1500 करोड़ का जीएसटी फर्जीवाड़ा: गिफ्ट कार्ड खरीदने के तार तेलंगाना-महाराष्ट्र के बैंकों से जुड़े
1500 करोड़ के जीएसटी फर्जीवाड़े को लेकर अभी दो फर्म को समन भेजे गए हैं। मामले के तार महाराष्ट्र और तेलांगाना से भी जुड़ रहे हैं।
रोहतक/हिसार [अरुण शर्मा/वैभव शर्मा]। सेंट्रल जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की ओर से हिसार और फतेहाबाद में 1500 करोड़ रुपये के फर्जी लेनदेन पकड़े जाने के बाद अब इस मामले के तार दूसरे कई राज्यों से भी जुड़ते नजर आ रहे हैं। जांच में सामने आ रहा है कि गिफ्ट कार्ड बैंकों से कार्पोरेट स्तर पर खरीदे गए। अभी बैंकों से जिन फर्मों या कंपनियों ने कार्ड खरीदे हैं उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया है। फिलहाल दो फर्मों को ई-मेल से समन भेजकर जांच में शामिल होने को कहा गया है। संबंधित फर्मों का पता तेलंगाना का दिया गया है। तीन प्रमुख बैंकों के नाम भी सामने आ रहे हैं। इनमें एक बैंक महाराष्ट्र के शोलापुर की बताई गई है।
सूत्रों का कहना है कि गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए फर्जी फर्मों ने जो पते दिए हुए हैं उन सभी से संपर्क किया गया है। तेलंगाना की कंपनी ने कोरोना के चलते जांच में शामिल होने के लिए समय मांगा है। इनसे पूछताछ के बाद इस खेल के बड़े खिलाड़ियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
जीएसटी आयुक्त कार्यालय रोहतक के तहत आने वाले हिसार मंडल के असिस्टेंट कमिश्नर सचिन अहलावत का कहना है कि फर्मों ने गिफ्ट कार्ड व दूसरे सामान खरीदने के लिए जाली दस्तावेजों का उपयोग किया। जिन लोगों के जाली दस्तावेज लगाए गए हैं उनका प्रोफाइल चेक किया जा रहा है। स्वाइप के बाद उनके खातों में ट्रांसफर होने वाली रकम का भी ब्योरा तैयार किया जा रहा है। वहीं, जीएसटी फर्जीवाड़े में अकेले हिसार की 10-12 फर्म हो सकती हैं।
बैंकों की भूमिका भी संदिग्ध
बैंकों की ओर से केवाइसी यानी नो योर कस्टमर के नियमों को ताक पर रखा गया। सवाल उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर धरातल पर मौजूद न होने वाली फर्मों ने स्वाइप के जरिए फर्जीवाड़ा कर दिया और बैंकों को पता कैसे नहीं चला। बैंकों ने आखिर इस मामले में जाली दस्तावेजों से खुलवाए गए बैंक खातों पर शिकंजा क्यों नहीं कसा।
कार्पोरेट स्तर से बड़ी धांधली की आशंका
जांच अधिकारी भी फर्जीवाड़े को देखकर हैरान हैं। दावा किया जा रहा है कि कार्पोरेट स्तर पर इतने बड़े पैमाने पर गिफ्ट कार्ड जारी होते हैं। आखिर बैंकों से डिस्ट्रीब्यूटर या फिर फर्मों तक गिफ्ट कार्ड कैसे पहुंचे। जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यूं तो जांच तमाम एंगल पर हो रही है, लेकिन लो प्रोफाइल लोगों के खातों में स्वाइप के बाद लाखों रुपये की रकम जमा होना जांच में अहम मानी जा रही है। इनमें कुछ ने रिफंड के लिए आवेदन कर दिए हैं। इनमें से कुछ ने रिफंड लिया तो तमाम अभी रडार पर हैं। इस प्रकरण में फर्जी बिल भी तैयार होने की बात सामने आ रही है।
