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हरियाणा सरकार ने अपने किसानों के हित में उठाया कदम तो पडा़ेसी राज्‍यों में मची खलबली, जानें पूरा मामला

हरियाणा सरकार ने राज्‍य के किसानों के लिए बड़ा कदम उठाया है तो पड़ोसी राज्‍यों में खलबली मच गई है। सोशल मीडिया के माध्‍यम से हरियाणा सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। दरअसल मनोहर सरकार ने राज्‍य के किसानों के लिए एमएसपी घोषित किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 05:43 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 05:43 PM (IST)
हरियाणा सरकार ने अपने किसानों के हित में उठाया कदम तो पडा़ेसी राज्‍यों में मची खलबली, जानें पूरा मामला
हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल और राज्‍य की एक अनाजमंडी। (फाइल फाेटो)

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा की मनोहर सरकार को अपने राज्य के किसानों की चिंता करना सोशल मीडिया पर भारी पड़ रहा है। पंजाब में किसानों को मक्का और बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलता। हरियाणा सरकार ने मक्के व बाजरे की फसल एमएसपी पर खरीदने का ऐलान किया है। इसको लेकर हरियाणा को निशाने पर लिया जा रहा है। पंजाब के किसानों के हरियाणा में अपनी फसल बेचने आने की संभावना के कारण मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बयान दिया था कि पहले उन्हें अपने राज्य के किसानों के हित देखने हैं। इसलिए हरियाणा के किसानों की मक्का व बाजरे की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी।

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पड़ोसी राज्यों का मक्का व बाजरा नहीं खरीदने के सीएम के बयान को गलत ढंग से किया जा रहा प्रचारित

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हरियाणा के किसानों के हित से जुड़े इस बयान को सोशल मीडिया पर तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मुख्यमंत्री के बयान को ऐसे प्रचारित किया जा रहा है, मानो उन्होंने कांग्रेस शासित राज्यों खासकर पंजाब के किसानों की फसल खरीदने से मना कर दिया है। मुख्यमंत्री ने 17 सितंबर को बयान दिया था कि बाकी राज्यों में मक्के व बाजरे का एमएसपी तय नहीं है। हरियाणा में इन दोनों फसलों को एमएसपी पर खरीदा जाएगा।

मनोहरलाल ने किया स्पष्ट, पहले हम अपने राज्य के किसानों का एमएसपी पर खरीदेंगे मक्का-बाजरा

यदि पंजाब समेत अन्य किसी राज्य का किसान अपनी मक्का व बाजरे की फसल बेचने के लिए हरियाणा आएगा तो उसकी फसल नहीं खरीदी जाएगी, क्योंकि पहल हरियाणा के किसानों की होगी। जब तक उनकी फसल का एक-एक दाना नहीं खरीद लिया जाता, तब तक पंजाब के किसानों की मक्का व बाजरे की फसल खरीदने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

सीएम ने कहा पंजाब और राजस्थान अपने यहां क्यों नहीं घोषित कर रहे मक्का व बाजरा पर एमएसपी

हरियाणा सरकार आज भी अपने इस बयान पर कायम है। प्रदेश में वैसे ही मेरी फसल-मेरा ब्योरा वेबपोर्टल बना हुआ है। हरियाणा सरकार उन्हीं किसानों की फसल मंडियों में एमएसपी पर खरीदती है, जिन्होंने इस पोर्टल पर अपनी जमीन और फसल की मात्रा का रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है। यह व्यवस्था कुछ सालों से की गई है। सरकार रजिस्टर्ड किसानों को सुविधा अनुसार आसपास की मंडियों में बुलाती है, ताकि पूरे प्रदेश की मंडियों पर एक साथ एक ही दिन में सारा बोझ न पड़ सके।

रजिस्टर्ड किसानों की फसल खरीदने के बाद बाहरी राज्यों के किसानों को वेबपोर्टल पर अपनी फसल बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की सुविधा का विकल्प खुला है। हरियाणा के किसानों की सारी फसल खरीदने के बाद बाहरी राज्यों के रजिस्टर्ड किसानों की फसल खरीद का प्रावधान है। हरियाणा सरकार की इस व्यवस्था और सुविधा को पड़ोसी खासकर कांग्रेस शासित राज्य किसान विरोधी निर्णय के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।

हरियाणा के सीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन के अनुसार यह सोची समझी साजिश है, जबकि प्रदेश सरकार यदि अपने राज्य के किसानों की चिंता करती है तो इसमें किसी को क्या हर्ज होना चाहिए। जिस तरह की चिंता हरियाणा सरकार अपने किसानों के लिए कर रही है, वैसी चिंता दूसरे राज्यों की सरकारें भी अपने-अपने प्रदेश के किसानों के हित में कर सकती हैं। उन्हें ऐसा करने से किसने रोका है।

राजीव जैन ने कहा, रही मंडी व्यवस्था को खत्म करने की साजिश की बात, यह बेबुनियाद आरोप है। राजीव जैन के अनुसार मंडी व्यवस्था भी लागू है और खुले में प्राइवेट खरीददारों द्वारा माल खरीदने की व्यवस्था भी। यदि कोई प्राइवेट खरीददार अधिक रेट पर किसान के खेत या घर से फसल खरीदना चाहे तो इसमें सरकार को कोई हर्ज नहीं है। यदि प्राइवेट खरीददार कम रेट पर फसल मांगता है तो किसान के सामने अपनी फसल मंडी में लाकर एमएसपी पर बेचने की सुविधा का विकल्प खुला है। इसमें किसी तरह का कोई संशय नहीं है।

बाहरी राज्यों के किसानों को भी कराना होगा रजिस्ट्रेशन

दूसरी तरफ खबर आ रही है कि कृषि विधेयकों पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद उत्तर प्रदेश के करीब पचास किसानों को हरियाणा के करनाल में धान की फसल बेचने से रोक दिया गया है, जो कि मंडीकरण व्यवस्था अथवा किसी भी किसान की फसल कहीं भी बेचने की सुविधा के विपरीत है। इस पर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इस बार कपास को भी सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। फसलों का एमएसपी यू हीं बरकरार रहेगा, क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की आपूर्ति के लिए किसानों की फसल को मंडियों के माध्यम से खरीदा जाएगा। मंडियों की व्यवस्था पहले की तरह रहेगी।

दुष्‍यंत चौटाला ने कहा कि पांच जिलों में धान की खरीद शुरू हो चुकी, जबकि एक अक्टूबर से पूरे प्रदेश में आरंभ हो जाएगी। डिप्टी सीएम ने स्पष्ट कहा कि दूसरे राज्यों के ऐसे किसान जो हरियाणा में अपनी फसल बेचना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए हरियाणा सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा। इसके बाद संबंधित किसान की वैरीफिकेशन कर फसल खरीदी जाएगी।

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