कीटों की रोकथाम कर बढ़ाएं गन्ने की पैदावार
गन्ने की फसल को नकदी फसल की रूप में जाना जाता है तथा जिले में करीब 7500 हेक्टेयर में गन्ने की फसल बोई जाती है। ग्रीष्म (गर्मी के मौसम) से वर्षा ऋतु तक गन्ना फसल में अनेक प्रकार के कीट गन्ने की फसल कीट हानि पहुंचाते हैं।
जागरण संवाददाता, पलवल : गन्ने की फसल को नकदी फसल की रूप में जाना जाता है तथा जिले में करीब 7500 हेक्टेयर में गन्ने की फसल बोई जाती है। ग्रीष्म (गर्मी के मौसम) से वर्षा ऋतु तक गन्ना फसल में अनेक प्रकार के कीट गन्ने की फसल कीट हानि पहुंचाते हैं। इन कीड़ों में मुख्य रूप से दीमक, जड़वेदक कीट, चोटी बेधककीट, कालीकिरी तथा टिड्डा मुख्य कीट है। इन कीटों की समय पर रोकथाम कर पैदावार यानि उपज को 50 फीसद तक बढ़ाया जा सकता है। यह कहना है कि कृषि विशेषज्ञ डॉ. महावीर सिंह मलिक का जो कि गन्ना किसानों के बीच जाकर उन्हें गन्ने की फसल की बोआई तथा उसकी अधिक उपज के बारे में प्रशिक्षित कर रहे हैं।
डॉ. मलिक के अनुसार गन्ने की फसल को गर्मी में जमाव या फूटाव की अवस्था में हानिकारक कीटों की रोकथाम करना बहुत ही जरूरी है। गरम व खुश्क मौसम में दीमक फसल को भारी नुकसान करती है। बिजाई के बाद दीमक बीज की आंखों में सिरो को खराब कर देती है तथा प्रभावित पौधे सूख जाते हैं। जून तक कंसुआ कीट गन्ने की फसल को काफी नुकसान करता है तथा पछेती बोई गई फसल में यह कीट ज्यादा लगता है। प्रभावित पौधों की बोब सुख जाती है तथा शराब जैसी गंध आती है। जड़ बेधक कीट वर्षा ऋतु से पहले और बाद में भी नुकसान पहुंचाता है। यह कीट जड़ के ऊपर के भाग में सुरंग बनाते हुए तंतु खाकर पौधों को सिखा देता है।
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इस प्रकार करें कीटों से बचाव :
सभी प्रकार के कीटों की रोकथाम के लिए बिजाई के समय ढाई लीटर क्लोरो पायरी फोर्स दवाई 600 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करने से सभी कीटों की रोकथाम हो जाती है। बिजाई के समय रीजेंट डालकर भी इन कीड़ों को नियंत्रित किया जा सकता है। मई-जून के महीनों में 10 दिन के अंतर पर जल्दी-जल्दी सिचाई करने से भी इन कीड़ों से बचाव हो जाता है। खड़ी फसल में कि यह कीड़े लगे हों तो क्लोरो पायरी फोर्स दो लीटर दवाई पानी के साथ लगानी चाहिए। चोटी बेधक कीट की रोकथाम के लिए 150 मिलीलीटर कोरोजन 20 दवा या राई नक्सिपायार को 400 लीटर पानी में फसल के जड़ क्षेत्र पर डालकर हल्की सिचाई कर देनी चाहिए, इससे चोटी बेधक के साथ-साथ कनसुवा कीडा भी नियंत्रित हो जाता है। जून के आखिर में यदि इस कीट का प्रकोप 15 फीसद से ज्यादा हो तो 13 किलो फुराड़न दवा खेत में डालकर सिचाई कर देनी चाहिए। काली कीड़ी कीट का प्रकोप गन्ने की मौड़ी फसल में ज्यादा होता है कीट के प्रोड व शिशु गोभ में रस चूस कर फसल को पीला बनाकर सुखा देते हैं। वर्षा ऋतु में यह कीट अपने आप ही मर जाता है। कीट रोकथाम के लिए 160 मिलीलीटर डाई क्लोरो वास 20 ईसी को 400 लीटर पानी में 10 किलो यूरिया के साथ घोलकर पैरों से चलने वाले पंप से गोभ में अच्छे तरीके से छिड़काव करने पर कीट मर जाएगा। पाईरिला जिसे अल या तितिरी भी कहते हैं की रोकथाम के लिए परजीवी खेत में छोड़ें यदि परजीवी न हो तो 400 मिलीलीटर मेलाथेयान 50 इसी दवा का 400 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें इससे टिड्डा कीट भी मर जाएगा।