हुड्डा को पार्टी हाईकमान से नहीं मिला कोई रिस्पांड, आज रोहतक रैली में कर सकते है बड़ा ऐलान
भूपेंद्र सिंह हुड्डा समझाैता करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। उनको कांग्रेस हाईकमान से रिस्पांस नही मिला।संकेत हैं कि वह रविवार को रैली मेें बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हाईकमान से मुलाकात के इंतजार में दो दिन तक दिल्ली में रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अभी तक कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। अब हुड्डा को शनिवार शाम तक हाईकमान के निर्णय का इंतजार था, लेकिन उनको पार्टी नेतृत्व से कोई संकेत नहीं मिला। ऐसे में माना जा रहा है कि हुड्डा और उनके समर्थक आज रोहतक में हो रही रैली में कांग्रेस से अलग राह जैसा बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
हुड्डा के करीबी सूत्र बताते हैं कि हाईकमान ने हुड्डा को प्रदेश कांग्रेस की कमान नहीं सौंपी तो रविवार को रोहतक में महापरिवर्तन महारैली में शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि दो दिन तक दिल्ली में रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सोनिया और राहुल गांधी से मुलाकात नहीं हो पाने से हुड्डा समर्थकों के तेवर तल्ख हो गए हैं। हुड्डा के खासमखास व पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा ने इस बाबत रोहतक में संकेत भी दे दिए हैं। हालांकि खुद भूपेंद्र सिंह हुड्डा या उनके पुत्र पूर्व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अभी तक इस बाबत चुप्पी नहीं तोड़ी है।
एनसीपी के बड़े नेता से हो चुकी है हुड्डा की मुलाकात
सूत्र बताते हैं कि हुड्डा ने हाईकमान पर दबाव बनाने को कश्मीर मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन किया था। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार के नजदीकी एक वरिष्ठ नेता से भी दिल्ली में मुलाकात की। इसमें ही इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया कि यदि कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा की बात नहीं मानी तो वह एनसीपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
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सूत्र बताते हैं कि हुड्डा के इस फैसले से उनके साथी रहे 13 में से 4 विधायक अलग हो सकते हैं। हुड्डा के करीबी नेताओं का कहना है कि अब विधानसभा चुनाव के लिए नई पार्टी का गठन नहीं हो सकता, क्योंकि इसके लिए छह माह की प्रक्रिया चाहिए। इसलिए एनसीपी का सहारा लिया जाएगा।
हुड्डा मजबूरी में ही छोड़ेंगे कांग्रेस
हरियाणा में दो कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा यदि कांग्रेस को अलविदा कहते हैं तो यह उनकी राजनीतिक मजबूरी होगी। कांग्रेस से उनके परिवार की चार पीढिय़ों का नाता है। हुड्डा को राज्य में कांग्रेस के 17 में से 13 विधायकों का साथ मिलता रहा है। लेकिन, वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर से पार्टी की कमान छीनने में सफल नहीं हो सके।
सूत्र बताते हैं कि हुड्डा अभी तक नई पार्टी इसलिए नहीं बना पाए क्योंकि उन्हें कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव से पहले सब कुछ ठीक होने का आश्वासन दिया था। 15 अगस्त को हुड्डा कांग्रेस में मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वजारोहण कार्यक्रम में भी शरीक हुए लेकिन यहां भी उन्हें हाईकमान से सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
हाईकमान की अनदेखी के बाद ही हुड्डा ने दिल्ली में 28 जुलाई को रोहतक में 18 अगस्त को रैली आयोजित करने का ऐलान किया था। तब हुड्डा की यह सोच थी कि इस पर दबाव में हाईकमान अगले एक सप्ताह में उन्हें प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप देगा।
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