Move to Jagran APP

Corona से जंग: पलायन कर रहे मजदूरों को रोकने के प्रयास नहीं हुए सफल, राहत शिविर खाली

हरियाणा और एनसीआर से दूसरे राज्‍यों के मजदूरों का पलायन रुक नहीं रहा है। सरकार के तमाम प्रयासों व राहत की कोशिशों के बावजूद ये श्रमिक पलायन कर रहे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 09:50 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 09:50 AM (IST)
Corona से जंग: पलायन कर रहे मजदूरों को रोकने के प्रयास नहीं हुए सफल, राहत शिविर खाली
Corona से जंग: पलायन कर रहे मजदूरों को रोकने के प्रयास नहीं हुए सफल, राहत शिविर खाली

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। ठेकेदारों, फैक्टरी मालिकों और मकान मालिकों की संवेदनहीनता के चलते हरियाणा और राज्‍य के एनसीआर में शामिल जिलों से पलायन कर रहे मजदूर रुकने को तैयार नहीं हैं। हरियाणा सरकार की राहत उपायों की घोषणा और अन्‍य को‍शिशों के बावजूद ये श्रमिक रुकने को तैयार नहीं व किसी भी हालत अपने गांवों जाने पर अड़ हुए हैं। सांसदों, मंत्रियों से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासनिक अमले के आश्वासनों का भी कोई असर नहीं हा रहा है। इन मजदूरों को पहले राहत शिविरों में सभी तरह की सुविधाएं देकर रोकने का प्रयास किया लेकिन मजदूरों ने अपनी रात राहत शिविरों की बजाए सड़क किनारे ही बिताई।

prime article banner

सांसदों और मंत्रियों की अपील पर भी रुकने को तैयार नहीं है प्रवासी मजदूर

मजदूर परिवार राहत शिविरों में एक रात रुकने के लिए भी नहीं रुके। नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली की तरफ से आ रहे मजदूर परिवारों को रोकने के लिए फरीदाबाद प्रशासन ने सराय ख्वाजा, तिलपत व सेहतपुर के सरकारी स्कूलों में राहत शिविर बनवाए थे। इन मजदूरों की देखादेखी अब वे मजदूर भी अपने पैतृक गांव की ओर जाने का मन बनाने लगे हैं जो दिल्ली एनसीआर में वर्षों से रह रहे हैं। बेशक ये मजदूर सिर्फ लॉक डाउन के दौरान ही अपने गांव जाएं मगर फिलहाल मजदूरों का मन उखड़ गया है।

--------------

'' हमने हर हाल में इन मजदूरों को पलायन करने से रोकना चाहा मगर सफल नहीं हो सके। स्थिति ही कुछ ऐसी बनती चली गई कि मजदूरों का अपने ठेकेदार और फैक्टरी मालिकों पर विश्वास नहीं हो रहा है। हमने सरकार की तरफ से भी इन मजदूरों को काफी राहत देने की पेशकश की मगर फिलहाल एक बार तो ये मजदूर अपने पैतृक गांव जरूर जाना चाहते हैं। हमने काफी मजदूरों से बात की है।

                                                                                                       - रमेश कौशिक, सांसद, सोनीपत।

--------------

'' हमने काफी प्रयास किए कि मजदूर यहीं रुक जाएं मगर अब मजदूर रुकने को तैयार नहीं है। उन्हें यदि बस उपलब्ध नहीं कराई तो वे पैदल ही जाएंगे। फिलहाल यह स्थिति काफी प्रतिकूल है मगर फिर भी जिस तरह समाजसेवी संस्थाएं और प्रशासनिक अधिकारियों ने इन्हें सहयोग दिया, वह मानवता की जीती जागती मिसाल है।

