मलबे के बीच खुले आसमान के नीचे छात्र करते हैं पढ़ाई
आरोही मॉडल स्कूलों के अलावा जिले के एकमात्र अंग्रेजी माध्यम राजकीय मॉडल संस्कृतिक स्कूल धतीर में सुविधाओं का टोटा है। भवन जर्जर होने के कारण विभाग ने करीब दो माह पहले ही तुड़वा दिया था, परंतु न तो नए भवन का निर्माण कराया गया और न ही पुराने तोड़े गए भवन के मलबे को हटाया गया। अब पिछले करीब तीन माह से बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को विवश हैं। अब सर्दियां आने को हैं, ऐसे में छात्रों को काफी परेशानी उठानी पड़ेगी।
- आरोही मॉडल स्कूलों के अलावा एकमात्र अंग्रेजी माध्यम स्कूल है जिले का
सुरेंद्र चौहान, पलवल
आरोही मॉडल स्कूलों के अलावा जिले के एकमात्र अंग्रेजी माध्यम राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल धतीर में सुविधाओं का टोटा है। भवन जर्जर होने के कारण विभाग ने करीब दो माह पहले ही तुड़वा दिया था, परंतु न तो नए भवन का निर्माण कराया गया और न ही पुराने तोड़े गए भवन के मलबे को हटाया गया। करीब तीन माह से बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को विवश हैं। अब सर्दियां आने को हैं, ऐसे में छात्रों को काफी परेशानी उठानी पड़ेगी।
जिले में गदपुरी, रामगढ़, लाडियाका व आली ब्राह्मण में आरोही मॉडल स्कूल स्थापित हैं। इन स्कूलों में निजी स्कूलों की तर्ज पर पढ़ाई होती है। इसके अलावा दूसरे सरकारी स्कूलों में केवल धतीर के संस्कृति मॉडल स्कूल में पहली कक्षा से ही अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होती है। स्कूल में करीब 1100 छात्र पढ़ते हैं।
स्कूल का भवन बहुत पुराना था और लोक निर्माण विभाग ने भवन को कंडम घोषित कर दिया था। करीब तीन माह पूर्व बारिश की मौसम को देखते हुए विभाग ने भवन को तुड़वा दिया था। तब से स्कूल के मैदान में पुराने भवन सरिया, मलबा व अन्य सामान फैला पड़ा है। विभाग ने तब से मलबे को उठाने के लिए नीलामी भी नहीं की है।
बाद में प्राथमिक विद्यालय से वैकल्पिक रूप से पांच कमरों को इंतजाम हो पाया। अब बच्चे बरामदे व मैदान में बैठकर पढ़ाई करते हैं। मैदान में फैले मलबे से बच्चों के चोटिल होने का भी भय बना रहता है। यही नहीं शौचालय व पीने के पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। उधर जिला शिक्षा अधिकारी सुमन नैन से मामले की पूरी जानकारी होने से अनभिज्ञता जताई है। कंडम भवन के टूटने के बाद मैंने जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय में सूचना देने के अलावा अधिकारियों को मौका निरीक्षण भी करवा दिया है और मुझे ज्ञात हुआ है कि विभाग द्वारा इस्टीमेट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया है। प्रयास किया जा रहा है कि जल्दी से जल्दी मलबे की नीलामी हो और नए भवन के निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरू हो सके।
- महेंद्र रावत, प्रधानाचार्य, राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल धतीर