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10 ग्राम वजन से लेकर एक फीट तक के आम, इनकी चीन-जापान व खाड़ी देशों में भी है खास डिमांड

सहारनपुर स्थित शोएब मैंगो फार्म्स के उस्मान ने आम केसरी खिताब जीता। दूसरा खिताब देहरादून के निर्मल नर्सरी के निर्मल तोमर को मिला।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 04:01 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 09:04 PM (IST)
10 ग्राम वजन से लेकर एक फीट तक के आम, इनकी चीन-जापान व खाड़ी देशों में भी है खास डिमांड
10 ग्राम वजन से लेकर एक फीट तक के आम, इनकी चीन-जापान व खाड़ी देशों में भी है खास डिमांड

पिंजौर/कालका [सौरव बत्रा]। यहां लगे 28वें मैंगो मेले के दूसरे व अंतिम दिन रविवार को बागवानी विभाग आम उत्पादकों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का परिणाम घोषित कर दिया गया। सहारनपुर स्थित शोएब मैंगो फार्म्स के उस्मान ने आम केसरी खिताब जीता। दूसरा खिताब देहरादून के निर्मल नर्सरी के निर्मल तोमर को मिला। सहारनपुर के ही राव अरशद को सांत्वना पुरस्कार मिला। 

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13वींं बार लगातार जीता आम केसरी का अवार्ड

बाप-दादा ने किसान मजदूर की तरह आम के पेड़ लगाए थे जो आज करीब 30 एकड़ के बाग में तबदील हो चुका है। उक्त शब्द उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर के गांव रायपुर के आम उत्पादक उस्मान ने 13वीं बार आम केसरी का खिताब जीतने के बाद दैनिक जागरण से कहे। उन्होंने बताया कि उनके यहां 30 एकड़ में आम का बाग है, जिसमें करीब 350 तरह के आम की किस्में हैं। इनमें से 185 तरह के आम वह डिस्प्ले के लिए इस बार मैंगो मेलेे में लाए हैंं।

खाड़ी के देशोंं व चीन-जापान तक जाता है उस्मान का आम

उस्मान ने बताया कि पिछले दो सालोंं से वह आमोंं का निर्यात भी कर रहे हैंं। उनके आम चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया समेत खाड़ी के देशोंं में भी निर्यात होते हैंं। उस्मान के अनुसार विदेशोंं में आम की लंगड़ा, दशहरी, केसर, अल्फान सेर की डिमांड ज्यादा है। उन्होंने कहा कि शुरू में करीब डेढ़ टन आम का ही निर्यात किया जा रहा है। विदेशोंं में आम जाने से आय भी अच्छी होती है।

वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कर चुके हैंं सम्मानित

उस्मान ने बताया कि उसको गत वर्ष उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ मैंगो मेले में सम्मानित कर चुके हैंं। उन्होंने इस बार पिंजौर के मैंगो मेलेे की तारीफ करते हुए कहा कि इस बार पहले से बेहतर कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

सभी आम जैविक तरीके से उगाए जाते हैं

उस्मान ने बताया कि उसके यहां लगाए जाने वाले सभी साढ़े तीन सौ तरह के आम बिना केेमिकल उगाए जाते हैंं। उनके यहां सबसे भारी आम जाली अंडा है, जो करीब डेढ़ किलो का है। वहीं, अंगूर दाना सबसे कम वजन वाला है, जिसका वजन करीब दस ग्राम है। वहीं सबसे लंबा आम न्योरा है जिसकी लंबाई करीब एक फीट होगी।

निर्मल तोमर को मिला दूसरा इनाम

वहीं, देहरादून के पास के गांव सिंद हरबर्टपुर के आम उत्पादक व निर्मल नर्सरी को आम केसरी (टू) का अवार्ड दिया गया है। आम उत्पादक निर्मल तोमर ने बताया कि वह चौथी बार आम मेले में भाग लेने आया है। उसने बताया कि यहां इससे पहले वह दो बार लगातार इनाम जीत चुका है। उसने बताया कि वर्ष 2017 में उसने पिंजौर के ही आम मेला में तीसरा ईनाम जीता था। वहीं, पिछले साल और इस साल दूसरा ईनाम जीता है। वह मैंगो मेले में 71 तरह के आम लेकर आया है। उसका बाग 2 हेेक्टेयर में है। उसके पास पूसा पितांंबर आम है।

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