हरियाणा में किसानों को देनी होगी जानकारी, कितनी जमीन में फसल बोई और कितनी रह गई खाली
हरियाणा के किसानों को अब जानकारी देनी होगी कि उन्हाेंने अपनी कितनी जमीन में फसल बोई है और कितनी जमीन खाली रह गई है। किसान यह जानकारी मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर देंगे। सरकार इसके अनुरूप जमीन के बेहतर इस्तेमाल की योजना बनाएगी।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में किसानों को अपनी फसल के बारे में जानकारी देनी होगी। किसानों को बताना होगा कि कितनी जमीन में उन्होंने फसल बोई है और कितनी जमीन खाली रह गई है। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर किसानों को हर एकड़ में बोई गई फसल की जानकारी देने के साथ ही यह भी बताना पड़ेगा कि कितनी जमीन ऐसी है जिस पर कोई फसल नहीं बोई गई। प्रदेश में 92 लाख एकड़ भूमि सत्यापित है जिसमें से करीब 68 लाख भूमि पर खेती की जा रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि बाकी 24 लाख एकड़ भूमि का भी पता लगाया जाना चाहिए कि इसका इस्तेमाल किस रूप में हो रहा है।
मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर बोई गई फसल के साथ ही देनी होगी खाली रकबे की भी जानकारी
मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण की बैठक में इस बारे में कई निर्देश दिए। इस दौरान बिजली मंत्री रणजीत ङ्क्षसह, कृषि मंत्री जेपी दलाल और सहकारिता मंत्री बनवारी लाल भी मौजूद थे। सीएम ने कहा कि मेरी फसल-मेरा ब्योरा योजना के तहत फसल के सत्यापन का मैकेनिज्म मजबूत होना चाहिए। फसल खरीद की सौ फीसद राशि किसानों के खाते में डाली जाए।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि केवल खेती से किसानों की आय बढ़ाना मुश्किल है। इसके लिए बागवानी, फ्लोरीकल्चर, पशुपालन और मत्स्य पालन जैसे कृषि से जुड़े कार्यों को बढ़ावा देना जरूरी है। पैरी-अर्बन कृषि के लिए शुरू में चार जिलों सोनीपत, झज्जर, गुरुग्राम और फरीदाबाद के लिए योजनाएं तैयार की जाएं ताकि वहां स्थानीय जरूरतों के हिसाब से खेती की जा सके।
मनाेहरलाल ने कहा कि किसान कल्याण प्राधिकरण का काम किसानों के कल्याण और उनकी आमदनी बढ़ाने से जुड़ी विभिन्न विभागों की योजनाओं की निगरानी करना और उनका सही ढंग से क्रियान्वयन सुनिश्चित कराना है। साथ ही भूमिहीन किसानों समेत किसानों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए नई स्कीमें संबंधित विभागों के ध्यान में लाना, उन्हेंं सुझाव देना और सिफारिशें करना भी प्राधिकरण का काम है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्राधिकरण में कार्यकारी उपाध्यक्ष का प्रावधान किया जाना चाहिए जो एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की तरह कार्य करे।
उन्होंने कहा कि कृषि को लाभकारी बनाने के लिए कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए एक व्यापक भूमि उपयोग नीति तैयार करने के साथ-साथ प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों को फसल के नुकसान पर उचित राहत और मुआवजा दिलाना भी प्राधिकरण की जिम्मेदारी है। प्राधिकरण कृषि उत्पादकता बढ़ाने तथा उत्पादन लागत को कम करने के लिए भी सुझाव दे।
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