1500 करोड़ के लिए 15 लाख बार कार्ड हुए स्वाइप, रातभर में 50 लाख का करते थे स्वाइप
गिफ्ट कार्ड स्वाइपिंग मामले में सामने आया है कि 1500 करोड़ रुपये के अवैध लेनदेन में करीब 15 लाख बार कार्ड स्वाइप किए गए। इसमें हजारों कार्ड सेंट्रल जीएसटी (केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर) विभाग जब्त कर चुका है। बड़ी बात यह कि अधिकांश कार्ड रात में स्वाइप किए गए। इस खेल को खेलने वाले लोग एक-एक रात में 50 लाख रुपये तक की कीमत का कार्ड स्वाइप कर दिया करते थे। सिर्फ यही नहीं बल्कि कुछ मामलों में तो गिफ्ट कार्डों का प्रयोग अवैध लेनदेनों में होने लगा था। अगर किसी को ब्लैक में धनराशि देनी है तब उस व्यक्ति को उतनी कीमत के गिफ्ट कार्ड थमा दिए जाते थे।
950 मोबाइलों का फर्म ने भरा टैक्स
फतेहाबाद के भट्टू में जिस 200 वर्ग गज के घर में सेंट्रल जीएसटी की अधिकारियों ने छापेमारी की थी वहां से 950 मोबाइल बरामद हुए थे। जिस फर्म के यहां से यह माल बरामद हुआ उसने करीब 17 लाख रुपये का टैक्स जमा भी कर दिया है। हालांकि जांच में यह फर्म शामिल रहेगी।
गिफ्ट कार्ड मामले में तीन बड़े अपराध
1 कमीशन पर सरकार को मिलने वाले टैक्स का न मिलना।
2 कार्ड का प्रयोग माल व सर्विस के लिए न करके नकली लेनदेन करना जो रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन है।
3 फर्जी आइडी का प्रयोग करना।
सभी बिंदुओं पर जांच कर रहे
जीएसटी आयुक्त विजय मोहन जैन का कहना है कि सभी बिंदुओं पर जांच कर रहे हैं। जांच में तमाम बिंदु ऐसे हैं जिन्हें अभी उजागर करना जल्दबाजी होगा। जिस स्तर से फर्जीवाड़ा हुआ है उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
गिफ्ट कार्ड स्वाइप करने वाले ने खोल दी 1500 करोड़ रुपये के घोटाले की पोल
पेजप्प एप के जरिए 1500 करोड़ रुपये का फ्रॉड करने वाले लोगों का चेहरा बेनकाब करने वाला युवक कालांवाली के वार्ड नं. 7 निवासी मोहित गोयल है। 16 मई 2020 को मोहित ने एसआइटी हिसार के इंचार्ज को एक शिकायत दी थी, जिसमें कहा था कि वह पहले कंप्यूटर सेंटर चलाता था। उसका दोस्त रोहित बांसल निवासी कालांवाली डबवाली के अरविंद्र मोंगा उर्फ शिंपा को जानता था। एक दिन अरविंद मोंगा उसकी दुकान पर आया, उससे कहा कि वह कई पेट्रोल पंपों, फर्मों का अकाउंट देखता है। उसे इंटरनेट से संबंधित कार्य करने की ऑफर दी।
मोहित गोयल ने एसआइटी को बताया कि इस कार्य के बदले उसे रोजाना 500 रुपये मिलते थे। सितंबर 2019 में उसने खबर पढ़ी कि पेजप्प एप के खिलाफ केस दर्ज हो गया है तो उसे पता चला कि जो आइडी उसे दी गई थी, वो फर्जी थी। गोयल ने ही मोंगा के नेटवर्क की जानकारी एसआइटी को दी थी। उसने जो रिकॉर्ड पेश किया था, उसके आधार पर एसआइटी ने कालांवाली निवासी योगेश जैन की शिकायत पर दर्ज किए गए केस में कई अन्य धाराएं जोड़ी थी। एसआइटी ने जांच में पाया कि मोंगा ने उपरोक्त एप की हजारों आइडी का प्रयोग किया है जो फर्जी हैं।
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