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हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत, पैरोल 9 मार्च तक बढ़ी

शिक्षक भर्ती घोटाले में तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। चौटाला की पैरोल की अवधि 9 मार्च तक के लिए बढ़ा दी गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 12:01 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 12:08 PM (IST)
हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत, पैरोल 9 मार्च तक बढ़ी
हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला की फाइल फोटो।

जेएनएन, नई दिल्ली। शिक्षक भर्ती घोटाले में तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की पैरोल दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 मार्च तक के लिए बढ़ा दी है। ओपी चौटाला ने रिहाई की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मंगलवार को सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने चौटाला की पैरोल नौ मार्च तक बढ़ाते हुए सुनवाई आठ मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है।

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इससे पूूूूूूर्व, न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। साथ ही चौटाला की पैरोल 23 फरवरी तक के लिए बढ़ा दी थी, जो कि 21 फरवरी को समाप्त हो रही थी। अधिवक्ता अमित साहनी के माध्यम से याचिका दयार कर ओपी चौटाला ने कहा है कि उनकी रिहाई के संबंध में हाई कोर्ट ने नवंबर 2019 एवं फरवरी 2020 में दिल्ली सरकार को उचित फैसला लेना का निर्देश दिया था। हालांकि, अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है। चौटाला ने अपनी उम्र और दिव्यांगता के आधार पर जेल से रिहाई की मांग की गई है।

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इससे पहले दायर याचिका में चौटाला ने केंद्र सरकार के 18 जुलाई 2018 की अधिसूचना का हवाला दिया था। अधिसूचना के तहत 60 साल से ज्यादा उम्र पार कर चुके पुरुष, 70 फीसदी वाले दिव्यांग व बच्चे अगर अपनी आधी सजा काट चुके हैं तो राज्य सरकार उसकी रिहाई पर विचार कर सकती है। याचिका में चौटाला ने कहा था कि उनकी उम्र 86 साल की हो गई है और भ्रष्टाचार के मामले में वे सात साल की सजा काट चुके हैं।

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चौटाला ने यह भी दावा किया था कि वह अप्रैल 2013 में 60 फीसदी दिव्यांग हो चुके थे और जून 2013 में पेशमेकर लगाए जाने के बाद से वह 70 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग हो चुके हैं। इस तरह से वे केंद्र सरकार के जल्दी रिहाई की सभी शर्तों को पूरा कर रहे हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह भ्रष्टाचार का मामला है और भारत सरकार की अधिसूचना इस पर लागू नहीं होती, जबकि चौटाला ने दलील दी थी कि उन्हें रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में उनकी सात साल की सजा पूरी हो चुकी है।

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वर्ष 2000 के 3206 शिक्षक भर्ती मामले में विशेष सीबीआइ अदालत ने वर्ष 2013 में ओपी चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला समेत 53 लोगों के खिलाफ सजा सुनाई थी। इसमें तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा के निदेशक आइएएस अधिकारी संजीव कुमार भी शामिल थे।

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