हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, पत्नी जीवित तो दूसरी नहीं गुजारे भत्ते की हकदार
हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है कि अगर एक पत्नी के होते हुए पुरूष दूसरी महिला से विवाह करता है तो वह गुजारा भत्ते की कानूनी हकदार नहीं हो सकती।
चंडीगढ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है कि अगर एक पत्नी के होते हुए पुरूष दूसरी महिला से विवाह करता है तो वह गुजारा भत्ते की कानूनी हकदार नहीं हो सकती, लेकिन कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि इस विवाह से उत्पन्न अविवाहित पुत्री गुजारा भत्ते की हकदार होगी।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें 'पत्नी को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के अतिरिक्त किसी भी महिला को पत्नी नहीं माना जा सकता। हिंदू विवाह कानून की धारा पांच में बताया गया है कि यदि दोनों में से किसी
का भी जीवनसाथी जीवित नहीं है तो वे एक-दूसरे से शादी कर सकते हैं।
इस प्रकार कोई भी विवाह जिसमें इस प्रावधान का उल्लंघन किया गया है, वह अमान्य होगा। हाई कोर्ट ने कहा कि यहां याचिकाकर्ता वह दूसरी पत्नी है, जो यह जानते हुए भी प्रतिवादी से विवाह करती है कि उसकी पहली पत्नी जीवित है और उसे तलाक भी नहीं दिया गया है, इसलिए वह धारा 125 के तहत तो गुजारा भत्ते की हकदार नहीं है। किसी अन्य कानून में उसे राहत प्रदान की जा सकती है।
दूसरी पत्नी से पैदा हुई अविवाहित पुत्री गुजारे भत्ते की हकदार
इसी के साथ ही कोर्ट ने कहा कि दूसरी याचिकाकर्ता और प्रतिवादी की दूसरी पत्नी से उत्पन्न अविवाहित पुत्री तब तक पिता से गुजारा भत्ता प्राप्त करने की हकदार है जब तक उसका विवाह नहीं हो जाता या वह खुद की
सहायता करने में समर्थ नहीं हो जाती यानी वह आत्मनिर्भर नहीं हो जाती।
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