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पीटीआइ भर्ती घोटाला में HSSC के पूर्व चेयरमैन सहित कई के खिलाफ FIR दर्ज

हरियाणा में पीटीआइ भर्ती घोटाले में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन सहित कई लाेगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 09:08 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 08:19 AM (IST)
पीटीआइ भर्ती घोटाला में HSSC के पूर्व चेयरमैन सहित कई के खिलाफ FIR दर्ज
पीटीआइ भर्ती घोटाला में HSSC के पूर्व चेयरमैन सहित कई के खिलाफ FIR दर्ज

पंचकूला, जेएनएन।प्रदेश में 1983 शारीरिक शिक्षकों ( फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर ) को गलत तरीके से नौकरी देने के मामले में हरियाणा राज्य कर्मचारी चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष नंदलाल पूनिया, पूर्व सदस्यों एवं अधिकरियों के खिलाफ हरियाणा राज्य चौकसी ब्यूरो ने केस दर्ज कर लिया है। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती रद करने के पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। यह मामला 2010 का है।

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इस प्रकरण में अभी तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक चल रही थी और ये शिक्षक नौकरी कर रहे थे, लेकिन पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने के बाद अंतरिम रोक आदेश समाप्त हो गया था और इन शिक्षकों की नौकरी चली गई थी। अब आयोग तत्कालीन चेयमैन एव सदस्यों पर केस दर्ज किया गया है।

चहेतों को साक्षात्कार में 20 से 27 अंक दिए, योग्य उम्मीदवारों को मात्र 7 से 9 अंक दिए

एफआइआर के मुताबिक हरियाणा कर्मचारी आयोग पंचकूला द्वारा विज्ञापन निकालकर 20 जुलाई 2006 को 1983 पीटीआइ भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे और 28 दिसंबर 2006 को चयन प्रक्रिया की घोषणा की गई थी। कुल 200 अंक लिखित परीक्षा के और 25 अंक साक्षात्कार के आधार पर दिया जाना था। लेकिन इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष व सदस्यों ने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए अयोग्य उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के लिए चयन मापदंडों में बार-बार परिवर्तन किया।

आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा 30 जून 2008 और 11 जुलाई 2008 के निर्णय के संबंध में चयन आयोग के कार्यालय के टिप्पणी लेखन में 11 जुलाई 2008 द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया के विरुद्ध मुख्यमंत्री निवास के सामने विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए 31 जुलाई 2008 को कर्मचारी चयन आयोग द्वारा किसी दबाव में बार-बार चयन मापदंडों में बदलाव किया गया।

उच्च न्यायालय में इस संबंध में सुनवाई के दौरान आयोग की तरफ से अपने निर्णय को सही ठहराते हुए एक दस्तावेज पेश किया गया, जिसमें 3 अगस्त 2008 को चयन मापदंड निर्धारित करने के बारे में आयोग के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर थे। इस दस्तावेज को उच्च न्यायालय ने याचियों के अधिकारों को समाप्त करने के लिए कूटरचित दस्तावेज माना।

दर्ज एफआइआर के अनुसार तत्कालीन अध्यक्ष ने चयन आयोग के सदस्यों के साथ मिलकर झूठा दस्तावेज तैयार किया। उपरोक्त चयन प्रक्रिया में आयोग के सदस्यों ने अपने अपने चहेते उम्मीदवारों को साक्षात्कार में अनुचित लाभ देते हुए अत्याधिक अंक कुल 30 अंकों में से 20 से 27 तक प्रदान किए और योग्य उम्मीदवारों के चयन से वंचित रखने के लिए 30 में से 7 या 9 नंबर ही दिए। हरियाणा राज्य कर्मचारी आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्यों व अधिकारियों ने अपने-अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए अपराधिक षड्यंत्र रचा।

हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शारीरिक शिक्षकों की अपीलों का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती रद करने के हाइकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। इस भर्ती में अनियमितताओं और तय प्रक्रिया का पालन न किये जाने का आरोप लगाते हुए इसे हाइकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाइकोर्ट ने भर्ती रद कर दी थी जिसके खिलाफ शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई में ही हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

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पीटीआइ भर्ती में नंदलाल पुनिया पर हाई कोर्ट ने भी उठाए थे सवाल

पीटीआइ भर्ती मामले में हाई कोर्ट ने शुरू से ही हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के तत्कालीन चेयरमैन नंदलाल पूनिया पर सवाल खड़े किए। 11 सितंबर 2012 को हाई कोर्ट के जस्टिस एजी मसीह ने एक साथ 68 याचिकाओं फैसला सुनाते हुए पीटीआइ भर्ती रद कर दी थी।

हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनल सिलेक्शन लिस्ट जारी कर यह नियुक्तियां की थी। हाई कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया में आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्यवाहियों में शामिल न होने से आयोग की नाकारात्मक छवि को उजागर करता है।

हाईकोर्ट ने कहा कि दस्तावेज एक बिंदु की तरफ इशारा करते हैं कि यह नियुक्तियां आयोग के निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई है और इन्हेंं गैरकानूनी कहलाना गलत नहीं है। खंडपीठ ने इस मामले में कमीशन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए यह तक कहा कि बहुसदस्यीय कमीशन होने के बाद भी कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है कि यह सब एक व्यक्ति के कहने से चल रहा है। कोर्ट ने कमीशन के चेयरमैन नंद लाल पूनिया पर टिप्पणी की।

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