मनोहर व केजरीवाल पर बरसे अभय, कहा- दोनों पहले अपने प्रदेशों को संभालें
अभय सिंह चौटाला ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपने प्रदेशों के विकास तक सीमित रहने की नसीहत दी।
जेएनएन, नई दिल्ली/चंडीगढ़। हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपने प्रदेशों के विकास तक सीमित रहने की नसीहत दी। उन्होंने कहा, पहले ये दोनों अपने प्रदेशों को संभालें, फिर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का काम करें।
अभय चौटाला ने कहा कि हरियाणा और दिल्ली के स्कूल व अस्पताल एक जैसी बदहाल और जर्जर अवस्था में हैं। दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को अपने राज्यों में शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए। शनिवार को गुरुग्राम में केजरीवाल की अस्पताल-स्कूल रैली पर प्रतिक्रिया करते हुए अभय ने कहा कि दिल्ली के कई स्कूलों के आसपास गंदगी के ढेर लगे हैं। सरकारी अस्पताओं में बाउंसर तैनात हैं ताकि वे गरीब लोगों को अस्पताल से बाहर निकाल सकें।
उन्होंने दिल्ली के हरिनगर के एक अस्पताल में यह नजारा देखने के लिए मीडियाकर्मियों को जाने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि दोनों ही प्रदेशों के मुख्यमंत्री शिक्षा-चिकित्सा की व्यवस्था सुधारने के बजाय सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप कर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। वास्तविकता यह है कि दोनों से ही अपने प्रदेश संभल नहीं रहे हैं।
युवा रोजगार चाहता है मंदिर नहीं : अभय चौटाला
अभय चौटाला ने चुनावी साल में भाजपा के राममंदिर के मुद्दे पर कहा कि युवा मंदिर से पहले रोजगार चाहता है। भाजपा का राममंदिर का मुद्दा अब खत्म हो गया है। जनता ने एक बार राममंदिर के नाम पर भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बना दी, मगर बार-बार यह मुद्दा नहीं चल सकेगा, क्योंकि जनता भाजपा की असलियत पहचान चुकी है।
गीता महोत्सव पर भड़के नेता प्रतिपक्ष
कुरुक्षेत्र में 7 दिसंबर से शुरू होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव पर होने वाले खर्च को लेकर अभय चौटाला ने तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद उत्सव और महोत्सव ही किए हैं। भाजपा ने सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया मगर न किसी का साथ और न ही किसी का विकास किया। सबसे पहले भाजपा सरकार ने स्वर्ण जयंती महोत्सव के नाम पर 1700 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके बाद कभी सरस्वती नदी तो कभी गीता महोत्सव के नाम पर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाया। उन्होंने कहा कि गीता जयंती के नाम पर लूट हो रही है। जयंती मनाने के नाम पर सरकारी खजाने पर डाका डाला जा रहा है। विधानसभा में भी उन्होंने सवाल किए मगर सरकार निरुत्तर रही।