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Exclusive interview: हरियाणा कांग्रेस प्रधान सैलजा बोलीं- सोनिया को 23 नेताओं का पत्र लिखना हैरानीजनक

Exclusive interview हरियाणा कांग्रेस की अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं पर बड़ा सवाल उठाया है। उन्‍होंने कहा कि यहि हैरानजनक घटना थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 04 Sep 2020 06:54 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2020 06:22 AM (IST)
Exclusive interview: हरियाणा कांग्रेस प्रधान सैलजा बोलीं- सोनिया को 23 नेताओं का पत्र लिखना हैरानीजनक
Exclusive interview: हरियाणा कांग्रेस प्रधान सैलजा बोलीं- सोनिया को 23 नेताओं का पत्र लिखना हैरानीजनक

चंडीगढ़, जेएनएन। केंद्रीय मंत्री रह चुकीं पूर्व सांसद कुमारी सैलजा को हरियाणा कांग्रेस की बागडोर संभाले पूरा एक साल हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सैलजा की जोड़ी ने एक साल के कार्यकाल में 31 विधायकों की मजबूत टीम खड़ी की। कुमारी सैलजा कांग्रेस के 23 नेताओं द्वारा पार्टी की कार्यवाहक अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने के औचित्‍य पर सवाल उठाती हैं। वह कहती हैं, यह हैरान करने वाला था। इन नेताओं को नहीं भूलना चाहिए कि वे आज पहली पंक्ति के नेताओं में कांग्रेस की वजह से ही हैं। बता दें कि इन 23 नेताओं में भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी शामिल थे।

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सैलजा बोलीं- 31 विधायक जिताए, अब संगठन खड़ा करेंगे

विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक सैलजा ने 80 प्रदर्शन और कार्यकर्ता बैठकों का आयोजन कर बिखरे हुए संगठन को एकजुट करने की कोशिश की। इसके बावजूद अभी तक जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा नहीं हो पाई है। इसके पीछे पार्टी के भीतर लोकतंत्र तथा प्रमुख नेताओं की एकराय बनाने में समय लगने को आधार बताया जा रहा है।

हरियाणा में कांग्रेस के संगठन का ताना-बाना तैयार नहीं होने के बारे में कुमारी सैलजा कहती हैं, हमने 31 विधायक जिताए और अब संगठन खड़ी करेंगे, लेकिन टाइम के बारे में मत पूछिये। दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने कुमारी सैलजा ने कांगेस के विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। पेश हैं इसके प्रमुख अंश-

- भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्त होते ही ओमप्रकाश धनखड़ ने संगठन खड़ा कर दिया, लेकिन आपको इस पद पर एक साल हो गया। अभी तक जिलाध्यक्ष नहीं बन पाए?

- भाजपा व कांग्रेस की आपस में तुलना मत कीजिये। दोनों पार्टियों की विचारधारा और कामकाज का तरीका अलग है। भाजपा में आरएसएस का पूरा दखल रहता है। कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है। यहां कार्यकर्ताओं की सुनवाई होती है। पार्टी के प्रमुख नेता मिलकर समर्पित कार्यकर्ताओं को संगठन की जिम्मेदारी सौंपते हैं।

- अशोक तंवर जब प्रदेश अध्यक्ष थे, तब उन पर भी यही आरोप लगते थे कि वह संगठन नहीं बना पाए। इसके लिए वह पार्टी के विभिन्न गुटों में बंटे नेताओं को जिम्मेदार ठहराते रहे?

- हमारे यहां संगठन ऊपर से नहीं बनता। एक साल के भीतर हमने कार्यकर्ताओं की पहचान की है। बिना संगठन के हमने कार्यकर्ताओं को जोड़ते हुए 31 विधानसभा सीटें जीतीं। अब उन्हेंं मेहनत का इनाम मिलेगा। हमारी प्राथमिकता संगठन को खड़ा करने की है, मगर इसके लिए आप टाइम मत पूछिये। पहले बरोदा फिर लोकल बाडी और पंचायतों के चुनाव में कांग्रेस अपना बेस्ट देगी।

- महामारी के इस दौर में भाजपा नेता फील्ड में और कांग्रेसी अपने घरों में नजर आए, जबकि उनके पास जनता में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का अच्छा मौका था?

