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सोनिया के अध्यक्ष बनते ही आजाद ने सैलजा के बहाने हुड्डा को दिलाया सियासी 'जीवनदान'

हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कुमारी सैलजा के बहाने सोनिया गांधी से नया सियासी जीवनदान दिलाया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 09:21 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 09:29 AM (IST)
सोनिया के अध्यक्ष बनते ही आजाद ने सैलजा के बहाने हुड्डा को दिलाया सियासी 'जीवनदान'
सोनिया के अध्यक्ष बनते ही आजाद ने सैलजा के बहाने हुड्डा को दिलाया सियासी 'जीवनदान'

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कुमारी सैलजा के बहाने हरियाणा कांग्रेस में अहमियत दिलाई। यह हुड्डा के सियासी करियर को 'जीवनदान' से कम नहीं है। आजाद ने डॉ. अशोक तंवर को हटाने के लिए सैलजा का नाम प्रदेश अध्‍यक्ष पद के लिए आगे का हुड्डा को भी अहमियत दिलाने की राह बनाई।

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तंवर को हटाने के लिए सोनिया की नजदीकी सैलजा के नाम का किया इस्तेमाल

निवर्तमान अध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर को पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के रहते हटाना आसान नहीं था। राहुल ने तंवर को हटाने के लिए अपनी टीम के उन वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी साफ मना कर दिया था, जो भूपेंद्र हुड्डा को प्रदेश कांग्रेस की कमान दिलाना चाहते थे। असल में राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद जब सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनीं तो हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद ने हुड्डा को पार्टी में अहमियत देने की नई पटकथा तैयार की।


आजाद का साथ हुड्डा के पैरोकार रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने दिया। खुद सोनिया गांधी से लेकर प्रियंका वाड्रा भी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपने के लिए तैयार थे मगर राहुल गांधी की हुड्डा से नाराजगी इस कदर थी कि उन्होंने भी सही वक्त आने का इंतजार किया। आजाद द्वारा हुड्डा के पक्ष में किस तरह लॉबिंग की गई, इसकी चर्चा दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में गरम है।

सूत्र बताते हैं कि एक तरफ गुलाम नबी आजाद ने हुड्डा को विधायक दल का नेता और चुनाव प्रबंधन कमेटी के चेयरमैन से लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को दिए जाने की पैरवी की तो दूसरी तरफ प्रियंका वाड्रा ने अपने भाई राहुल से तंवर को हटवाने पर मुहर लगवाई।



हुड्डा को
शायद ही पार्टी में पहले वाला रुतबा मिले
सूत्र तो यह भी कह रहे हैं कि हुड्डा को अब शायद ही पार्टी में वह रुतबा कभी मिले जो उन्होंने 2005 से 2014 तक देखा है। गुलाम नबी आजाद भी अपने मिशन में तब कामयाब हो सके जब उन्होंने सोनिया गांधी की नजदीकी कुमारी सैलजा का नाम प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया।

सैलजा और हुड्डा ने आजाद के साथ की सोनिया से मुलाकात
हरियाणा कांग्रेस की नवनियुक्त अध्यक्ष कुमारी सैलजा और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी नई जिम्मेदारी मिलने के बाद पहली बार पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ प्रदेश प्रभारी एवं गुलाम नबी आजाद भी थे। कुमारी सैलजा ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद बताया कि यह शिष्टाचार मुलाकात थी। इसमें सोनिया गांधी ने उन्हें और हुड्डा साहब को प्रदेश के सभी नेताओं को साथ लेकर चलने और संगठन मजबूत करने का संदेश दिया है।


सोनिया से मुलाकात के बाद नरम पड़े अशोक तंवर

हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद डॉ.अशोक तंवर और उनके समर्थकों के तेवर काफी तीखे रहे। तंवर समर्थकों ने नई दिल्ली में पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ये समर्थक तंवर के सामने ही आजाद के बारे में टिप्पणियां भी करते रहे। हालांकि बाद में तंवर ने आजाद के खिलाफ नारेबाजी करने वाले कार्यकर्ताओं को शांत किया।

इसके बावजूद तंवर के समर्थक गुलाम नबी आजाद पर व्यक्तिगत आरोप भी लगाते रहे। इस दौरान खुद तंवर ने चुप्पी साधे रखी। शाम को पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने के बाद तंवर के तेवर कुछ नरम पड़े। तंवर ने साफ कहा कि वे पार्टी को समर्पित रहेंगे। पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसी पर अमल करेंगे।

तंवर ने सैलजा और हुड्डा की जोड़ी को दिया सरकार बनाने का लक्ष्य
कांग्रेस के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर ने नवनियुक्त अध्यक्ष कुमारी सैलजा और विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बड़ा राजनीतिक लक्ष्य दिया। तंवर का कहना है कि लोकसभा चुनाव में पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस का वोट छह फीसद बढ़ा है। इसलिए अब नई टीम के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट 10 फीसद तक बढऩा चाहिए। इसके बाद हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बन जाएगी।

प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद तंवर अपने निराश समर्थकों के साथ दिन भर सोनिया गांधी से मुलाकात का इंतजार करते रहे। सोनिया से मुलाकात के बाद तंवर ने कहा कि वे अपनी भावनाएं अनुशासन में रहकर व्यक्त करते रहेंगे। अपनी भावनाएं कभी नहीं छुपाएंगे।

 


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