पौधरोपण की खानापूर्ति में घटता वन क्षेत्र, 6.80 फीसद जमीन से आगे नहीं बढ़ पा रही हरियाली
सरकारी प्रयासों के बावजूद हरियाणा में वन क्षेत्र नहीं बढ़ पा रहा। वन आवरण सिर्फ 3.64 और वृक्ष आवरण 3.16 फीसद पर अटका। हर साल पौधरोपण के बाद आधे से अधिक पौधे सूख जाते हैं।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। तमाम प्रयासों के बावजूद हरियाणा में वन क्षेत्र बढ़ने का नाम नहीं ले रहा। पिछले वर्षों में हर साल दो से ढाई करोड़ पौधे रोपित करने के दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन हकीकत में धरातल पर तस्वीर ज्यादा नहीं बदली है। देखभाल के अभाव में हर साल लगाए जा रहे आधे से अधिक पौधे सूख जा रहे हैं।
प्रदेश में करीब 6.80 फीसद जमीन पर ही वन क्षेत्र है, जबकि डेढ़ दशक पहले तक यह 10 फीसद हुआ करता था। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार प्रदेश में कुल भौगोलिक क्षेत्र के 20 फीसद भाग पर वन होना चाहिए। इसके उलट प्रदेश में वन आवरण 1608 वर्ग किलोमीटर है जो राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 3.64 फीसद है। वृक्ष आवरन 1395 वर्ग किलोमीटर है जो भौगोलिक क्षेत्र का 3.16 फीसद है।
वर्ष 2011 में 1608 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र था, जो दो साल बाद 1586 और फिर 2015 में 1584 वर्ग किमी रह गया। प्रदेश का वृक्ष आवरण क्षेत्र वर्ष 2011 में 1395 वर्ग किमी था जो वर्ष 2013 में घटकर 1282 वर्ग किमी तक सिमट गया। राहत की बात यह कि सभी जिलों में सिटी फॉरेस्ट विकसित कर हरियाली बढ़ाने के लिए मास्टर प्लान पर काम शुरू हो चुका है।
रेलवे की जमीन पर पौधरोपण के लिए रेल मंत्रालय से समझौता किया गया है, जबकि हर शहर से गुजरती सड़कों के किनारे भी पेड़-पौधे लगाने की मुहिम छेड़ी गई है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से मोरनी में 17 हजार एकड़ जमीन पर विश्व हर्बल वन स्थापित होने से स्थिति में बदलाव होगा। पौधगीरी योजना के तहत पिछले साल छठी से बारहवीं तक के 26 लाख छात्रों ने पौधारोपण किया था।
विकास परियोजनाओं की भेंट चढ़ी हरियाली
विकास परियोजनाओं, शहरीकरण, सड़कों को चौड़ा करने व रेलमार्ग को दोहरा करने से वन क्षेत्र में कमी आई है। इससे निपटने के लिए केवल उन्हीं पेड़ों को काटा जाना चाहिए जो बहुत जरूरी हो। गांव व शहरों में सरकारी, पंचायती या अन्य खाली पड़ी भूमि पर पौधारोपण करने के लिए वन विभाग के साथ ही पंचायतों, विभागों, संस्थाओं और सामाजिक संस्थानों को भी आगे आना होगा।
देशज प्रजातियों को करेंगे प्रोत्साहित : गुर्जर
वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर का कहना है कि सरकार देशज प्रजातियों के पौधों को प्रोत्साहित करेगी। लोगों को प्रकृति से जोडऩे के लिए हमने पौधरोपण का विशेष अभियान छेड़ा है। अरावली को हरा-भरा करने के लिए हवाई मार्ग से बीज डाले जाएंगे। काबली कीकर को हटा कर रोहिड़ा का बीजारोपण किया जाएगा।