पशुओं में टीकाकरण का दूसरा चरण सात से
पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा सात दिसंबर से पशुओं में दूसरे चरण का मुंहखुर व गलघोटू (एफएमडी एवं एचएस) का संयुक्त टीकाकरण किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, पलवल : पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा सात दिसंबर से पशुओं में दूसरे चरण का मुंहखुर व गलघोटू (एफएमडी एवं एचएस) का संयुक्त टीकाकरण किया जाएगा। इसके लिए विभाग की ओर से टीकाकरण हेतू 23 टीमों का गठन किया गया है, जो घर-घर जाकर पशुओं का टीकाकरण करेंगी। जिला उपायुक्त नरेश नरवाल के अनुसार निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक टीम का नेतृत्व क्षेत्र के पशु चिकित्सक करेंगे तथा उपमंडल अधिकारी पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सभी टीमों का निरीक्षण करेंगे। इस अभियान के तहत टीमें पशुपालक के घर, गली व मोहल्ले तक पहुंचकर टीकाकरण करेंगे।
पशुपालन उपनिदेशक डा. नरेंद्र कुमार ने बताया कि टीकाकरण के प्रथम चरण में जिले के लगभग सवा दो लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है, जिसमें पशुपालकों का सहयोग सराहनीय रहा। उन्होंने पशुपालकों से आह्वान किया है कि वे अपने सभी पशुओं को यह टीका अवश्य लगवाएं तथा पशुओं को इन बीमारियों से बचाएं। इस अभियान की सफलता हेतू प्रयास होगा कि एक भी पशु छूटे न, सुरक्षा चक्र टूटे न।
उपनिदेशक ने बताया कि कई पशुपालकों में यह भ्रम है कि टीकाकरण से दूध घटता है या गर्भपात होता है। जबकि यह बात वैज्ञानिक दृष्टीकोण से सही नहीं है। कई बार पशु को बुखार की शिकायत हो सकती है या टीके वाली जगह पर गांठ बन सकती है। टीकाकरण के समय तुरन्त टीके वाले स्थान पर मालिश कर देनी चाहिए ताकि गांठ न बने। यह है मुहंखुर व गलघोटू रोग :
मुंगखुर एक विषाणु जनित बीमारी है। इस बीमारी में पशु के मुंह में छाले व पैरों में घाव हो जाते है तथा तेज बुखार आता है। पशु दूध देना बंद कर देता है व पूर्ण रूप से नकारा व कमजोर हो जाता है। गलघोटू बैक्टिरीया जनित बीमारी है। इससे पशु को तेज बुखार आता है। गले में सूजन आती है तथा पशु को सांस लेने में दिक्कत आती है। इसमें 90 प्रतिशत पशुओं की मृत्यु हो जाती है। इन दोनो ही बीमारियों में पशुपालक को नुकसान झेलना पडता है। क्योंकि या तो बीमारी से ग्रसित पशु की मृत्यु हो जाती है या पशु दूध देना बंद कर देता है।