हरियाणा में 464 करोड़ का जीएसटी घोटाला, 89 गिरफ्तार, 112 करोड़ रुपये की हुई रिकवरी
GST scam in Haryana हरियाणा में पिछले दो वर्षों में 464 करोड़ का जीएसटी घोटाला पकड़ा गया है। इस मामले में 89 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। कुछ राशि रिकवर भी हुई है। चार आरोपितों के खिलाफ सबसे ज्यादा 40 मामले दर्ज हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। GST scam in Haryana: हरियाणा पुलिस ने बड़े पैमाने पर माल और सेवा कर (जीएसटी) घोटाला पकड़ा है। जीएसटी फर्जी चालान बिल घोटाले में शामिल चार प्रमुख गिरोहों सहित अन्य फर्जी फर्मों ने 464 करोड़ रुपये का गोलमाल कर सरकार को चूना लगाया है। इन जालसाजों की सांठगांठ न केवल हरियाणा, बल्कि पूरे देश में थी। जीएसटी फर्जी चालान घोटाले में पुलिस ने अब तक 112 करोड़ रुपये से अधिक की रिकवरी कर जाली जीएसटी आइडेंटिफिकेशन नंबर (जीएसटीआइएन) का भी राजफाश किया है।
इस संबंध में अब तक राज्य अपराध शाखा के पास कुल 72 केस पुलिस में दर्ज हुए हैं। कुल 89 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें अधिकतम 40 मामले गोविंद शर्मा, गौरव, अनुपम सिंगला और राकेश अरोड़ा के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। इस घोटाले के तार करनाल, हिसार, पानीपत, गुरुग्राम के अलावा राजस्थान, गुजरात, पंजाब और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित अन्य राज्यों तक जुड़े हुए हैं।
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने बताया कि इन व्यक्तियों ने फर्जी ई-वे बिल (कंसाइनमेंट ट्रांसपोर्ट करने के लिए जीएसटी से संबंधित चालान) के माध्यम से माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना कई फर्मों और कंपनियों को फर्जी चालान जारी किए। साथ ही जीएसटीआर-3बी फार्म के माध्यम से जीएसटी पोर्टल पर फेक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) किए।
फर्जी जीएसटी चालान, ई-वे बिल और जाली बैंक लेनदेन की मदद से इन गिरोहों द्वारा करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की गई है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में से कुछ ऐसे भी हैं, जो बार-बार घोटाला करते रहे। पुलिस ने आबकारी और कराधान विभाग के माध्यम से दी जाने वाली 97.22 करोड़ रुपये की इनएडमिसीबल आइटीसी पर भी रोक लगाई है।
डीजीपी यादव ने बताया कि डीजीपी अपराध मोहम्मद अकील की टीम द्वारा विशेष अभियान चलाया गया था। पानीपत और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय गोङ्क्षवद गैंग से संबंधित फर्जी फर्मों के खिलाफ वर्ष 2019 में कुल 21 एफआइआर दर्ज की गईं, जबकि जीएसटी चोरी में शामिल रहे अन्य तीन गिरोहों के खिलाफ 2018 और 2019 के बीच केस दर्ज किए गए। पुलिस ने इन गैंग की आबकारी एवं कराधान विभाग में 80 करोड़ रुपये की आइटीसी को भी ब्लॉक किया है। स्क्रैप, आयरन और स्टील आर्टिकल्स, काटन-यार्न, पेपर आदि की आड़ में जीएसटी चालान घोटाला किया गया।
जालसाज ऐसे करते थे फर्जी बिलों से धोखाधड़ी
गिरोह में शामिल जालसाज पहले किसी के नाम पर जीएसटी पोर्टल पर फर्जी फर्मों का पंजीकरण करते थे। फिर बिजी एप, टेली एप और शकुन सॉफ्टवेयर आदि का उपयोग करके इन फर्मों के बिल तैयार करते थे। बाद में जीएसटी पोर्टल पर ई-वे बिल जेनरेट करने के लिए इन बिलों को अपलोड करते थे। इन ई-वे बिल में एंबुलेंस, सरकारी वाहन, मोटरसाइकिल, निजी और स्वयं के वाहनों से संबंधित वाहन संख्याओं का भी उल्लेख किया गया है, जो वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए प्रतिबंधित हैं।
