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हरियाणा रोडवेज के बेड़े में 700 प्राइवेट बसें शामिल होंगी

हरियाणा रोडवेज के बेड़े में 700 प्राइवेट बसें शामिल की जाएंगी। हरियाणा कैबिनेट के मंत्री समूह की बैठक में यह फैसला किया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 06:44 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 09:02 PM (IST)
हरियाणा रोडवेज के बेड़े में 700 प्राइवेट बसें शामिल होंगी
हरियाणा रोडवेज के बेड़े में 700 प्राइवेट बसें शामिल होंगी

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के रोडवेज कर्मचारियों के तमाम विरोध के बावजूद राज्य सरकार प्राइवेट बसें चलाने पर सहमत हो गई है। हरियाणा रोडवेज के बेड़े में जल्द ही 700 प्राइवेट बसें शामिल की जाएंगी। बस, ड्राइवर और उसके संचालन का समस्त खर्च मालिक का होगा, लेकिन इन बसों पर टिकट काटने वाले परिचालक (कंडक्टर) हरियाणा सरकार रखेगी। इन कंडक्टर को अनुबंध पर रखा जाएगा।

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कर्मचारियों के तमाम विरोध के बावजूद मंत्री समूह ने दी हरि झंडी

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्री समूह की बैठक में हरियाणा रोडवेज के बेड़े में प्राइवेट बसें शामिल किए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। ये बसें सरकार निजी प्लेयर्स से किराये पर लेगी। सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर और सीएम के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने मंत्री समूह के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि बसें किन रूट पर चलेंगी, यह भी सरकार तय करेगी।

बस और ड्राइवर प्राइवेट मालिक का, कंडक्टर सरकार का होगा

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन बसों के संचालन की तमाम प्रक्रिया को जल्द धरातल पर लाने के निर्देश परिवहन मंत्री कृष्ण  लाल पंवार को दिए हैैं। परिवहन विभाग की योजना के तहत इन बसों का किराया प्रति किलोमीटर स्कीम के तहत तय किया जाएगा। रोडवेज की ओर से किराये पर ली जाने वाली यह बसें प्रदेश के निर्धारित रूट पर ही चलाई जाएंगी। रूट से बाहर चलने वाली बसों को बेड़े से बाहर कर दिया जाएगा।

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हरियाणा रोडवेज के बेड़े में फिलहाल करीब 4500 बसें हैं। प्रदेश की ढ़ाई करोड़ से अधिक आबादी के लिए लगभग 9500 और बसों की जरूरत है। बसों की अधिक लागत और निर्माण में देरी के चलते हरियाणा सरकार नई बसें नहीं खरीद सकती। एक बस के बनने में भी काफी समय लगता है। इसलिए सरकार ने प्राइवेट प्लेयर्स का सहारा लिया है।

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प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि इन बसों के किराये पर लिए जाने से परिवहन विभाग का घाटा काफी कम होगा। सरकार की ओर से यह भी दलील दी जा रही है कि नई नीति प्राइवेट रूट परमिट दिए जाने के विरोध को लेकर बनाई गई है। रोडवेज कर्मचारी नहीं चाहते कि प्राइवेट रूट परमिट जारी किए जाएं। नई नीति में सरकार ने रूट खुद तय करने का निर्णय लिया है।


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