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उलझती जा रही नए हरियाणा भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति, ऐलान में देरी भाजपा की रणनीति

हरियाणा भाजपा के नए अध्‍यक्ष की नियुक्ति का मामला उलझता जा रहा है बताया जाता है कि कृष्‍णपाल गुर्जर या किसी अन्‍य नेता के नाम के ऐलान में देरी भाजपा की रणनीति है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 07:59 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 08:01 AM (IST)
उलझती जा रही नए हरियाणा भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति, ऐलान में देरी भाजपा की रणनीति
उलझती जा रही नए हरियाणा भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति, ऐलान में देरी भाजपा की रणनीति

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति उलझती जा रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का प्रदेश अध्यक्ष बनना तय था, लेकिन जिस तरह से उनकी नियुक्ति पर अचानक ब्रेक लगा, उससे भाजपा के राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। भाजपा के कुछ रणनीतिकार गुर्जर की नियुक्ति प्रक्रिया में देरी को पार्टी की सोची-समझी रणनीति मान रहे हैंं तो कुछ की दलील है कि बरौदा उपचुनाव तक पार्टी सुभाष बराला को ही अध्यक्ष बनाए रखने की संभावनाओं पर विचार कर रही है।

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उपचुनाव तक बराला को ही बनाए रखने की संभावनाओं पर भी विचार

भाजपा हाईकमान ने करीब सौ नेताओं से फीडबैक हासिल करने के बाद प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय कर रखा है। इस कड़ी में कृष्णपाल गुर्जर, ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, संदीप जोशी, नायब सिंह सैनी और महीपाल सिंह ढांडा के नाम सामने आए। अध्यक्ष पद के दावेदारों को पथ से भटकाने के लिए सांसद सुनीता दुग्गल और कविता जैन के नाम भी उछाले गए।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल हर सूरत में चाहते हैं कि सुभाष बराला ही प्रदेश अध्यक्ष बने रहें, क्योंकि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में सत्ता और संगठन के बीच कोई विवाद पैदा नहीं होने दिया। इस बार का विधानसभा चुनाव हार चुके अधिकतर मंत्री बदलाव के हक में हैं।

भाजपा सूत्रों के अनुसार कृष्णपाल गुर्जर का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए तय माना जा रहा था, लेकिन बताया जाता है कि केंद्रीय मंत्री पद छोड़ने अथवा नहीं छोड़ने को लेकर पेंच फंसा हुआ है। ओमप्रकाश धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु ने भी अपने-अपने तरीके से घुंडी घुमा रखी है। उन्हेंं तमाम उन नेताओं का समर्थन हासिल हो रहा है, जो बराला को पसंद नहीं करते।

ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रतिष्ठा से जुड़ी है। उनकी आखिर तक कोशिश है कि जब तक संभव हो सके बराला को ही अध्यक्ष पद दिलाया जाए, लेकिन हाईकमान के नहीं मानने की स्थिति में तमाम विकल्प खुले हैं।

मुख्यमंत्री को गुर्जर से भी कोई दिक्कत नहीं है। उनके नाम का ऐलान किसी भी समय हो सकता है, लेकिन सीएम के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि धनखड़ व कैप्टन संगठन की सेहत के लिए तो फायदेमंद हैं, लेकिन व्यक्तिगत रूप से उनसे किसी को दिक्कत हो सकती है। ऐसे में महीपाल ढांडा व संदीप जोशी के नाम पर भी विचार चल रहा है।

सुभाष बराला आए मीडिया के सामने, अध्यक्ष पद की राजनीति पर कुछ नहीं बोले

भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला अपने बेटे विकास बराला और बेटी तमन्ना के विवाह समारोह के बाद शुक्रवार को मीडिया के सामने आए। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चल रही खींचतान पर मीडिया के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। बराला ने सिर्फ वन नेशन-वन कार्ड योजना के बारे में विस्तार से बताया।

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