फर्म से लेकर बैंक खाते, रेंट एग्रीमेंट, पैन कार्ड व बिजली बिल सब फर्जी
जीएसटी घोटाले की जांच में सामने आया है कि फर्म से लेकर बैंक खाते, रेंट एग्रीमेंट, पैन कार्ड व बिजली बिल सब फर्जी थे। धोखाधड़ी करने वालों ने संबंधित प्राधिकरणों को धोखा देने के लिए अन्य बैंकों के गेटवे का भी उपयोग किया। इन फर्जी फर्मों का कोई व्यावसायिक परिसर या कोई स्टाक रजिस्टर नहीं था। फर्म के नाम पर कोई बुनियादी ढांचा भी नहीं था। हर साल निदेशक/प्रोपराइटर, उनके पते, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, ईमेल को बदला जाता रहा।
डीजीपी क्राइम मोहम्मद अकील ने बताया कि जीएसटी फर्जी चालान धोखाधड़ी को लेकर राज्यव्यापी अभियान जारी है। चूंकि लाभार्थी (आइटीसी के दावेदार) अन्य राज्यों से भी हैं, इसलिए हम जीएसटी धोखाधड़ी में शामिल अपराधियों को ट्रैक करने के लिए अन्य राज्यों के साथ समन्वय भी स्थापित कर रहे हैं। जल्द ही और गिरफ्तारियों के साथ रिकवरी की भी उम्मीद है।
ये रहे बड़े घोटाले
1. करनाल में गोविंद बना मास्टरमाइंड
अपराध शाखा मधुबन गोङ्क्षवद और उसके सहयोगियों को 44.79 करोड़ रुपये के फर्जी चालान घोटाले के 21 मामलों में गिरफ्तार कर चुकी है। आरोपितों ने बिला काटन व अन्य माल सप्लाई के फर्जी चालान बिल और ई-वे बिल के आधार पर फर्जी आइटीसी क्लेम लिया। इस मामले में अब तक 37.55 करोड़ रुपये की वसूली हुई है। गोङ्क्षवद विभिन्न फर्मों के मासिक रिटर्न भरने के लिए एक अकाउंटेंट के रूप में काम करता था। वर्ष 2016 में उसने ई-वे बिल जेनरेट करने की प्रक्रिया सीखी और दूसरों के नाम पर फर्जी तरीके से उनके आइडी प्रमाण और दस्तावेज जुटाकर फर्जी फर्म बनाना शुरू कर दिया।
2. हिसार में 157 करोड़ का घोटाला
हिसार क्राइम यूनिट ने सूती धागे की सामग्री की वास्तविक आपूर्ति किए बिना 157.39 करोड़ रुपये का जीएसटी घोटाला करने वाले सिरसा निवासी और वर्तमान में दिल्ली में रहने वाले अनुपम ङ्क्षसगला को गिरफ्तार किया है। 173 विभिन्न बैंक खातों से संबंधित ब्लैंक हस्ताक्षरित चेकबुक, विभिन्न ट्रांसपोर्टर्स से संबंधित खाली बिल्टी बुक, विभिन्न व्यक्तियों के पहचान प्रमाणपत्र, मोबाइल सिम कार्ड और अन्य असंगत दस्तावेज पाए गए। मास्टरमाइंड ने कुछ जाने माने व्यापारियों और सूती धागे के स्पिनरों को धोखे से आइटीसी मुहैया करवाई। आरोपित के तार हरियाणा में ही नहीं, बल्कि राजस्थान, गुजरात, पंजाब और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित अन्य राज्यों में फैले थे।
3. पानीपत और गुरुग्राम में भी बड़े घोटाले
पानीपत के गौरव गैंग के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए, जो बिना सामान और सेवाओं की आपूर्ति के नकली जीएसटी चालान जारी करने को आरोपित था। वह सेल फर्म बनाता था, जिनसे करोड़ों रुपये के चालान जारी होते थे। इस गैंग ने 3.34 करोड़ रुपये का घोटाला किया, जिसमें से 1.8 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है। एक अन्य मामले में अर्जुन नगर, गुरुग्राम के राकेश अरोड़ा गिरोह ने माल की बिक्री/खरीद के नकली बिल जमा करके 100.77 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व घोटाला किया। इनसे 47.6 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है।