75 साल बाद भारत-पाक विभाजन की याद हुई ताजा, भावुक हुए पीड़ित परिजन
75 वर्ष पहले भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय नरसंहार में मारे गए लाखों बेकसूर नागरिकों और करोड़ों विस्थापितों के दर्द ताजा हुए। विभाजन की विभीषिका के स्मृति दिवस पर पीड़ित परिवारों को मिली यातनाओं पर चर्चा हुई और उस मंजर को याद कर लोगों की आंखों में आंसू आ गए।
जागरण संवाददाता, पंचकूला : 75 वर्ष पहले भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय नरसंहार में मारे गए लाखों बेकसूर नागरिकों और करोड़ों विस्थापितों के दर्द ताजा हुए। विभाजन की विभीषिका के स्मृति दिवस पर पीड़ित परिवारों को मिली यातनाओं पर चर्चा हुई और उस मंजर को याद कर लोगों की आंखों में आंसू आ गए। विभाजन की विभीषिका का स्मृति दिवस कार्यक्रम के संयोजक संजय आहूजा ने मुख्य अतिथि विधायक घनश्याम अरोड़ा, हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन भारत भूषण भारती, सांसद रतनलाल कटारिया, महापौर कुलभूषण गोयल, कालका नगर परिषद प्रधान कृष्ण लांबा, विधायक सुभाष सुधा, बंतो कटारिया का स्वागत किया। इस दौरान उनके साथ सह संयोजक आरपी मल्होत्रा और भारत हितैषी मौजूद भी रहे।
पंजाबी जिदादिली के मिसाल
विधायक घनश्याम अरोड़ा ने विभाजन के समय पाकिस्तान से उजड़ कर आए पंजाबी विस्थापितों की सराहना करते हुए कहा कि पंजाबी जिदादिली की मिसाल हैं। पंजाबी कर्मयोगी होते हैं। 1947 में वह तीन कपड़ों में यहां आए थे और अपनी मेहनत से आज समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। भारत भूषण भारती ने कहा कि स्कूली बच्चों को आजादी का इतिहास पढ़ाने में विरोधाभास किया जाता था। एक तरफ गांधी जी की शिक्षा हमें आजादी बिना खड़क बिना ढाल, पढ़ाई गई, तो दूसरी तरफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नारा तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा पढ़ाया। भारती का कहना है कि यह दोनों बातें आपस में कतई मेल नहीं खाती।
बेकसूर लोगों को सबसे बड़ी त्रासदी में धकेला
सीनियर सिटीजन काउंसिल हरियाणा के प्रदेश महासचिव आरपी मल्होत्रा ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन को अंग्रेज सरकार का सुनियोजित षड्यंत्र बताते हुए कहा कि दोनों देशों के नेताओं की महत्वाकांक्षा के कारण लाखों बेकसूर लोगों को सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में धकेल दिया गया। हितैषी फाउंडेशन के चेयरमैन और कार्यक्रम के सहसंयोजक भारत हितैषी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में विभाजन के पीड़ितों से वार्तालाप में विस्थापितों ने बताया कि किस प्रकार उनके परिजनों को उनके सामने काट-काट कर मारा गया। उनकी लड़कियों, बहू, बेटियों ने अपनी इज्जत बचाने के लिए नहरों और कुएं में छलांग लगा दी थी। विस्थापितों को खाने में शीशा-कंकड़ मिलाकर सूखी रोटियां देकर यातना दी गई।
कार्यक्रम में इन्हें किया गया सम्मानित
कार्यक्रम में पाकिस्तान से उजड़ कर आए विस्थापित गिरधारी लाल, कौशल्या देवी, देशराज, रामप्यारी बत्रा, डा. एस कुमार, रामस्वरूप गुप्ता, सुदेश गुप्ता, डीआर ओबराय, दलजीत सिंह, संतोष गुप्ता, बालकृष्ण गुप्ता, बीके नैयर, केएल गुप्ता को सम्मानित किया गया। संजय आहूजा, आरपी मल्होत्रा और भारत हितैषी ने सभी का आभार व्यक्त किया। सम्मान समारोह के दौरान विस्थापित परिवार और उपस्थित लोग भावुक हो गए। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मीरपुर से विस्थापित 90 वर्षीय दलजीत सिंह ने प्रधानमंत्री का विभाजन के कारण हुए शहीद और विस्थापित परिवारों के दर्द की सुध लेने पर धन्यवाद किया।