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हुड्डा बोले- किसानों की तरफ भी ध्यान दे सरकार, फसल खरीद में देरी पर केंद्र भी दे किसानों को बोनस

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने Coronavirus से लड़ाई के बीच सरकार का ध्यान किसानों की तरफ खींचा है। कहा कि सरकार को गेहूं और सरसों की फसलों की कटाई और खरीद का रास्ता भी निकालना चाहिए।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2020 07:32 AM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2020 07:32 AM (IST)
हुड्डा बोले- किसानों की तरफ भी ध्यान दे सरकार, फसल खरीद में देरी पर केंद्र भी दे किसानों को बोनस
हुड्डा बोले- किसानों की तरफ भी ध्यान दे सरकार, फसल खरीद में देरी पर केंद्र भी दे किसानों को बोनस

जेएनएन, चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने Coronavirus से लड़ाई के बीच सरकार का ध्यान किसानों की तरफ खींचा है। लॉकडाउन का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को खेतों में तैयार खड़ी गेहूं और सरसों की फसलों की कटाई और खरीद का रास्ता भी निकालना चाहिए।

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा फौरन किसानों के खाते में पहुंचाना चाहिए। इससे किसान फसल कटाई, ढुलाई, भंडारण और आजीविका के लिए संसाधन जुटा सकेंगे। प्रदेश सरकार को स्पष्ट तौर पर बताना चाहिए कि कटाई के लिए लॉकडाउन में किसानों को क्या रियायतें दी जा रही हैं और क्या बंदिशें लगाई गई हैं?

हुड्डा ने कहा कि फसल खरीद में देरी पर प्रदेश सरकार की तर्ज पर केंद्र भी किसानों के लिए बोनस दे। चूंकि इस बार दूसरे राज्यों के मजदूर फसल कटाई के लिए उपलब्ध नहीं होंगे, इसलिए हार्वेस्टिंग मशीन और दूसरे संसाधनों की व्यवस्था करनी चाहिए। सरकारी कर्मचारियों के साथ मंडियों में प्रबंधन के लिए वालंटियर की मदद ली जा सकती है। लॉकडाउन के बीच सरकार सुनिश्चित करे कि हर किसान को पूरी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले। प्रति हेक्टेयर खरीद की सीमा हटाई जाए। किसान की पूरी फसल खरीदी जाए।

बता दें, हरियाणा में किसानों की मुश्किलें थम नहीं रही। एक तरफ बेमौसमी बारिश, ओलावृष्टि और आंधी की मार तो दूसरी तरफ Coronavirus का प्रकोप। कोरोना से निपटने के लिए हरियाणा की सीमाएं सील होने से अब किसानों को मजदूरों की चिंता सताने लगी है। फसल कट भी गई तो इन्हें मंडियों में कैसे पहुंचाएंगे, इसको लेकर उनके माथे पर चिंता की लकीरें हैं।

प्रदेश में गेहूं की खरीद पहली अप्रैल से शुरू होगी। इस बार पूरे प्रदेश में करीब 62.5 लाख एकड़ जमीन पर गेहूं बोया गया है। सरसों का रकबा कम होने के कारण किसानों ने जैसे-तैसे स्थानीय मजदूरों की मदद से सरसों की कटाई तो कर ली, लेकिन गेहूं की कटाई दूसरे प्रदेशों के मजदूरों की मदद के बगैर संभव नहीं। ऐसे में उन्हें मदद की दरकार है। 

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