांवों में गरीबों को प्लाट देने के लिए उचित जगह नहीं है, वहां पर पंचायतों की जमीन को निजी भूमि से बदलकर या फिर भूमि अधिग्रहण कर 100-100 गज के भूखंड अलाट किए जाएंगे। इन बस्तियों मे पानी की पाइप लाइन और बिजली की लाइनों को बिछाने के लिए वर्ष 2019-20 में जहां 50 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे, वहीं पिछले साल 30 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। इस बार इस राशि में खासा इजाफा हुआ है।

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वहीं, शहरों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए मकान उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी आवास बोर्ड को सौंपी गई है। वर्ष 1971 से लेकर अब तक करीब 96 हजार 961 मकान बना चुके आवास बोर्ड ने 72 हजार 739 मकान आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग के लिए बनाए हैं। वर्तमान में विभिन्न श्रेणियों में पांच हजार 238 मकानों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इनमें से 751 मकान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, चार हजार 124 मकान बीपीएल तथा 363 मकान सेवारत व भूतपूर्व सैनिकों और अर्ध सैनिक बलों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को दिए जाएंगे। करीब हजार 684 मकानों का निर्माण कार्य मौजूदा वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। पिछले वित्तीय वर्ष में एक हजार 37 मकान आवास बोर्ड ने बनाए थे।

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इन शहरों में गरीबों को मिलेंगे मकान

सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, झज्जर, चरखी दादरी, यमुनानगर, सफीदों, गोहाना, धारूहेड़ा, सोनीपत, फरीदाबाद, पलवल, रतिया, बहादुरगढ़, गुरुग्राम, कुरुक्षेत्र, घरोंडा, पानीपत, नरवाना एवं रोहतक में आवास बोर्ड प्रधानमंत्री आवास योजना (अर्बन) के तहत करीब 20 हजार ईडब्ल्यूएस मकानों का निर्माण करेगा। इस साल पंचकूला, फरीदाबाद, झज्जर, रोहतक, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम में सैनिक-पूर्व सैनिकों व अर्ध सैनिक बलों के अफसर-जवानों के लिए टाइप ए के 2089 और टाइप बी के 1929 मकान बनाने का लक्ष्य है। पंचकूला, फरीदाबाद, रेवाड़ी और गुरुग्राम में जल्द ही 1027 टाइप-ए व 1164 टाइप-बी मकानों का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

हर गरीब के सिर पर होगी छत : सीएम

मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि हमारा उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर सभी लोगों के सिर पर छत उपलब्ध कराना है। गांवों में गरीबों को प्लाट देने की औपचारिकता निभाने की बजाय हमारी सरकार वहां बिजली-पानी सहित पूरा बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराएगी ताकि वह बेहतर जिंदगी बसर कर सकें। विभिन्न शहरों में भी अलग-अलग श्रेणियों में मकान निर्माण का काम तेजी से जारी है। पूरी उम्मीद है कि हम लक्ष्य को निर्धारित समय में पूरा करने में सफल होंगे।

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