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छत्तीसगढ़ से 10वीं के बाद सीधे 12वीं पास, हरियाणा में पकड़ में आया गड़बड़झाला, स्टेट क्राइम ब्रांच करेगी जांच

पंजाब से फार्मेसी कर पंजीकरण के लिए कुछ छात्र हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल पहुंचे तो बड़ी गड़बड़ी सामने आई। इन छात्रों ने 10वीं के बाद एक ही साल में सीधे 12वीं का प्रमाण पत्र लिया। मुख्यमंत्री के आदेश पर अब हरियाणा स्टेट क्राइम ब्रांच इसकी जांच करेगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 05:20 PM (IST)Updated: Sat, 27 Mar 2021 05:20 PM (IST)
छत्तीसगढ़ से 10वीं के बाद सीधे 12वीं पास, हरियाणा में पकड़ में आया गड़बड़झाला, स्टेट क्राइम ब्रांच करेगी जांच
छतीसगढ़ से 10वीं के बाद सीधे 12वीं का सर्टिफिकेट। सांकेतिक फोटो

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। छत्तीसगढ़ से दसवीं के बाद एक ही साल में बारहवीं कक्षा पास करवाने के गड़बड़झाले की जांच अब हरियाणा स्टेट क्राइम ब्रांच करेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इस बाबत जल्द जांच रिपोर्ट मांगी है। जांच के इस आदेश के साथ स्टेट फार्मेसी काउंसिल द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रपत्र भी संलग्न किए गए हैं, जिनमें इस पूरे गड़बड़़ी़ का विवरण है।

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विज्ञान संकाय में बिना 11वीं कक्षा पास कराए बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन बिलासपुर (छत्तीसगढ़) की तरफ से 12वीं पास के सर्टिफिकेट दिए हुए हैं। इसमें हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के लोगों का गिरोह शामिल है। छत्तीसगढ़ सरकार के शिक्षा सचिव ने अपनी जांच में माना है कि जिस बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से 12वीं पास की मार्कशीट जारी की गई हैं, असल में यह एक शिक्षा बोर्ड न होकर ट्रस्ट है। इसे छत्तीसगढ़ सरकार या छत्तीसगढ़ की किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से कोई मान्यता नहीं है।

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असल में यह गड़बड़झाला तब सामने आया जब पिछले एक साल में पंजाब से फार्मेसी में डिप्लोमा करने वाले 300 छात्र हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण के लिए पहुंचे। इन छात्रों से पंजीरकण के लिए जब 11वीं और 12वीं कक्षा के उत्तीर्ण प्रमाण पत्र मांगे तो इन्होंने दसवीं कक्षा के बाद सीधे 12वीं पास के ही प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए।

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छात्रों द्वारा जो प्रमाण पत्र पेश किए गए वह बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के थे। काउंसिल ने जब इस बोर्ड की मान्यता के बारे में पता लगाया तो मामला कुछ और ही निकला। इसके आधार पर काउंसिल ने इन छात्रों का पंजीकरण नहीं किया। इससे इनमें से कुछ छात्रों ने उच्च न्यायालय की शरण ले ली। इसमें कोर्ट ने हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग को भी नोटिस किया हुआ है।

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इसके बाद हरियाणा सरकार ने सारे तथ्यों की जांच कराई। जांच में पाया कि इस बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन बिलासपुर (छत्तीसगढ़) का पंजीकरण एक न्यास (ट्रस्ट) के रूप में 11 अक्टूबर 2012 को हुआ था। ट्रस्ट में शामिल लोग हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के हैं। सबसे अहम तो यह है कि इस ट्रस्ट के पंजीकरण के महज 70 दिन बाद ही एक छात्र को 12वीं पास की मार्कशीट मिली हुई है। यह छात्र भी पंजाब से फार्मेसी करने के बाद हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण के लिए पहुंचा था।

हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन धनेश अदलखा की फाइल फोटो।

स्टेट क्राइम ब्रांच की जांच में आएंगे तथ्य सामने

हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन धनेश अदलखा का कहना है कि यह एक बड़ा गड़बड़झाला है। कुछ लोगों का एक गिरोह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में इस बोर्ड के माध्यम से छात्रों को 12वीं की मार्कशीट उपलब्ध कराता है। अपने पंजीकरण के नौ साल बाद पहली बार यह बोर्ड एक्सपोज हो रहा है। अब स्टेट क्राइम ब्रांच की जांच में सभी तथ्य सामने आएंगे क्योंकि अभी तक हरियाणा के ही 300 छात्रों के साथ धोखाधड़ी सामने आई है। इस तरह के कृत्य इस गिरोह ने अन्य राज्यों में किया हुआ हो सकता है।


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