- किसने कहा कि हम लोग फील्ड में नहीं थे। हमने अब तक 80 प्रदर्शन किए। सरकार में कोरोना से लड़ने की इच्छाशक्ति कतई दिखाई नहीं दी। कांग्रेस ने गरीब, जरूरतमंद और मजबूर मजदूर तबके की चिंता करते हुए उन्हेंं हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई। अब बेरोजागारी ने युवाओं को निराश कर दिया। सरकार ने कई साल से रिजल्ट रोक रखे हैं। इन विफलताओं को कांग्रेस उजागर करने में लगी है।

- कार्यकर्ताओं में आम धारणा है कि संगठन को बनाने में देरी हो रही है?

- विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने 75 पार का नारा दिया था, लेकिन वह 40 पर सिमट गई। हमने समर्पित कार्यकर्ताओं के बूते 31 सीटें जीती। इन्हीं लोगों को अब संगठन में सामूहिक राय बनाकर जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। दबाव या राय नहीं बनने सरीखी बातें बेबुनियाद हैं।

- कांग्रेस को आप अनुशासित पार्टी बता रही हैं, लेकिन जिन 23 नेताओं ने राष्ट्रीय नेतृत्व में बदलाव की मांग संबंधी चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए, उस पर हरियाणा के दो नेताओं के भी साइन हैं?

- मैं खुद हैरान हूं। ऐसे नेताओं को मैं साफ कहना चाहती हूं कि उन्हेंं यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि आज वे पहली कतार के नेता हैं तो उन्हेंं कांग्रेस ने मौका दिया है। कांग्रेस में गैर अनुशासित नेताओं की कोई जगह नहीं है। कोई व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं हो सकता। मुझे हैरानी होती है, जब कोई व्यक्ति खुद को पार्टी से बड़ा समझने लगता है।

- नेतृत्व परिवर्तन की मांग के बाद जब सोनिया गांधी को ही जिम्मेदारी सौंप दी गई तो हुड्डा ने दावा किया था कि उन्होंने बदलाव की कभी कोई मांग नहीं की थी?

- यह अलग बहस और चर्चा का विषय है। सभी की राय बनती और बदलती रहती हैै, लेकिन नेतृत्व परिवर्तन की सलाह संबंधी जिस चिट्ठी पर 23 नेताओं के हस्ताक्षर हैं, वह चिट्ठी तो आज भी कांग्रेस के पास है। उस पर किसके साइन हैं और किसके नहीं, यह नेतृत्व स्वयं जानता है। रही निष्ठा की बात तो कांग्रेस के सभी विधायक निष्ठावान हैं। हमें उनकी निष्ठा पर कोई शक नहीं है।

- अब बरोदा विधानसभा की चुनौती हुड्डा और आपके कंधों पर है। भाजपा व जजपा मिलकर कांग्रेस के सामने किस तरह की चुनौती पेश करने जा रहे?

- संगठन के भीतर नेताओं की राय अलग हो सकती है, लेकिन सबका ध्येय पार्टी की मजबूती है। भीतर कोई सवाल उठा सकता है, लेकिन हम बाहर सब एक हैं। हम पूरी मजबूती के साथ बरोदा उपचुनाव लड़ेंगे और गठबंधन की हराएंगे। चुनौती कांग्रेस के सामने नहीं बल्कि गठबंधन के सामने है।

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खास बातें-

- हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा के कार्यकाल का एक साल पूरा।

- नेतृत्व परिवर्तन की मांग करने वालों को दिखाया आईना।

- कहा- नेतृत्व पर अंगुली उठाने वाले यह न भूलें, उनकी पहचान कांग्रेस की ही बदौलत।


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