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कोरोना सं‍कट: हरियाणा के मेवात में सक्रिय रहे निजामुद्दीन से निकले तब्‍लीगी जमाती

काेराेना संकट के बीच बड़ा खतरा बन गए तब्‍लीगी जमाती दिल्‍ली के निजामुद्दीन से निकलने के बाद हरियाण के मेवात में सक्रिय रहे। इस दौरान वह मेवात के गांवों में लाेगों के घर रुके रहे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 01:49 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 01:49 PM (IST)
कोरोना सं‍कट: हरियाणा के मेवात में सक्रिय रहे निजामुद्दीन से निकले तब्‍लीगी जमाती
कोरोना सं‍कट: हरियाणा के मेवात में सक्रिय रहे निजामुद्दीन से निकले तब्‍लीगी जमाती

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। निजामुद्दीन के तब्लीगी मरकज से निकलकर जमाती हरियाणा के मेवात क्षेत्र (नूंह जिला) में सक्रिय रहे। दिल्ली से आने के बाद पहले दो दिन ये जमाती मेवात की विभिन्न मस्जिदों में रहे। जब निजामुद्दीन स्थित मरकज के जमातियों में कोरोना संक्रमण की जानकारी सुर्खियां बनने लगी तो ये जमाती मस्जिदों से निकलकर मेवात के सुदूर गांवों में स्थानीय लोगों के घरों में रहने लगे।

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तीन दिन तक जमातियों के संपर्क में रहे स्थानीय निवासियों की खोज में जुटी हरियाणा सरकार

हरियाणा सरकार बेशक समय रहते सचेत हो गई हो, इसके बावजूद जमातियों और इनके संपर्क में आए स्थानीय लोगों को श्रृंखलाबद्ध करना काफी मुश्किल हो रहा है। स्थानीय लोगों ने जमातियों को फिलहाल छुपाया हुआ है, इसके चलते जमातियों की खोज में स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के पसीने छूट रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग फिलहाल मेवात के मौलानाओं से संपर्क कर केवल कुछ मस्जिदों से ही जमातियों को इलाज के लिए ला रहे हैं।

जमातियों से स्थानीय निवासियों को श्रृंखलाबद्ध करने में छूट रहे हैं स्वास्थ्य व पुलिस विभाग के पसीने

स्थानीय लोगों के घरों में चले गए जमातियों तक पहुंचने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को पुलिस की मदद लेनी पड़ रही है। असल में तब्लीगी जमातियों का मेवात में काफी बड़ा नेटवर्क है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने 25 सितंबर 2018 को दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से मोहम्मद सलमान और उसके दो अन्य साथियों को 1.56 करोड़ रुपये और 43 हजार की नेपाली करेंसी के साथ गिरफ्तार किया था। एनआइए ने इनकी निशानदेही पर ही पलवल के उटावड़ के अलावा मेवात के अन्य क्षेत्रों में भी जांच की थी।

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नया नहीं है तब्लीगी जमातियों का मेवात से कनेक्शन

मेवात से तब्लीगी जमातियों का कनेक्शन कोई नया नहीं है। यह बात हरियाणा सरकार ही नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां की भी जानकारी में है। एनआइए ने जिस मोहम्मद सलमान को निजामुद्दीन से दबोचा था, वह मेवात क्षेत्र के उटावड़ गांव का ही रहने वाला था। अपने पैतृक गांव उटावड़ में सलमान ने एक मरकजी मस्जिद के निर्माण में टेरर फंडिंग का इस्तेमाल किया था।

मोहम्मद सलमान मेवात (नूंह) व आसपास के मेव बहुल इलाके में मजहब की खिदमत और यतीमों की इमदाद (मदद) के बहाने युवाओं के बीच सक्रिय था। वह फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआइएफ) के डिप्टी चेयरमैन से जुड़ा था। यह पाकिस्तान में रह रहे आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा का सहयोगी संगठन है। सईद लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक भी है। एफआइएफ का डिप्टी चेयरमैन दुबई में रहता है। वह भी पाकिस्तानी है। उसी के जरिये सलमान इस संगठन के संपर्क में आया था।

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'' मेवात सहित राज्य के सभी लोगों से मेरी अपील है कि वे निजामुद्दीन स्थित मरकज से आए जमातियों के बारे में खुद आगे आकर स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दें, ताकि उन जमातियों सहित उनके संपर्क में आए लोगों काे क्वारंटाइन कराकर इलाज करवाया जा सके। केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार निजामुद्दीन से 503 जमातियों ने हरियाणा में एंट्री की है। इनमें से 72 विदेशी हैं। हम सभी लोगों को ढूंढ़कर उनका व उनके संपर्क में आए स्थानीय लोगों का कोरोना टेस्ट कराएंगे।

                                                                                            - मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा।


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