ऑनलाइन प्रतियोगिता ने मिटाई सरहदों की दूरी
लॉकडाउन में स्कूल कॉलेजों की ओर से कराई जा रही ऑनलाइन प्रतियोगताओं ने छात्रों को देश विदेश के छात्रों से प्रतिस्पर्धा करने के साथ उनकी शिक्षा व संस्कृति को जानने का मौका मिल रहा है।
विनोद शर्मा, पलवल
लॉकडाउन में स्कूल कॉलेजों की ओर से कराई जा रही ऑनलाइन प्रतियोगिताओं ने छात्रों को देश-विदेश के छात्रों से प्रतिस्पर्धा करने के साथ उनकी शिक्षा व संस्कृति को जानने का मौका मिल रहा है। इससे उनका ज्ञान तो बढ़ ही रहा है, सरहदों की दूरी भी मिट रही है।
पहले जहां शिक्षण संस्थानों में सीमित छात्रों को साल में तीन चार बार प्रदेशस्तरीय व एक दो बार ही राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिलता था।
अब देश के साथ विदेशों में बसे छात्रों, साहित्यकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच अनूठा सांस्कृतिक सेतु तैयार हो रहा है। इसका बीड़ा निजी के साथ सरकारी कॉलेज भी उठा रहे हैं। इसके लिए बाकायदा अत्याधुनिक तकनीक के पंखों का सहारा लिया जा रहा है। शिक्षण संस्थानों की ओर से अलग-अलग विग बनाई गई हैं, जिनमें देश के तकरीबन सभी राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। इसके अलावा विदेश में भी छात्र व शिक्षाविद इससे जुड़ रहे हैं। बाकायदा कैलेंडर बनाकर गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।
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इस अनूठी मुहिम के तहत लॉकडाउन के दौरान वेबिनार, लाइव कांफ्रेंस, जूम मीटिग व ऑनलाइन टॉक जैसी गतिविधियों की श्रृंखला की शरुआत हुई है। इन सभी ऑनलाइन गतिविधियों में अलग अलग क्षेत्रों के जाने माने शिक्षाविद बतौर स्पीकर व लीडर शामिल हो रहे हैं।
- आकांक्षा कथूरिया, शिक्षिका
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ऑनलाइल प्रतियोगिताओं के दौरान अनेक विषयों पर पेंटिग, निबंध, भाषण, पावर प्लाइंट जैसी प्रतियोगिताएं होती हैं, जिनमें बांग्लादेश, मारीशस, श्रीलंका, नेपाल से लेकर कनाडा, अमेरिका और रूस समेत कई देशों के छात्र भी भाग लेते हैं। इससे छात्रों की रूचि पढ़ाई में बढ़ी है, वे पढ़ाई के साथ साथ प्रतिस्पर्धा में भी रूचिपूर्वक भाग ले रहे हैं।
- रूचि शर्मा, प्राध्यापिका
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हमें ऑनलाइन प्रतियोगिताओं से प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होने के साथ साथ दूसरे संस्थानों के विद्यार्थियों के अनुभवों को सांझा करने का अवसर मिलता है। प्रतियोगिता में जब विजेता के रूप में नाम आता है तो खुशी होने के साथ साथ आत्मविश्वास भी बढ़ता है। ऑनलाइन प्रतियोगिताएं अपने आप में अनूठी शुरआत है।
- संजू तेवतिया, छात्रा
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लॉकडाउन में चलाई गई इस मुहिम के जरिए मौजूदा हालात का बेहतरीन रचनात्मक सदुपयोग करते हुए दुनियाभर के अनुभवी छात्रों को एक मंच पर लाया जा रहा है। ताकि तनावमुक्ति के साथ साथ सांस्कृतिक, साहित्यिक और सामाजिक विषयों पर आदान प्रदान की अनवरत प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में कारगर मदद मिल सके।
- बाबूलाल शर्मा, प्राचार्य राजकीय आंबेडकर कॉलेज