अधिकार क्षेत्र से बाहर जा हरियाणा सरकार ने केंद्रीय कानून में किया संशोधन, हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब
केंद्रीय कानून राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्युजिशन एक्ट - 2013 में हरियाणा सरकार संशोधन कर दिया। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार का जवाब तलब किया है।
चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। 'राइट टू फेयर कंपनसेशन एंड ट्रांसपेरेंसी इन लैंड एक्युजिशन एक्ट - 2013' एक केंद्रीय एक्ट है, जिसमें हरियाणा सरकार ने संशोधन कर दिया है। इस कानून में बदलाव का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है, लेकिन हरियाणा सरकार इसमें गलत तरीके से संशोधन कर भूखंडों पर कब्जे लेने में लगी है। यह आरोप पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में लगाया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया है।
याची गुरुग्राम निवासी सुखबीर व कुछ अन्य की तरफ से पेश हुए वकील संदीप शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस एक्ट की धारा 24 (2) में यह प्रावधान था कि अगर किसी व्यक्ति ने भूखंड के अधिग्रहण के बाद मुआवजा न लिया हो या उसका जमीन पर कब्जा हो तो उसके भूखंड को अधिग्रहण के बाद भी छोड़ा जा सकता है। इसी प्रावधान के तहत प्रदेश में काफी संख्या में भूखंड रिलीज किए गए थे, लेकिन 24 मई 2018 को हरियाणा सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर केंद्रीय बिल में संशोधन कर एक्ट की धारा 24(2) को खत्म कर दिया।
याची के अनुसार सन 2000 में प्रदेश सरकार ने जनहित के नाम पर उसके भूखंड के अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी की थी। 2003 में उसने मुआवजा भी लिया था। उसके भूखंड में मंदिर, समाधि व कुछ शेल्टर का निर्माण हुआ है और भूखंड पर अभी उसका कब्जा है। अब उसे यहां से हटने का नोटिस जारी कर दिया गया है, जबकि उसके गांव में उसके भूखंड के पास कई भूखंडों को एक्ट की धारा 24 ( 2 ) के तहत रिलीज कर दिया गया था।
याची ने हाईकोर्ट से मांग की है कि वह हरियाणा सरकार की उस अधिसूचना को रद करे जिसके तहत राज्य सरकार ने नियमों के खिलाफ जाकर केंद्र सरकार के एक्ट में संशोधन कर 24 (2) को खत्म कर दिया। याची ने कोर्ट से उसकी अधिग्रहण की गई जमीन को भी रिलीज करने की याचना की है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद कंट्री एंड टाउन प्लानिग के प्रधान सचिव, गुरुग्राम के जमीन अधिग्रहण अधिकारी व हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के प्रशासक को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है।