स्कूल भवन जरूर बनाएं, पर न दें पेड़ों का बलिदान
प्रदूषण से राहत दिलाने का सबसे सुलभ व सरल उपाय है कि बड़ी संख्या में पेड़ लगाए जाएं।
संजय मग्गू, पलवल
प्रदूषण से राहत दिलाने का सबसे सुलभ व सरल उपाय है कि बड़ी संख्या में पेड़ लगाए जाएं। इसके लिए सरकारें बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान भी चलाती हैं, तथा सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग भी इसमें भागीदारी करते हैं। लेकिन इस सबके बीच कई बार पेड़ों को काट कर कंकरीट के भवन भी तैयार किए जाते हैं। जवाहर नगर कैंप में भी राजकीय उच्च विद्यालय के करीब तीन करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले दो मंजिला भवन के लिए दो दर्जन से अधिक हरे पेड़ों की बलि देने की तैयारी है।
जवाहर नगर कैंप के राजकीय उच्च विद्यालय का भवन पलवल की पुरानी इमारतों में शामिल है। स्कूल का नया भवन बन रहा है, इसकी जितनी लोगों में खुशी है उतनी ही पेड़ों को काटे जाने को लेकर निराशा। स्थानीय निवासी व पर्यावरण प्रेमी कहते हैं कि पंचकूला में बैठे नक्शानवीस बिना जमीनी हकीकत को जाने पेड़ काटने पर आमदा हैं। बड़े-बड़े दर्जनों पेड़ों से विद्यालय में अभी तक छाया रहती थी तथा बच्चों के लिए खेलने के लिए खेल का मैदान भी, परंतु नई व्यवस्था से इन दोनों का ही अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इस प्रकार से बचाए जा सकते हैं पेड़ :
विद्यालय के पीछे की तरफ कैंप को दो भागों में बांटने वाली 20 फुट चौड़ी मुख्य सड़क है तथा करीब इतनी ही चौड़ी सड़क सामने की तरफ भी है। विद्यालय के पूर्व व पश्चिम में भी दोनों तरफ में चौड़ी सड़कें हैं, लेकिन विभाग द्वारा स्वीकृत नक्शे में भवन के पीछे 18 फुट जगह छोड़ने का प्रावधान किया गया है। क्योंकि उसके साथ बहुत चौड़ी सड़क लगती है और इस विद्यालय के चारों तरफ सड़क होने के कारण कहीं भी आवागमन की कोई समस्या नहीं है, ऐसे में पेड़ों को बचाने के लिए भवन की बाउंड्री वाल को कम दूरी पर बना कर पेड़ों को बचाया जा सकता है। विद्यालय के पीछे 18 फुट चौड़ी पट्टी छोड़कर जो बिल्डिग बनाने का नक्शा भेजा है, वह समझ से परे है। अगर पीछे भवन व बाउंड्री वाल में 18 फुट की पट्टी के बजाय छह फुट की कर दी जाए तो पेड़ भी बचे रहेंगे तथा छोटा सा खेल का मैदान भी रह जाएगा।
- महेंद्र चौहान, पर्यावरण प्रेमी व संयोजक सरकारी शिक्षा बचाओ अभियान हरा-भरा पलवल समय की जरूरत है तथा प्रदूषण से राहत दिलाने में सबसे सरल व सुलभ व्यवस्था भी। अच्छी बात है कि स्कूल का नया भवन बन रहा है, लेकिन किसी भी तरह से पेड़ों को बचाने का प्रयास होना चाहिए।
- मनोज छाबड़ा, संयोजक करुणामयी सोसायटी स्कूल का भवन जर्जर हो चुका था, तो इसके दो मंजिला भवन के लिए सिफारिश की गई थी। भवन बनाने के लिए टेंडर पंचकूला से होते हैं। मेरी जानकारी में पेड़ काटने के लिए वन विभाग से अनुमति ली गई है। हमारा प्रयास रहेगा कि काटे जाने वाले पेड़ों के बदले में और पेड़ लगाए जाएं।
- अशोक बघेल, जिला शिक्षा अधिकारी मेरे कार्यकाल में सभी राजकीय स्कूलों में हवादार व फलदार पेड़ लगाए गए हैं। जिस स्कूल के बारे में बताया जा रहा है वह मेरी जानकारी में नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा जाएगा कि कोई रास्ता निकाला जाए ताकि पेड़ बचे रहें।
- नरेश नरवाल, जिला उपायुक्त