फसलों के लिए फायदे का सौदा बनकर आई बारिश
रविवार और सोमवार को हुई झमाझम बारिश ने किसानों के चेहरे खिल उठे। इससे खेतों में खड़ी कपास धान बाजरा मक्का ग्वार तिल गन्ना ज्वार मूंग उड़द अरहर तथा सब्जी आदि फसलों को काफी लाभ पहुंचा है।
जागरण संवाददाता, पलवल: जिले में अभी तक मानसून की अच्छी बारिश ना होने से बाजरा, मक्का, ग्वार, तिल, मूंग, उड़द आदि की बिजाई पिछड़ती जा रही थी। वैसे तो 13 जुलाई को मानसून दिल्ली एनसीआर में दस्तक दे चुका था, लेकिन पलवल क्षेत्र में अच्छी बारिश ना होने से किसान मायूस होने लगे थे। ज्यादातर रजवाहों में पानी ना आने से धान की रोपाई में भी परेशानी आ रही थी। ज्वार आदि चारा फसलें मुरझाने लगी थीं।
ऐसे में रविवार और सोमवार को हुई झमाझम बारिश ने किसानों के चेहरे खिल उठे। इससे खेतों में खड़ी कपास, धान, बाजरा, मक्का, ग्वार, तिल, गन्ना, ज्वार, मूंग, उड़द, अरहर तथा सब्जी आदि फसलों को काफी लाभ पहुंचा है।
जिले की मुख्य फसलों में कपास साढ़े 23 हजार हेक्टेयर और धान की फसल 12 हजार हेक्टेयर में उगाई जा रही है। गन्ने को साढ़े छह हजार हेक्टेयर में उगाया जा रहा है। बाजरे की फसल साढ़े सात हजार हेक्टयर के आसपास उगाई जा रही है। वहीं, मूंग ढाई सौ हेक्टेयर में उगाई जा रही है।
जिले के कई इलाकों में सिचाई के कम साधन होने और कई इलाकों में पानी खारा होने के कारण अच्छी बारिश फसलों को संजीवनी देने का काम करती है। फसलों में लगे कई तरह के रोग भी बारिश से कम होते हैं। इस बार बारिश अधिक होने से ट्यूबवेल बंद रहने तथा तालाबों में पानी भरने से भूमिगत जल स्तर भी सुधरेगा। कहां कितनी हुई बारिश
पलवल - 167 एमएम
हथीन- 122 एमएम
होडल - 76 एमएम
हसनपुर - 64 एमएम सोमवार को जिले में अच्छी बारिश हुई है। इससे किसानों की फसलों को फायदा हुआ है। बारिश होने से भूमिगत जलस्तर भी सुधरेगा।
- कुलदीप तेवतिया, अधिकारी, कृषि विभाग वर्जन - बारिश से किसानों को काफी फायदा पहुंचाया है। कपास और ग्वार फसल में भी पानी निकासी का उचित प्रबंध करें। अच्छी वर्षा से कई तरह के कीट भी मर जाएंगे।
- महावीर मलिक, कृषि विशेषज्ञ पिछले दिनों हुई बारिश ने हमारी फसलों को काफी फायदा पहुंचाया है। धान की फसल को इस बारिश से बहुत फायदा होगा। आने वाले दिनों में हमे और बारिश की उम्मीद है।
- धर्म डागर, किसान, गांव मंडकोला आने वाले दिनों यदि और बारिश होती है तो हमें सिचाई के लिए पानी की जरूरत नहीं होगी और हमारी फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
- धर्मेन्द्र सिंह, निवासी, गांव किशोरपुर