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Republic Day 2021: हरियाणा से तरलाेचन सिंह, जयभगवान और पहलवान वीरेंद्र सिंह काे पद्म पुरस्‍कार

Republic Day 2021 गणतंत्र दिवस के माैके पर हरियाणा से राज्‍यसभा सदस्‍य रहे तरलाेचल सिंह लेखक जगयभगवान और पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह को पद्म पुरस्‍कारों के लिए चुना गया है। तरलोचन सिंह को पद्मभूषण और पहलवान वीरेंद्र सिंह को पद्मश्री अवार्ड से सम्‍मानित किया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 08:55 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 08:55 AM (IST)
Republic Day 2021: हरियाणा से तरलाेचन सिंह, जयभगवान और पहलवान वीरेंद्र सिंह काे पद्म पुरस्‍कार
हरियाणा के दो हस्तियों को पद्म पुरस्‍कार दिया गया है। (फाइल फोटो )

चंडीगढ़, जेएनएन। Republic Day 2021: गणतंत्र दिवस 2021 के अवसर पर हरियाणा से राज्‍यसभा सदस्‍य रहे तरलोचन सिंह, यमुनानगर के जयभगवान और पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह को पद्म पुरस्‍क‍ार से नवाजा गया है। तरलोचन सिंह को पद्मभूषण और पहलवान वीरेंद्र सिंह को पद्मश्री अवार्ड से सम्‍मानित करने की घोषणा की गई है।

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हरियाणा से राज्यसभा सदस्य रह चुके सरदार तरलोचन सिंह ने दुनिया भर में सिख धर्म की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत काम किया है। केंद्र सरकार ने उनके काम को न केवल सराहा, बल्कि पद्मभूषण अवार्ड प्रदान कर उनके काम को सम्मान भी दिया है। तरलोचन सिंह अगस्त 2004 से जुलाई 2010 तक हरियाणा से राज्यसभा सदस्य रहे हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने उन्हें राज्यसभा सदस्य भेजने का अवसर प्रदान किया।

तरलोचन सिंह ने दुनिया भर में सिख धर्म की शिक्षाओं को किया प्रचारित

87 साल के तरलोचन सिंह मूल रूप से पंजाब के दुधियाल के रहने वाले हैं और हाल फिलहाल दिल्ली में डा. जाकिर हुसैन मार्ग पर रहते हैं। ओमप्रकाश चौटाला और तरलोचन सिंह के बीच बेहद मधुर संबंध हैं। तरलोचन सिंह 1983 से 1987 तक चार साल पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के प्रेस सचिव भी रहे हैं। 2003 से 2006 तक उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन का दायित्व बखूबी निभाया। दिल्ली टूरिज्म के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के पदों पर रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में काफी काम किया है।

पूर्व राष्‍ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के प्रेस सचिव रहे, चौटाला ने भेजा राज्यसभा

28 जुलाई 1933 को जन्मे तरलोचन सिंह ने सिविल वार के बाद अफगानिस्तान से आए सिखों को बसाने में अहम भूमिका निभाई। सिख हिस्टरी पर उनकी संग्रहणीय सामग्री को शोधकर्ता छात्र आज भी शोध में इस्तेमाल करते हैं। 2008 में यूनाइटेड स्टेट के मैन में वह सिख धर्म पर लेक्चर देने भी गए थे। उनकी गिनती चोटी के साहित्यकारों, पत्रकारों व सिख धर्म को प्रोत्साहित करने वाले व्यक्तित्व के रूप में होती है।

यमुनानगर के जयभगवान व झज्‍जर के पहलवान वीरेंद्र सिंह को पद्मश्री सम्मान

 झज्जर जिले के गांव ससरौली निवासी पैरा एथलीट पहलवान वीरेंद्र सिंह (गूंगा पहलवान) को पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। वीरेंद्र सिंह को पिछले दिनों अर्जुन अवार्ड नहीं मिला था। इसको लेकर पहलवान द्वारा नाराजगी जाहिर करने पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू से उसकी मुलाकात कराई थी।

वीरेंद्र ने बचपन में ही अपनी सुनने की क्षमता खो दी और इसी वजह से वे कभी बोल भी नहीं पाए। उनके पिता अजीत सिंह, सीआइएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) में जवान थे और वर्तमान में दिल्ली में एक अखाड़ा चलाते हैं। अजीत सिंह अपनी नौकरी के चलते दिल्ली में रहते थे और उनका बाकी परिवार गांव में। वीरेंद्र ने देश विदेश में कई प्रतियोगिता में पदक जीतकर भारत का सम्मान बढ़ाया है।

 यमुनानगर के 89 वर्षीय जयभगवान को पद्मश्री अवार्ड से सम्‍मानित किया गया है। वह अब तक करीब 37साल अध्‍यापक, लेखन और शोध कार्य में लगा चुके हैं और अब तक करीब 30 पुस्‍तकें लिखी हैं।


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