Move to Jagran APP

Supreme Court ने कहा- SYL पर करें तीनों सरकारेें बैठक, बात नहीं बनेेेेगी तो हम कराएंगे आदेश लागू

सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब हरियाणा और केंद्र सरकार को मीटिंग करने को कहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 03:03 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 09:22 AM (IST)
Supreme Court ने कहा- SYL पर करें तीनों सरकारेें बैठक, बात नहीं बनेेेेगी तो हम कराएंगे आदेश लागू
Supreme Court ने कहा- SYL पर करें तीनों सरकारेें बैठक, बात नहीं बनेेेेगी तो हम कराएंगे आदेश लागू

जेएनएन, चंडीगढ़। सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और केंद्र सरकार को मीटिंग करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि तीनों पक्ष एक बार कोर्ट के आदेश को लागू करने को लेकर मीटिंग करें। अगर तीनों की मीटिंग से कोई  नतीजा नहीं निकलता तो हम अपना आदेश लागू कराएंगे। सुप्रीम कोर्ट 3 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई करेगा।

loksabha election banner

SYL नहर हमेशा से राजनीतिक दलों के लिए वोटों की खान रही। आज तक नहर में पानी की एक बूंद भले नहीं आई, लेकिन सियासी फसलें खूब लहलहाईं। पांच दशकों से लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा, सियासी दलों की खिचड़ी पकती रही। प्यास बुझने की आस में बेचारी जनता ने कभी किसी दल को सर-माथे पर बैठाया तो कभी उम्मीद टूटने पर सत्ता से बाहर की हवा खिलाई, मगर नहर सूखी ही रही। सियासी दलों की नूरा कुश्ती में सबसे बड़े पंच (सुप्रीम कोर्ट) ने दो बार हरियाणा के पक्ष में फैसला भी सुनाया, लेकिन बड़ा भाई पंजाब हक देने को तैयार नहीं।

लंबी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के बाद भी मामले में कोई हल नहीं निकला है। केंद्र सरकारें भी लगातार जहां सीधे दखल से बचती रहीं, वहीं दो राज्यों से जुड़ा मसला होने के कारण राष्ट्रीय दलों के सुर पंजाब में कुछ और होते हैं तो हरियाणा में कुछ और। अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव में SYL मुद्दा बनी है।

नहर निर्माण की अधिसूचना जारी हुए 43 साल बीत गए हैं। इस दौरान हरियाणा में आठ मुख्यमंत्रियों ने सोलह बार सरकारें बनाईं, लेकिन पंजाब से पानी कोई नहीं ला पाया। कई मौके आए जब पंजाब, हरियाणा और केंद्र में एक ही पार्टी या सहयोगी दलों की सरकारें रहीं, लेकिन पानी का विवाद सुलझाने में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।

70 और 80 के दशक में SYL के निर्माण की शुरुआत चौधरी देवीलाल ने की। बाद के दशकों में वोट के लिहाज से नहरी पानी भले ही ज्यादा फायदेमंद न रहा हो, मगर राजनेताओं ने मुद्दे को मरने नहीं दिया। 1976 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता की अगुवाई में हरियाणा ने अपने हिस्से में नहर की खोदाई शुरू की। 1980 में नहर निर्माण का काम पूरा कर लिया गया। चुनावों में इसका पूरा फायदा कांग्रेस को मिला और तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने फिर सरकार बनाई।

1987 में चौधरी देवीलाल को सत्ता दिलाने में SYL ने मुख्य किरदार निभाया। नहर को लेकर राजीव-लोंगोवाल समझौते का लोकदल व भाजपा ने पुरजोर विरोध किया। तब तक भजनलाल केंद्र में चले गए थे और बंसीलाल के हाथों में कमान आ चुकी थी। समझौते में हरियाणा के हिस्से के पानी को घटाने पर देवीलाल ने न्याय युद्ध छेड़ा और 23 जनवरी 1986 को जेल भरो आंदोलन किया। नतीजन, 1987 में लोकदल व भाजपा ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 85 पर जीत दर्ज करते हुए इतिहास रच दिया।

SYL नहर की स्थिति

  • 212 किलोमीटर कुल लंबाई
  • 91 किमी के अपने हिस्से की नहर बना चुका हरियाणा। अंबाला से करनाल के मूनक तक जाती नहर।
  • 121 किमी नहर बननी थी पंजाब में, टुकड़ों में निर्माण के बाद अधिकतर हिस्सा फिर पाटा
  • 42 किलोमीटर हिस्सा पटियाला-रोपड़ में समतल कर दिया किसानों ने
  • 06 जिलों रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, मेवात, गुरुग्राम, फरीदाबाद और झज्जर को SYL बनने पर सर्वाधिक फायदा

ऐसे चला विवाद

  • 24 मार्च 1976 : केंद्र सरकार ने SYL की अधिसूचना जारी करते हुए हरियाणा के लिए 3.5 एमएएफ (मीट्रिक एकड़ फीट) पानी तय किया।
  • 31 दिसंबर 1981 : हरियाणा में SYL का निर्माण पूरा। पंजाब रहा निष्क्रिय।
  • 8 अप्रैल 1982 : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव में नहर की नींव रखी। आतंकवादियों ने इसे मुद्दा बना लिया जिससे पंजाब में हालात बिगड़ गए।
  • 24 जुलाई 1985 : राजीव-लौंगोवाल समझौता हुआ।
  • 5 नवंबर 1985 : पंजाब विधानसभा में दिसंबर 1981 में हुई जल समझौते के खिलाफ प्रस्ताव पारित।
  • 30 जनवरी 1987 : राष्ट्रीय जल प्राधिकरण ने पंजाब को उसके हिस्से में नहर निर्माण तुरंत पूरा करने का आदेश दिया।
  • 1996 : समझौता सिरे नहीं चढऩे पर हरियाणा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट।
  • 15 जनवरी 2002 : सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को एक साल में SYL बनाने का निर्देश दिया।
  • 4 जून 2004 : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब की याचिका खारिज हुई।
  • 12 जुलाई 2004 : पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने विधानसभा में 'पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट्स एक्ट 2004' लागू किया।
  • संघीय ढांचा खतरे में देख राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से रेफरेंस मांगा। 12 साल मामला ठंडे बस्ते में रहा।
  • 14 मार्च 2016 : पंजाब विधानसभा में सतलुज-यमुना लिंक कैनाल (मालिकाना हकों का स्थानांतरण) विधेयक पास कर नहर के लिए अधिगृहीत 3,928 एकड़ जमीन वापस किसानों को वापस कर दी गई। पंजाब में SYL के लिए कुल 5,376 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी जिसमें 3,928 एकड़ पर SYL और बाकी हिस्से में डिस्ट्रीब्यूट्रीज बननी थी। पंजाब ने हरियाणा सरकार का 191 करोड़ रुपये का चेक लौटा दिया जिसके बाद स्थानीय किसानों ने नहर को पाट दिया।
  • 20 अक्टूबर 2015 : मनोहर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति के रेफरेंस पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया।
  • 10 नवंबर 2016 : सुप्रीम कोर्ट ने फिर हरियाणा के पक्ष में दिया फैसला। पंजाब ने अभी तक शुरू नहीं किया निर्माण।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.