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Coronavirus चपेट में लेने से पहले नहीं पूछता किसी का नाम, जनप्रतिनिधियों ने बनाई सोशल डिस्टेंसिंग

Coronavirus आने से पहले किसी का नाम नहीं पूछता इसलिए जनप्रतिनिधि भी सामाजिक दूरी बनाने लगे हैं। ...और क्या हो रहा है सियासत में यहां पढ़ें...

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 26 Mar 2020 07:41 AM (IST)Updated: Thu, 26 Mar 2020 08:39 AM (IST)
Coronavirus चपेट में लेने से पहले नहीं पूछता किसी का नाम, जनप्रतिनिधियों ने बनाई सोशल डिस्टेंसिंग
Coronavirus चपेट में लेने से पहले नहीं पूछता किसी का नाम, जनप्रतिनिधियों ने बनाई सोशल डिस्टेंसिंग

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा सरकार के मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों, विधायकों और सांसदों ने कोरोना के भय से सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) बना ली है। जब से यह पता चला कि राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह के संपर्क में आए थे, तब से कई सांसदों, विधायकों व अफसरों की जान सांसत में आई हुई है। भला हो कि सब कुछ ठीक निकला।

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दुष्यंत सिंह की रिपोर्ट भी निगेटिव मिली और दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी निगेटिव रिपोर्ट के साथ पूरी तरह स्वस्थ हैं, लेकिन इस सबक ने सभी मंत्रियों को उनके अपने घरों में कैद कर दिया है। हुड्डा किसी से सीधे नहीं मिल रहे। अभय सिंह चौटाला भी सावधान हैं। दुष्यंत चौटाला घर पर हैं तो मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठकों में अफसरों की दूरी काफी होती है। सीएम निवास पर कर्मचारियों का स्टाफ कम और दूर-दूर कर दिया गया है। अफसर घरों में हैं। अब जो भी काम हो रहा है, वह सिर्फ फोन पर चल रहा है। कोरोना आने से पहले किसी का नाम या पता नहीं पूछता। उसे जहां आना होता है, किसी न किसी जरिये आ ही जाएगा। इसलिए इस डर से हर कोई भयभीत है और सावधानी बरत रहा है। 

हुक्का अपना ही भरो और अपना ही पीयो भाई

हरियाणा के पूर्व कृषि, सिंचाई और पशुपालन मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ का एक टिकटाक आजकल सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस टिकटाक में धनखड़ गांव देहात में सामूहिक रूप से बैठकर एक दूसरे के मुंह पर लगा हुक्का आपस में बांटकर पीने से परहेज करने की सलाह दे रहे हैं। कोरोना वायरस फैलने के डर की वजह से उनकी यह सलाह वाजिब भी है। आइए सुनते हैं, धनखड़ और टिकटाक पात्र सुक्खा के बीच हुए संवाद के कुछ अंश।

सुक्खा - राम-राम साहब

धनखड़ - राम-राम भाई सुक्खा, मेरे पै नी है दूसरा हुक्का

सुक्खा - टाब्बर-टिक्कर की कहो बात

धनखड़ - टाब्बर-टिक्कर भाई सबके जियो, हुक्का अपने घर ही अपना भरो और अपना पीयो

सुक्खा - और...सुनाओ साहब, खेती-बाड़ी का कै हाल

धनखड़ - खेती बाड़ी में है भई सबकै कूट, पर अपने मरोड़ की ना दूं घूंट।

जिंदगी एक जंग है, जीत जाएंगे हम, गर तू संग है

कोरोना वायरस से बचने को अपने घरों में कैद लोगों के बीच भले ही सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बन गई है, लेकिन उन्हें अपने परिवार और बच्चों के साथ भरपूर समय बिताने का मौका मिल रहा है। बरसों से अलमारी के ऊपर रखे कैरम बोर्ड, शतरंज और लूडो बाहर निकल गए। पूरा परिवार बैठकर टीवी देखता है और हर खबर पर आपस में चर्चा करता है। पुराने म्युजिक सिस्टम चालू हो गए। अच्छी बात यह है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी हर एंगिल से चर्चा हो रही है। न केवल इतना, जब सुबह या शाम के समय थोड़ा वक्त मिलता है तो अपने मकान की हद में रहकर दूसरे मकान के पड़ोसी से दुआ सलाम हो रही है।

पड़ोस के भाई साहब पूछने लगे कि घर में किसी तरह की दिक्कत तो नहीं, जबकि भाभी जी कह रही हैं कि नवरात्रे शुरू हो गए हैं। घर में यदि कुट्टू का आटा, साम्मक के चावल या आलू-सब्जी नहीं है तो बता दीजिएगा। मैं भिजवा दूंगी। सोशल डिस्टेंसिंग का यह नारा अब अपने आस-पड़ोस में उन लोगों से बातचीत करने का जरिया बन गया है, जिन्हें हम न पहले कभी देख पाते थे और न मिल पाते थे। इस बहाने परिवार में बच्चों के साथ खेल अलग खेले जा रहे हैं। इसी तरह तो मिलजुलकर जीती जाती है कोई भी जंग।

ज्योतिषी हैं तो नहीं टिक पाएगा कोरोना

कोरोना के भय से घर में कैद लोगों की चिंता भी कम नहीं है। उनके मन में एक ही सवाल बार-बार कौंधता है कि यह कोरोना वायरस आखिरकर कब खत्म होगा। डाक्टर यह बताने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार भी कह चुकी कि बचाव ही इस बीमारी का उपाय है। घर में रहोगो तो सुरक्षित रहोगे। ऐसे में विद्वान ज्योतिषी ही लोगों को उम्मीद की राह दिखा रहे हैं। हम यहां किसी ज्योतिषी को प्रमोट नहीं कर रहे, लेकिन दौर ही कुछ ऐसा चल रहा कि जब किसी ज्योतिषी की वीडियो वायरल होती है और उसमें वह बताते हैं कि 24 या 25 मार्च से कोरोना का असर कम होने लगेगा तो लोगों में उम्मीद की किरण जगने लगती है।

बहरहाल, कुछ ज्योतिषी ऐसे भी हैं, जो कोरोना के खत्म होने की अवधि को खींचकर 30 से 31 मार्च तक ले जा रहे हैं तो कुछ ऐसे हैं, जो 14 से 21 अप्रैल तक खत्म होने का दावा कर रहे हैं। बहरहाल, सच्चाई क्या है, यह तो कुदरत ही जान सकती है, लेकिन डाक्टरों के अपने प्रयास हैं, सरकार अपने प्रयास कर रही और ज्योतिषी अपने अपने हिसाब से लोगों को तनहाई में उम्मीद की किरण दिखा रहे हैं। भला हो इन ज्योतिषियों का जो, संकट की इस घड़ी में डरे सहमे लोगों का मनोबल बढ़ाते हुए कोरोना के खत्म होने की आस बंधा रहे हैं।

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