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हुड्डा कर रहे दिल्ली में समर्थकों संग बैठक, हरियाणा कांग्रेस की लड़ाई में दबाव की रणनीति

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने समर्थकों के साथ नई दिल्ली में बैठक कर रहे हैं। बैठक में हिस्सा लेने के लिए सुबह से ही हुड्डा समर्थक पहुंचने शुरू हो गए थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 01:35 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 01:37 PM (IST)
हुड्डा कर रहे दिल्ली में समर्थकों संग बैठक, हरियाणा कांग्रेस की लड़ाई में दबाव की रणनीति
हुड्डा कर रहे दिल्ली में समर्थकों संग बैठक, हरियाणा कांग्रेस की लड़ाई में दबाव की रणनीति

जेएनएन, नई दिल्ली/चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी दस सीटों पर कांग्रेस की हार के बाद नई दिल्ली में पार्टी नेताओं के बीच हुई तकरार से अलग पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने समर्थकों के साथ बैठक कर रहे हैं। बैठक में हिस्सा लेने के लिए सुबह से ही हुड्डा समर्थक पहुंचने शुरू हो गए थे।

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हुड्डा ने यह बैठक विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक रणनीति तैयार करने के लिए बुलाई है। बैठक में हिस्सा लेने के लिए राज्यभर से हुड्डा समर्थक पहुंचे हैं। आज की यह बैठक हरियाणा कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। 

बता दें, हरियाणा कांग्रेस में नेताओं के बीच गुटबाजी चरम पर है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक विधायक मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष डा. अशोक तंवर को हटाने के लिए हाईकमान पर दबाव बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस के 17 विधायकों में से 13 तंवर को हटाने के हक में हैं। यह सभी विधायक हुड्डा खेमे के हैं। हुड्डा समर्थक इस बैठक में कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।

बैठक को हालांकि लोकसभा चुनाव में हुई हार की समीक्षा करने और विधानसभा चुनाव की तैयारी के रूप में पेश किया जा रहा है। मगर हुड्डा समर्थक विधायक अशोक तंवर के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित करने के साथ ही सर्वसम्मति से उन्हें पद से हटाने की मांग कर सकते हैं। हुड्डा समर्थक विधायकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में संगठन की कमी के कारण पार्टी की हार हुई है। इसका ठीकरा अशोक तंवर के सिर फोड़ा जा रहा है। तंवर के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव इसलिए लाया जा सकता है, क्योंकि उन पर आरोप है कि उन्होंने नई दिल्ली में कांग्रेस की बैठक के बाद राई से विधायक जयतीर्थ दहिया को गालियां दी हैं। 

हुड्डा समर्थकों की घेराबंदी में फंसे अशोक तंवर ने अपने पद से इस्तीफा देने के बजाय यहां तक कह दिया कि उन्हें गोली मार दो, लेकिन हुड्डा समर्थक तंवर के इस बयान को इमोशनल ड्रामा करार दे रहे हैं। उनकी दलील है कि तंवर के ऐसा कहने से संगठन का भला नहीं होने वाला है, क्योंकि पिछले साढ़े चार साल में तंवर न तो जिला अध्यक्षों की घोषणा कर पाए और न ही ब्लाक प्रधान नियुक्त कर सके। विधायकों को पार्टी कार्यक्रमों की सूचना तक नहीं दी जाती। हुड्डा समर्थक कुछ नेता कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी से भी खुश नहीं हैं। हालांकि किरण को कई मौकों पर हुड्डा के खेमे में खड़ा देखा गया है, लेकिन उन पर तंवर खेमे की छाप लगी हुई है।

हुड्डा समर्थक विधायक तंवर के विरुद्ध राई से एमएलए जयतीर्थ दहिया की उस शिकायत को ढाल बना रहे हैं, जो उन्होंने शुक्रवार को राहुल गांधी को भेजी है। राहुल गांधी को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की नई दिल्ली में हुई बैठक के बाद अशोक तंवर ने उन्हें गालियां दी। जब वह उन्हें पकडऩे के लिए दौड़े तो तंवर गाड़ी भगा ले गए। दहिया ने अपनी शिकायत में पुराना कांग्रेसी होने का दावा करते हुए सवाल पूछा है कि अब उन्हें क्या करना चाहिए। वे कांग्रेस में रहें अथवा पार्टी से किनारा कर लें।

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