हरियाणा में कांग्रेस पर्यवेक्षकों पर बढ़ रही कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थकों में खींचतान
हरियाणा में कांग्रेस की खींचतान कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब आब्जर्वरों की नियुक्ति को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा कुमारी सैलजा व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों में खींचतान है। दोनों खेमे अपने-अपने ढंग से राजनीतिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र से पहले ही कांग्रेस में खींचतान बढ़ती जा रही है। ताजा विवाद हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा द्वारा नियुक्त जिला पर्यवेक्षकों को लेकर है। सैलजा द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों ने जहां हर जिले में जाकर अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं, वहीं हुड्डा समर्थकों ने अपनी अलग राजनीतिक लाइन खींच ली है।
हुड्डा समर्थकों में इस बात को लेकर खासी नाराजगी है कि उन्हें जिला पर्यवेक्षकों की नियुक्ति में खास भाव नहीं मिला है, जबकि सैलजा समर्थक पर्यवेक्षक विभिन्न जिलों में जाकर हुड्डा समर्थकों से राजनीतिक सहयोग मांग रहे हैं। इसके बाद से दोनों खेमे प्रदेश भर में अपने-अपने हिसाब से राजनीतिक गतिविधियों को अंजाम देने में लगे हैं।
हरियाणा में कांग्रेस के 30 विधायक हैं। इनमें 25 विधायकों पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम की मुहर लगी हुई है। बाकी पांच विधायकों में किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई की गिनती कांग्रेस के पहले पंक्ति के नेताओं में होती है। एक विधायक चिरंजीव राव पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव के बेटे हैं। वह हुड्डा और सैलजा दोनों के कार्यक्रमों में नजर आते हैं। बाकी बचे दो विधायक शमशेर सिंह गोगी और शैली पर प्रदेश अध्यक्ष सैलजा के नाम की मुहर है। रणदीप सिंह सुरजेवाला भले ही इस बार विधायक नहीं बन पाए, लेकिन केंद्र व हरियाणा की राजनीति में उनका पूरा दखल है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक विधायक इस बात से नाराज हैं कि अभी तक राज्य में संगठन नहीं खड़ा हो पाया है। नए कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल हालांकि सभी खेमों को साथ लेकर चल रहे हैं और अपनी नियुक्ति के बाद एक दर्जन से ज्यादा बार हरियाणा का दौरा कर चुके हैं, लेकिन उनके दौरे भी सैलजा व हुड्डा के बीच बढ़ रही खटास को दूर करने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। हुड्डा और सैलजा दोनों की हाईकमान में मजबूत पकड़ है, लेकिन जिस तरह से अभी तक प्रदेश में संगठन नहीं खड़ा हो पाया, उससे साफ लग रहा कि प्रदेश कार्यकारिणी में समर्थकों को एडजेस्ट करने को लेकर दोनों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। ऐसी ही स्थिति हुड्डा और अशोक तंवर के बीच पैदा हो गई थी।
हरियाणा में हुड्डा के समर्थक विधायक अपने नेता के लिए फ्री-हैंड चाहते हैं। इसके लिए वह कई बार हाईकमान पर दबाव भी बना चुके हैं। सैलजा सीधे सोनिया गांधी के करीब हैं, जबकि दीपेंद्र सिंह हुड्डा की नजदीकियां प्रियंका और राहुल गांधी के साथ हैं। ऐसे में सैलजा के दबाव के बावजूद हाईकमान हुड्डा को नजर अंदाज नहीं कर पा रहा है, लेकिन नए प्रभारी के जरिये उन्हें पूरा भाव दिया जा रहा है, ऐसा भी नहीं है। कई मौके ऐसे आए, जब नए प्रभारी सैलजा, कैप्टन और किरण के साथ दिखे।
करनाल की बैठक में लिखी गई पूरे प्रदेश की नई पटकथा
हुड्डा और सैलजा के बीच बढ़ती दूरियां पिछले दिनों करनाल में हुई एक बैठक से साफ नजर आ गई, जिसमें शामिल 17 खास लोगों ने यह संकल्प ले लिया कि यदि हाईकमान में संगठनात्मक गतिविधियों को लेकर हुड्डा की अनदेखी हुई तो नए प्रभारी व प्रदेश अध्यक्ष के विरुद्ध भी मोर्चा खोला जा सकता है। इन समर्थकों में चार लोग ऐसे भी शामिल हैं, जो पहले अशोक तंवर के साथ थे।
बाद में कुछ दिन सैलजा की बैठकों में दिखे। खबर यह भी है कि सैलजा ने जिस तरह से हर जिले में अपनी पसंद के समर्थक बनाए, उनकी काट के लिए हुड्डा समर्थक हर जिले में 100-100 लोगों की एक ऐसी टीम तैयार करेंगे, जो समानांतर काम करते हुए अपने नेता की दमदार उपस्थिति दर्ज करा सकेंगे। यह अलग बात है कि ऐसा समझने वालों की भी कमी नहीं है कि टिकटों के आवंटन में जितना हाथ हुड्डा या दीपेंद्र का रहने वाला है, उतना ही हाथ सैलजा व विवेक बंसल का भी होगा।
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