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Coronavirus Effect: कैदियों को मिलेगी तीन माह तक की सजा माफी, आठ माह तक की पैरोल व फरलो

Coronavirus Effect महामारी में संक्रमण की संभावनाओं और जेलों में कैदियों के दबाव को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जेल प्रशासन ने अहम फैसले लिए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 25 Mar 2020 02:04 PM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2020 04:18 PM (IST)
Coronavirus Effect: कैदियों को मिलेगी तीन माह तक की सजा माफी, आठ माह तक की पैरोल व फरलो
Coronavirus Effect: कैदियों को मिलेगी तीन माह तक की सजा माफी, आठ माह तक की पैरोल व फरलो

जेएनएन, चंडीगढ़। Coronavirus की महामारी में संक्रमण की संभावनाओं और जेलों में कैदियों के दबाव को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जेल प्रशासन ने अहम फैसले लिए हैं। इसके अंतर्गत कैदियों और बंदियों को फरलो और पैरोल का प्रावधान किया गया है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को एक निर्देश जारी किया था जिसकी अनुपालना पर विचार विमर्श के लिए 24 मार्च को हाई कोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा की अध्यक्षता में एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक आयोजित की गई, जिसमें जेल विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन और महानिदेशक कारागार हरियाणा के. सेलवारज ने हिस्सा लिया।

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बैठक में चर्चा कर फैसला लिया गया है कि जो कैदी पहले से ही पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर हैंं उनकी चार सप्ताह की विशेष पैरोल बढ़ाई जाएगी। बिजली एवं जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जिन कैदियों ने एक पैरोल या एक फरलो शांतिपूर्ण व्यतीत करके समय पर जेल में वापसी की थी उन्हें भी छह सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी। साथ ही जिन कैदियों की आयु 65 वर्ष से अधिक है, एक से अधिक केसों में संलिप्त नहीं हैंं और अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के केस या धारा 379 बी, पोस्को एक्ट, बलात्कार, एसिड अटैक जैसे मामले में सजायाफ्ता नहीं है, उन्हें भी अच्छे आचरण के आधार पर छह सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी, लेकिन इसमें विदेशी कैदियों को शामिल नहीं किया गया है।

जेल मंत्री रणजीत सिंह ने बताया कि ऐसे कैदी जिनकी सजा सात वर्ष से अधिक नहीं है तथा कोई भी अन्य केस माननीय न्यायालय में लंबित नहीं है या फिर कोई जुर्माना भी बकाया नहीं है उनके लिए भी जेल में अच्छा आचरण होने पर छह से आठ सप्ताह तक की विशेष पैरोल का प्रावधान रखा गया है। साथ ही इस पैरोल के प्रावधान में उन कैदियों को भी शामिल किया गया है जिनकी अधिकतम सजा सात वर्ष तक की है तथा उन पर कोई केस लंबित नहीं है और वह जमानत पर है।

हालांकि इसमें एक शर्त रखी गई है कि ऐसे कैदी ने इससे पहले ली हुई पैरोल शांतिपूर्ण व्यतीत की हो तथा अधिक मात्रा में मादक पदार्थ, धारा 379 बी, पोस्को एक्ट, बलात्कार और एसिड अटैक जैसे मामलों में सजायाफ्ता न हो। रणजीत सिंह ने कहा कि जिन कैदियों के पैरोल या फरलो के मामले पहले से ही जिलाधीश या मंडलाधीश के पास लंबित है उनके केसों को भी सहानुभूति पूर्ण नरम रुख अख्तियार करते हुए शीघ्र निपटान के कदम उठाए जाएंगे। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे लंबित केसों में तीन से छह दिन में निर्णय आवश्यक रूप से लिया जाए।

कैदियों के साथ-साथ हवालाती बंदियों के लिए भी जमानत पर रिहा करने का प्रावधान रखा गया है। ऊर्जा एवं जेल मंत्री रणजीत सिंह के अनुसार ऐसे हवालाती जो अधिकतम सात वर्ष तक की सजा के अपराध में जेल में बंद हैं तथा उन पर कोई अन्य केस माननीय न्यायालय में लंबित नहीं है और उन सभी के विरुद्ध एक से अधिक केस लंबित ना हो जिनकी कुल मिलाकर अधिकतम 7 वर्ष से अधिक की सजा नहीं बनती उन्हें भी जेल में अच्छे आचरण के आधार पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश या मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा जमानत पर रिहा किया जाएगा या फिर 45 से 60 दिन तक की अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।

कैदियों की होगी दो से तीन महीने की सजा माफ़

कैदियों की सजा को भी माफ करने का फैसला इस बैठक में लिया गया है। ऊर्जा एवं जेल मंत्री रणजीत सिंह के अनुसार जेल में अच्छे आचरण वाले कैदी बंदियों को उनकी योग्यता अनुसार पंजाब जेल मैनुअल में वर्णित प्रावधान के अनुसार दो महीने तक महानिदेशक कारागार तथा एक महीने तक जेल अधीक्षक द्वारा विशेष माफी दी जाएगी। साथ ही उन्होंने बताया कि यह माफी गंभीर अपराधों में सजायाफ्ता कैदी बंदियों को नहीं दी जाएगी।

कोरोना संक्रमण रोकने को लेकर जेल प्रसाशन सतर्क

जेल मंत्री रणजीत सिंह ने कहा की कोरोना जैसी महामारी के अंदेशे को देखते हुए हर आवश्यक कदमों को उठाया जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जेल में बंद कैदियों के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जाए। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा जेलों को पहले ही निर्देश जारी किए जा चुके हैं। रणजीत सिंह ने बताया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए कैदियों और बंदियों के लिए मानवीय आधार पर बड़े फैसले लिए गए हैं, ताकि जेलों में कैदियों के दबाव को कम किया जा सके और एहतियातन किसी भी स्थिति में लॉ एंड ऑर्डर का पालन करते हुए अगर प्रसाशन द्वारा गिरफ्तारियां होती है तो उनके लिए जेलों में जगह की उपलब्धि को सुनिश्चित किया जा सके। 

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