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हरियाणा में अफसरों के साथ बैठक के बाद आढ़तियों ने वापस ली हड़ताल, एक शर्त पर बनी बात

चंडीगढ़ में आढ़ती एसोसिएशन व अफसरों के बीच बैठक के बाद आढ़तियों ने हड़ताल वापस लेने की घोषणा कर दी है। यह शर्त तय की गई कि पेमेंट सीधे किसानों के खाते में ही जाएगी लेकिन भेजने से पहले आढ़ती को दी इसकी सूचना दी जाएगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 10:39 AM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 10:39 AM (IST)
हरियाणा में अफसरों के साथ बैठक के बाद आढ़तियों ने वापस ली हड़ताल, एक शर्त पर बनी बात
हरियामा में आढ़तियों ने हड़ताल वापस ली। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में गेहूं की खरीद अब सुचारू रुप से होगी। आढ़तियों ने राज्य सरकार के साथ शुक्रवार देर रात तक चली बातचीत में अपनी हड़ताल वापस ले ली है। चंडीगढ़ में आढ़ती एसोसिएशन और अधिकारियों के बीच करीब एक घंटा तक बैठक हुई। बैठक में आढ़तियों ने हड़ताल वापस लेने का निर्णय लिया। अब सहमति बनी है कि गेहूं की राशि किसानों को सीधे खाते में तो जाएगी, लेकिन एक दिन पहले आढ़तियों को मैसेज देकर बता दिया जाएगा कि किसान के खाते में राशि जानी है।

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इसके अलावा कई अन्य मांगों पर भी सहमति बनी है। सरकार की ओर से खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, सीएम के प्रधान सचिव वी उमाशंकर ने आढ़तियों को विश्वास दिलाया कि सीएम के साथ आढ़तियों की पहली बैठक में जो निर्णय लिए गए थे, उनको पूरा कराने के लिए सरकार कटिबद्ध है।

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काफी कार्य तो पूरे किए जा चुके हैं, शेष कार्य भी पूरे कर लिए जाएंगे। भुगतान वाले मामले में अभी भी केंद्र सरकार से बातचीत चल रही है, सीएम अभी भी प्रयासरत हैं। मंडी व खरीद की अन्य समस्याओं पर भी बातचीत हुई। आढ़ती एसोसिएशन की ओर से प्रधान अशोक गुप्ता और रजनीश चौधरी समेत कई पदाधिकारी बैठक में उपस्थित रहे।

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किसानों को पोर्टल व पंजीकरण के नाम पर गुमराह कर रही सरकार : सैलजा

उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि प्रदेश सरकार किसान, व्यापारी व मजदूर के प्रति संजीदा नहीं है। सरकार किसानों को उनकी फसल के बदले अदायगी करने में आनाकानी करते हुए किसानों को कभी पोर्टल तो कभी पंजीकरण के नाम पर गुमराह कर रही है।

सैलजा शुक्रवार को सिरसा में पत्रकारों से बातचीत कर रहीं थी। उन्होंने कहा कि फसल खरीद को लेकर मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री के बयान व दावे अलग-अलग हैं। मंडियों में अव्यवस्था का आलम है किसान की सरसों की फसल को नमी का बहाना बनाकर नहीं खरीदा जा रहा। उन्होंने बताया कि किसानों का वर्ष 2019 का 50 करोड़ रुपये ब्याज राशि का आज भी सरकार की ओर बकाया पड़ा है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार की मंशा है कि युवाओं को नौकरी न देनी पड़े इसलिए युवाओं को नशे की ओर धकेल रही है।

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