                                                                              - अजय गौड़, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार।

-----------------

'' हमने तो इन्हें रोकने के बहुत प्रयास किए मगर ये तैयार नहीं हुए। इनकी मनस्थिति से फिलहाल यह लगता है कि अब ये रुकेंगे भी नहीं। हां, यदि शुरूआती दौर में इनके ठेकेदार और इनकी फैक्टरी मालिक इन्हें रोकने का प्रयास करते तो निश्चित तो पर ये लोग यहीं रुक सकते थे। हमने तो झज्जर में इनके लिए राहत शिविर भी रातों रात तैयार करवा दिए थे मगर हमारी अपील सार्थक साबित नहीं हो पाई। अभी भी हम मजदूरों की सहानुभूतिपूर्वक उनकी मदद करवा रहे हैं।

                                                                                                    - डॉ. अरविंद शर्मा,सांसद, रोहतक।

----------------

इन कारणों से पलायन को मजबूर हुए मजदूर

- माह के अंतिम सप्ताह के दौर में निर्माण क्षेत्र में लगे मजदूरों का टेलीफोन 25 मार्च से उनके ठेकेदारों ने सुनना बंद कर दिया।

-मजदूरों के ठेकेदारों ने यह भी कहना शुरू कर दिया कि उन्हें नहीं पता कि कब तक लॉक डाउन रहेगा, इसलिए घर बैठे मजदूरों के लिए पैसे देना उनके लिए संभव नहीं।

-मजदूर परिवार जिन छोटे मकानों में रहते थे, उनके ज्यादातर मकान मालिकों ने भी साथ देने से कर दिया इन्‍कार।

-मजदूर परिवारों में अपने जीवनयापन के लिए बनने लगी अनिश्चितता।

-कुछ मजदूरों, जिनमें ज्यादातर युवा थे, ने निर्णय लिया कि अब यहां से निकलकर अपने गांवों की ओर प्रस्थान कर दो।

-मोबाइल फोन और वाट्सएस के मैसेज ने झांसी व आगरा मंडल के मजदूर एक ही संदेश पर 26 मार्च को सुबह ही अपने पैतृक गांव की ओर निकल लिये।

-परिवार के साथ निकले इन मजदूर परिवारों को जब भूख-प्यास से बिलखते बच्चों के साथ मीडिया ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर पैदल पलायन करते देखा तो इनके सहयोग को शहरों की सामाजिक संस्थाएं आ गईं।

-सामाजिक संस्थाओं के एक साथ इन मजदूरों के साथ खड़े होने से सरकार भी हरकत में आई।

-हरियाणा सरकार ने पहले तो इन मजदूरों को बस से उत्तर प्रदेश सीमा पर भिजवाने के लिए कहा मगर बाद में केंद्र सरकार की तरफ से आए आदेशों के चलते इनके लिए राहत शिविर बनाने शुरू किए।मगर ये मजदूर किसी के भी कहने से नहीं रुक रहे हैं।

--------------

मोदी तक पहुंचाया सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों ने मजदूरों का दर्द

दिल्ली एनसीआर से अपने पैतृक गांव जाने वाले मजदूरों का दर्द केंद्रीय मंत्रियों सहित सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा दिया है। इन जनप्रतिनिधियों ने यहां तक कहा है कि अब सिर्फ प्रधानमंत्री की अपील ही इन्हें रोक सकती है। बता दें, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री कार्यालय की तरफ से राज्य सरकारों और सांसदों को इन मजदूरों को रोकने संबंधी आदेश आए थे। राज्य सरकारों से मजदूरों को हरसंभव सहायता देने का आदेश भी दिया गया था।

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


यह भी पढें: दूध की मांग घटी, प्राइवेट डेयरियों के इन्‍कार से उत्पादकों की मुश्किलें बढ़ीं, वेरका पर बढ़ा दबाव


यह भी पढ़ें: इनसे सीखिये: भाई की मौत के बाद घर के बाहर लगाया संदेश- कृपया कोई शोक जताने न आएं


यह भी पढें: Corona Lock down: डीएसपी को आया फोन- सर दूल्हा बोल रहा हूं, आज के फेरे हैं गाड़ी जाने दोगे क्‍या



Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.