Move to Jagran APP

40 दिन पूजन से मनोकामना पूरी करती है मां मनसा देवी

जागरण संवाददाता, पंचकूला : सतयुगी सिद्घ माता मनसा देवी के मंदिर में यदि कोई भक्त सच्चे मन से 40 दि

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 07:15 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 07:15 PM (IST)
40 दिन पूजन से मनोकामना पूरी करती है मां मनसा देवी
40 दिन पूजन से मनोकामना पूरी करती है मां मनसा देवी

जागरण संवाददाता, पंचकूला : सतयुगी सिद्घ माता मनसा देवी के मंदिर में यदि कोई भक्त सच्चे मन से 40 दिन तक निरंतर पूजा करता है, तो माता उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती है। माता मनसा देवी का चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मेला लगता है। माता मनसा देवी के मंदिर को लेकर कई धारणाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं। श्रीमाता मनसा देवी का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि अन्य सिद्घ शक्तिपीठों का। श्रीमाता मनसा देवी के प्रकट होने का उल्लेख शिव पुराण में मिलता है। माता पार्वती हिमालय के राजा दक्ष की कन्या थी व अपने पति भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर उनका वास था। कहा जाता है कि एक बार राजा दक्ष ने अश्वमेध यज्ञ रचाया और उसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, परन्तु इसमें भगवान शिव को नहीं बुलाया, इसके बावजूद भी पार्वती ने यज्ञ में शामिल होने की बहुत जिद्द की। महादेव ने कहा कि बिना बुलाए वहा जाना नहीं चाहिए और यह शिष्टाचार के विरुद्घ भी है। अंत में विवश होकर मा पार्वती का आग्रह शिवजी को मानना पड़ा। हवन यज्ञ में जब शिवजी का भाग नहीं निकाला, तो पार्वती को आघात पहुंचा था और खुद को यज्ञ में की अग्नि में होम कर दिया था। यह सुनकर शिवजी बहुत क्रोधित हुए और वीरभद्र को महाराजा दक्ष को खत्म करने के लिए आदेश दिए। क्रोध में वीरभद्र ने दक्ष का मस्तक काटकर यज्ञ विघ्वंस कर डाला। शिवजी ने जब यज्ञ स्थान पर जाकर सती का दग्ध शरीर देखा तो सती-सती पुकारते हुए उनके दग्ध शरीर को कंधे पर रखकर भ्रांतचित से ताडव नृत्य करते हुए देश देशातंर में भटकने लगे। भगवान शिव का उग्र रूप देखकर ब्रह्मा आदि देवताओं को बड़ी चिंता हुई। शिवजी का मोह दूर करने के लिए सती की देह को उनसे दूर करना आवश्यक था, इसलिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से लक्ष्यभेद कर सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया। वे अंग जहा-जहा गिरे, वहीं, शक्तिपीठों की स्थापना हुई और शिव ने कहा कि इन स्थानों पर भगवती शिव की भक्तिभाव से आराधना करने पर कुछ भी दुलर्भ नहीं होगा, क्योंकि उन-उन स्थानों पर देवी का साक्षात निवास रहेगा। देवी के मस्तिष्क का अग्र भाग गिरने से मनसा देवी आदि शक्तिपीठ देश के लाखों भक्तों के लिए पूजा स्थल बन गए हैं। श्री माता मनसा देवी की मान्यता के बारे पुरातन लिखित इतिहास तो उपलब्ध नहीं है, परंतु पिंजौर, सकेतड़ी एवं कालका क्षेत्र में पुरातत्ववेताओं की खोज से यहा जो प्राचीन चीजें मिली हैं, जो पाषाण युग से संबंधित हैं। उनसे यह सिद्घ होता है कि आदिकाल में भी इस क्षेत्र में मानव का निवास था और वे देवी-देवताओं की पूजा करते थे, जिससे यह मान्यता दृढ़ होती है कि उस समय इस स्थान पर माता मनसा देवी मंदिर विद्यमान था। मंदिर के पुजारी सुदर्शन ने बताया कि यहां आने वाले भक्तों की हर मांग मां पूरी करती है। जिला प्रशासन पंचकूला द्वारा 18 से 25 मार्च तक लगने वाले चैत्र नवरात्र मेले में श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुवधिा न हो, इसके लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.