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हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, जिसे कांटा समझ निकाला था अब वही पड़ेगा भारी

गुटों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करने की मंशा से पार्टी हाईकमान हरियाणा में रणदीप सिंह सुरजेवाला पर दांव खेल सकता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 07:41 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 08:32 AM (IST)
हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, जिसे कांटा समझ निकाला था अब वही पड़ेगा भारी
हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, जिसे कांटा समझ निकाला था अब वही पड़ेगा भारी

जेएनएन, चंडीगढ़। जींद विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद जिस नेता को हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता 'कांटा निकल गया' समझ रहे थे अब वही सब पर भारी पड़ सकता है। लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद हरियाणा कांग्रेस में बदलाव का खाका लगभग तैयार हो चुका है। गुटों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करने की मंशा से पार्टी हाईकमान हरियाणा में रणदीप सिंह सुरजेवाला पर दांव खेल सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सबसे विश्वसनीय सुरजेवाला को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है। चार जून को दिल्ली में होने वाली बैठक में उनके नाम पर मुहर लग सकती है।

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हरियाणा कांग्रेस के मौजूदा प्रधान डॉ. अशोक तंवर पिछले पांच सालों में आज तक जिला व ब्लाक स्तर का संगठन नहीं खड़ा कर पाए हैं। तंवर ने हालांकि कई बार कोशिश भी की, मगर उनके विरोधी नेताओं ने तंवर के प्रयासों को इसलिए सिरे नहीं चढऩे दिया, क्योंकि लिस्ट में सभी गुटों को भरपूर तथा वाजिब हिस्सेदारी नहीं दी गई थी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता चुनाव लड़े। सभी की हार हुई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस हार का कारण राज्य कांग्रेस में संगठन की कमी को बताया है।

कांग्रेस हाईकमान ने हालांकि पार्टी नेताओं की हार के लिए सीधे तौर पर किसी नेता को दोषी नहीं ठहराया, लेकिन उसे लगता है कि बिना संगठन में बदलाव के पार्टी को हरियाणा में भाजपा की टक्कर में खड़े रखना नामुमकिन है, इसलिए किसी सर्वमान्य नेता को संगठन की बागडोर सौंपी जानी चाहिए। हुड्डा समर्थक विधायकों की प्रदेश अध्यक्ष पद पर लंबे समय से निगाह है। इसके लिए वे पिछले कई सालों से लाबिंग भी कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि हुड्डा सोनीपत से इसी शर्त पर चुनाव लड़ने को तैयार हुए थे कि नतीजों के बाद तंवर को प्रधान पद से हटाया जाएगा।

हाईकमान का भरोसा जीतने में लगे कुलदीप बिश्नोई

हुड्डा सोनीपत से चुनाव हार गए, जबकि उनके बेटे दीपेंद्र ने एक योद्धा की तरह चुनाव लड़ा है। ऐसा सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। दीपेंद्र की अरविंद शर्मा से हार मात्र सात हजार मतों से हुई है। कांग्रेस में अध्यक्ष पद के अन्य तमाम दावेदार भी चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस हाईकमान चाहता था कि कुलदीप बिश्नोई को हरियाणा कांग्रेस की बागडोर सौंपी जाए, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनके भाजपा में जाने की अफवाहों तथा हिसार से बेटे भव्य बिश्नोई की हार ने कुलदीप की राह में कांटे बो दिए हैं। इसके बावजूद उनके प्रयास जारी हैं।

कांग्रेस में बन रहे कई तरह के समीकरण

कांग्रेस हाईकमान के सामने अब दलित चेहरे के रूप में कुमारी सैलजा के रूप में बड़ा नाम बचा है, लेकिन हाईकमान के सामने प्रस्ताव दिया गया कि रणदीप सुरजेवाला राज्य के तमाम राजनीतिक मिजाज से वाकिफ हैं और वे भाजपा को मजबूती के साथ टक्कर देकर गुटों में बंटे सभी नेताओं को साथ लेकर चल सकते हैं। लिहाजा उन्हें प्रधान पद सौंप दिया जाए। इसके बावजूद हुड्डा गुट प्रदेश अध्यक्ष के पद पर अपनी पसंद का कोई दावेदार उतारने के प्रयासों में कमी नहीं लाएगा। रविवार को अशोक तंवर ने फतेहाबाद में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का संकेत भी दिया है। इसको हरियाणा कांग्रेस में बदलाव की प्रक्रिया से जोड़कर देखा जा रहा है।

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