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आजादी को 73 साल बीते, रास्ते नहीं होने पर मरीजों को लाते हैं चारपाई से अस्पताल

बाबड़वाली के ग्रामीण आजादी के 73 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 09:12 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 06:12 AM (IST)
आजादी को 73 साल बीते, रास्ते नहीं होने पर मरीजों को लाते हैं चारपाई से अस्पताल
आजादी को 73 साल बीते, रास्ते नहीं होने पर मरीजों को लाते हैं चारपाई से अस्पताल

धर्म शर्मा, मोरनी : पर्यटन स्थल टिक्कर ताल के पास ही पहाड़ियों के बीच में बसे गांव बाबड़वाली के ग्रामीण आजादी के 73 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। मोरनी खंड की कुदाना पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव में आज भी चलने योग्य रास्तों के अभाव में मरीजों को चारपाई पर लेटाकर अस्पताल तक लेकर आना पड़ता है। कुदाना पंचायत के अधिकतर गांव अ‌र्द्धपहाड़ी क्षेत्र में बसे हैं। इन गांवों में जाने के लिए समलौठा से तीन किलोमीटर व लगभग इतना ही टिक्कर ताल व बालदवाला की तरफ से पगडंडीनुमा व नदी से होते हुए रास्ते हैं। लेकिन बाबड़वाली जैसे गांवों तक जाने के लिए आज भी न तो पक्का रास्ता है और न ही नदियों पर पुल हैं जिससे ग्रामीण गांव से दूर ही सड़कों पर अपने दोपहिया वाहन खड़े करके चले जाते हैं। प्रशासन की अनदेखी है विकास में रोड़ा

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सरपंच मनफूल शर्मा के अनुसार उन्होंने कुदाना पंचायत के गांवों में कच्चे रास्तों का निर्माण करवाने के काफी प्रयास किए लेकिन वन विभाग के रवैये व अन्य प्रशासनिक अड़चनों के चलते पक्के रास्तों से गांवों को जोड़ना अभी भी दूर का सपना है। 2017 में बजट पास होने के बावजूद भी रास्ते का निर्माण कार्य अधिकारियों की ढिलाई के कारण सिरे नहीं चढ़ पाया। बीमारी में कौन बनेगा सहारा

समस्या तब विकट हो जाती है जब किसी गर्भवती महिला की डिलीवरी हो या कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाए। इस हालत में सभी ग्रामीण इकट्ठे होकर चारपाई आदि से ही जरूरतमंद को पक्की सड़क जहां से वाहन की सुविधा मिलती है, वहां लेकर आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांवों तक पक्का रास्ता न होने के कारण अकसर मोरनी पीएचसी व रायपुररानी स्थित अस्पताल तक मरीजों को ले जाने में देरी का खामियाजा जान देकर भुगतना पड़ता है। छह किलोमीटर दूर है स्कूल

इसी तरह छात्र-छात्राओं को गांव के पास उच्च शिक्षा के लिए विद्यालय न होने के कारण छह किलोमीटर दूर टिक्कर आना पड़ता है। छात्रों का अधिकतर समय आने-जाने में ही व्यर्थ जाता है। सरकार या प्रशासन की ओर से छात्राओं तक को भी कोई सुविधा देने जैसा कोई कार्य इन गांवों में नहीं हुआ है। जिससे इन गांवों की अधिकतर छात्राएं उच्चतर शिक्षा तक से वंचित रह जाती हैं क्योंकि जंगली रास्तों से अभिभावक अपनी लड़कियों को भेजना महफूज नहीं समझते। सुविधाओं की कमी से ग्रामीण छोड़ने लगे हैं गांव

सरपंच मनफूल शर्मा सहित काफी लोगों ने साथ लगते रायपुररानी, रामगढ़ व पंचकूला में अपने लिए मकान बनाने शुरू कर दिए हैं। इसके पीछे उनका साफ तर्क है कि उनके गांवों में इतने वर्षो में मूलभूत सुविधाएं नही मिली तो वह यहां रहकर वे अपने बच्चों को क्या भविष्य दे पाएंगे। विषम भौगोलिक परिस्थितियों से भी रुका विकास

मोरनी क्षेत्र की कुदाना पंचायत के अधिकतर गांवों में आबादी कम व भौगोलिक स्थिति विषम होने के कारण भी यहां विकास की बयार नहीं बह पाती। यहां गली निर्माण व पक्की सड़कें बनाने में खर्च अधिक आता है। रास्तों के अभाव में छोटे से गांव तक गली बनाने में आने वाले खर्च को देखते हुए अधिकारी अधिक रूचि नहीं दिखाते। कुदाना पंचायत के ग्रामीणों ने प्रशासन व सरकार से उनके गांवों में मूलभूत सुविधाएं देने के साथ उनकी लड़कियों की शिक्षा के रास्ते में आने वाली रुकावटों को दूर करने की मांग की है।


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