भूपेंद्र सिंह हुड्डा व ओमप्रकाश चौटाला की तकरार में पिसते रहे हरियाणा में चयनित 102 एचसीएस
हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2004 में 102 एचपीएस अफसरों की भर्ती निकली थी। रिजल्ट जब आया तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार आ गई। इसके बाद चयनित 102 एचपीएस अफसर हुड्डा-चौटाला की तकरार में पिस गए।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पानीपत के तहसीलदार डा. कुलदीप मलिक समेत 22 एचसीएस अफसरों का पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर केस काफी साफ है। जनवरी 2004 में 102 एचसीएस अफसरों की भर्ती निकली थी और दिसंबर 2004 में रिजल्ट घोषित हो गया था। तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी सुनील आहूजा ने चुनाव आचार संहिता की वजह से उन्हें ज्वाइन नहीं कराया था। मार्च 2005 में कांग्रेस की सरकार आ गई और भूपेंद्र हुड्डा मुख्यमंत्री बन गए। हुड्डा और चौटाला के बीच छत्तीस का आंकड़ा था। लिहाजा, हुड्डा ने चौटाला के राज में चयनित एचसीएस अफसरों को ज्वाइन नहीं कराया।
हुड्डा ने इन अफसरों के चयन की जांच कराने की बात कही। पूरा मामला हुड्डा और चौटाला की लड़ाई में लंबा चलता रहा। केस लंबा हुआ तो हाई कोर्ट ने तीन महीने में जांच पूरी करने के आदेश दिए, जिसके बाद 2011 में रिपोर्ट आई कि 38 एचसीएस की आंसरशीट सही है और 64 की गलत है। एक जांच रिपोर्ट के आधार पर मनोहर सरकार ने 2016 में 38 एचसीएस को ज्वाइन करा दिया, जो अब सरकार के लिए मुसीबत बने हुए हैं।
एचसीएस ज्वाइन नहीं कर पाए तो आइएएस, आइपीएस और आइआरएस बन गए कई अधिकारी
चौटाला राज में चयनित 102 एचसीएस अफसरों में से कई ने अन्य सेवाओं में नौकरी ज्वाइन कर ली। उन्हें जब ज्वाइनिंग नहीं मिली तो किसी तरह के विवाद में पड़ने के बजाय इन अफसरों ने अन्य परीक्षाएं दी और अपनी काबिलियत के बूते अच्छे पद हासिल किए। नेहा बंसल और भीम सिंह आइएएस बने तो पंकज नैन आइपीएस बन गए। पंकज नैन फिलहाल खेल निदेशक हैं। महावीर सिंह, सुरेंद्र, मनोज, एस दहिया और रमेश आइआरएस अधिकारी चयनित हो गए। अशवीर सिंह, जितेंद्र, सुरेश रावीश और प्रीतपापल सिंह बीडीओ से एचसीएस बन गए।
2004 के बाद 2009 में एचसीएस की परीक्षा हुई, जिसमें पांच लोग सतीश सैनी, प्रदीप कौशिक, अमित गुलिया, विजेंद्र हुड्डा और डा. वेद एचसीएस चयनित हो गए। इसके बाद फिर 2013 में परीक्षा हुई, जिसमें डा. कुलदीप मलिक तहसीलदार बन गए। उस समय अन्य अभ्यर्थियों का चयन भी हुआ। जिन 22 एचसीएस अफसरों ने कोर्ट में केस कर रखा है, उसमें से कई अन्य सेवाओं में चले गए। 2004 की एचसीएस परीक्षा में चयनित डा. कुलदीप मलिक की आंसरशीट में दो अंक कम हुए। इसके बावजूद वह एचसीएस लगने के पात्रों में शामिल थे।