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हाई कोर्ट ने कहा- रिश्ता अमान्य हो फिर भी live-in relationship में रहने वाला जोड़ा सुरक्षा का हकदार

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाला भगोड़ा प्रेमी जोड़ा सुरक्षा का हकदार है। भले ही रिश्ता अमान्य हो लेकिन जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए राज्य बाध्य है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 12:06 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 01:13 PM (IST)
हाई कोर्ट ने कहा- रिश्ता अमान्य हो फिर भी live-in relationship में रहने वाला जोड़ा सुरक्षा का हकदार
लिव इन में रहने वाला जोड़ा सुरक्षा का हकदार। (सांकेतिक फोटो)

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने साफ कर दिया है कि एक भगोड़ा प्रेमी जोड़ा कोर्ट से सुरक्षा पाने का हकदार है, भले ही उनमें से एक नाबालिग हो और दोनों लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रह रहे हों। हाई कोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा ने यह टिप्पणी हिसार निवासी बंसी लाल व उसकी प्रेमिका द्वारा सुरक्षा की मांग की याचिका का निपटारा करते हुए की। प्रेमी जोड़े में लड़के की उम्र 24 साल और लड़की की उम्र 16 साल नौ माह है। दोनों ने एक-दूसरे से प्यार करने का कोर्ट में दावा किया।

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दोनों की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि वे लड़की के माता-पिता द्वारा पैदा की गई परिस्थितियों से मजबूर होकर कोर्ट आए हैं। वह दोनों साथ रहना चाहते हैं, जबकि लड़की के घर वाले अपनी पसंद के दूसरे लड़के के साथ उसकी शादी करना चाहते हैं। प्रेमी जोड़े ने कहा कि वे परिपक्व हैं और अपने अच्छे और बुरे के बारे में सोच सकते हैं।

जस्टिस मोंगा ने सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों का विवाह नहीं हुआ, लेकिन यह मुद्दा नहीं है। उनको जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। भले ही उनका रिश्ता अमान्य है। बेंच ने कहा कि भले ही यह हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) का उल्लंघन है कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता लड़की विवाह योग्य आयु नहीं रखती और लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है, लेकिन यह दोनों अपने जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने के हकदार हैं। नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का बाध्य कर्तव्य है।

हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए हिसार के जिला पुलिस प्रमुख को आदेश दिया कि वो याचिकाकर्ता जोड़े द्वारा सुरक्षा की मांग के आवेदन की जांच कर उचित निर्णय लेकर उनके जान माल की रक्षा करे। 


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