शिक्षक हैं सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत : प्रो कुठियाला
भारत समय के साथ वैश्विक मामलों के केंद्र में स्थापित होने जा रहा है।
जागरण संवाददाता, पंचकूला : भारत समय के साथ वैश्विक मामलों के केंद्र में स्थापित होने जा रहा है। देशव्यापी इस बदलाव का श्रेय शिक्षकों को जाता है। शिक्षक सामाजिक परिवर्तन के अग्रदूत हैं। शिक्षकों को यही परिवर्तनकारी भूमिका नई शिक्षा नीति - 2020 के क्रियान्वयन में निभानी होगी। यह बात हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने बतौर मुख्य अतिथि सेक्टर-1 कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 पर कॉलेज शिक्षकों की भूमिका विषय पर आयोजित विशेष सेमिनार में कही। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के माध्यम से सामाजिक बदलाव में भूमिका निभाई जा सकती है। नई शिक्षा नीति में पहली बार विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष जोर दिया गया है। विद्यार्थी नौकरी मागने के स्थान पर नौकरी देने की स्थिति में हों, यह शिक्षा नीति का मूल है। नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् ने विशेष कार्य योजना बनाई है। जिसमें विद्यार्थियों को पारंपरिक शिक्षा के साथ ही व्यावसायिक कौशल अर्जित करने में मदद मिलेगी। प्रो. कुठियाला ने सेमिनार के अंत में प्राध्यापकों के प्रश्नों के भी विस्तार से उत्तर दिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज की प्राचार्या डॉ. अर्चना मिश्रा ने की। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत केंद्रित है जो आत्मनिर्भर भारत बनाने में मददगार है। हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति न केवल पाठ्यक्रम में बदलाव पर जोर देती है, बल्कि विद्यार्थियों को मूल्यपरक शिक्षा उपलब्ध कराने पर भी जोर देती है। नई शिक्षा नीति ज्ञानार्जन के साथ ही रोजगार कौशल विकसित करने में सक्षम है। सेक्टर-1 कॉलेज विद्यार्थियों की आत्मनिर्भरता के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। परिसर स्थित इंक्यूबेटर सेंटर भी नवाचार के साथ ही विद्यार्थियों को आत्मनिर्भरता बनाने के लिए सतत प्रयासरत है। सेमिनार का आयोजन कॉलेज के आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ द्वारा किया गया। सेमिनार का संयोजन एवं संचालन आंतरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ की समन्वयक डा. विनीता गुप्ता ने किया। सेमिनार में पत्रकारिता एवं जनसंचार, वाणिज्य, राजनीति विज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र, विज्ञान, इतिहास एवं रक्षा अध्ययन विभाग के 40 प्राध्यापकों ने भाग लिया।