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चीन से खत्म हो रहे हरियाणा के व्यापारिक संबंध, स्वदेशी कंपनियों और उत्पादों को लगे पंख

हरियाणा और चीन के बीच लंबा व्‍यपारिक संबंध रहे हैं। अब ये खत्‍म हो रहे हैं। इसका फायदा स्‍वदेशी कंपनियों और उत्‍पादों को मिल रहा है। उनको नई उड़ान मिल रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 02:51 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 02:51 PM (IST)
चीन से खत्म हो रहे हरियाणा के व्यापारिक संबंध, स्वदेशी कंपनियों और उत्पादों को लगे पंख
चीन से खत्म हो रहे हरियाणा के व्यापारिक संबंध, स्वदेशी कंपनियों और उत्पादों को लगे पंख

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। चीन से तनाव के चलते हरियाणा में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है। हरियाणा के उद्यमी भी इस अवसर का भरपूर फायदा लेने में जुट गए हैं। गुरुग्राम, फरीदाबाद में ऑटो इंडस्ट्रीज के विकसित होने का मूल आधार एस्कॉट्र्स, यामाहा, मारुति, हीरो, होंडा, जेसीबी कंपनियां रही हैं मगर इन कंपनियों के लिए जॉब वर्क करने वाले उद्यमियों को अब यूरोपीय देशों सहित अमेरिका से भी ऑर्डर मिलने लगे हैं।

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ऑटो, फार्मास्युटिकल,  खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक कारोबार सहित कई क्षेत्रों में हरियाणा से चीन के व्यापारिक संबंध

फार्मास्युटिकल कंपनियां तो उन दवाओं का उत्पाद भी करने लगी हैं जिनकी कीमत चीन में भारत से काफी कम है। इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि पिछले तीन माह में चीन से दवा नहीं आई है। इलेक्ट्रॉनिक खिलौना उत्पादकों ने तो कोरोना काल से पहले ही नए अवसरों को भुनाना शुरू कर दिया था।

चीन के साथ तनाव के कारण अब हरियाणा सरकार चाइनीज कंपनी से नहीं खरीदेगी एक हजार नई बसें

असल में मोदी सरकार ने चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स खिलौनों पर एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी कर दी थी। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स सामान टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीनों के लिए भी अब स्वदेशी कंपनियों के सामान की मांग बढ़ रही है।

स्वदेशी मांग के बिना भी 50 फीसद पर पहुंच गया ऑटो कंपनियों का उत्पादन

दोपहिया वाहनों का उत्पादन तो लॉकडाउन से पहले की तरह ही होने लगा है मगर चार पहिया वाहनों में इस्तेमाल होने वाले कलपुर्जों का उत्पादन अभी 50 फीसद पर ही पहुंचा है। इसका कारण उद्यमी यह बताते हैं कि कोरोना काल में भी मोटरसाइकिल, स्कूटर,स्कूटी की मांग तो अपने देश में ही काफी बढ़ी है। चार पहिया वाहनों की मांग अपने देश में फिलहाल नहीं बढ़ी है मगर इन वाहनों में इस्तेमाल होने वाले कलपुर्जों की मांग यूरोपीय देशों में खूब बढ़ रही है।

पहले यूरोपीय देशों में चार पहिया वाहनों के निर्माता 60 से 70 फीसद कलपुर्जे चीन से मंगाते थे मगर अब वे चीन के साथ अपना कारोबार कम करते हुए भारतीय कंपनियों से कारोबार बढ़ा रहे हैं। कोरोना काल से पहले जो यूरोपीय कंपनी भारतीय कंपनियों के महज 20 फीसद ही कलपुर्जे इस्तेमाल करते थीं, वे अब 40 फीसद की मांग करने लगे हैं। ऑटो पार्टस एक्सपोर्टर एचएस बांगा बताते हैं कि यूरोपीय कंपनियों से कारोबारी रिश्ते बढ़ाने का यह सही समय है।

फार्मास्युटिकल क्षेत्र में 2001 की तरह रॉ-मेटेरियल का किंग बन सकता है भारत

उत्तराखंड के हरिद्वार और हरियाणा के फरीदाबाद में फार्मास्युटिकल कंपनी चला रहे उद्यमी नवदीप चावला बताते हैं कि 2001 में भारत फार्मास्युटिकल क्षेत्र में रॉ मेटेरियल का किंग होता था। पिछले 20 सालों में यह ताज चीन के फार्मास्युटिकल उद्योग के पास चला गया। अब यह अवसर आया है कि एक बार फिर भारत फार्मास्युटिकल क्षेत्र में किंग बन सकता है।

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