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फसलों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण पहचान कर करें आपूर्ति

फास्फोरस कमी से फसल में पत्तियों का रंग बैंगनी या गहरा हरा हो जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 05:33 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 05:33 PM (IST)
फसलों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण पहचान कर करें आपूर्ति
फसलों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण पहचान कर करें आपूर्ति

संवाद सहयोगी, पलवल : फसलों की अच्छी पैदावार के लिए 17 आवश्यक पोषक तत्व चाहिए। इसमें एक भी पोषक तत्व की कमी से फसल उत्पादन प्रभावित हो जाता है। पोषक तत्वों की कमी आने पर पौधों पर इसकी कमी के लक्षण साफ दिखाई देने लगते हैं।

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कृषि विशेषज्ञ डॉ. महावीर मलिक ने बताया कि नाइट्रोजन की कमी से पुरानी पत्तियां पहले फीकी पड़ती हैं, नई पत्तियां हरी बनी रहती हैं। पत्तियां छोटे आकार की तथा पत्तियों के बीच बीच में श्वेत धब्बे पड़ सकते हैं। पत्तियों का रंग पहले हल्का हरा तथा बाद में पीला दिखाई पड़ने लगता है। फास्फोरस कमी से फसल में पत्तियों का रंग बैंगनी या गहरा हरा हो जाता है। पुरानी पत्तियां पीली तथा बाद में लाल भूरी पड़ जाती हैं। पौधों में बढ़वार कम, पौधे बोने, पतले होते हैं। जड़ों का विकास कम तथा फसल देर से आती है।

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मैग्नीशियम : पौधे पीले पड़ जाते हैं, पीलेपन शिराओं के बीच वाले भाग पर अधिक दिखाई पड़ता है। अधिक कमी होने पर पत्तियों का रंग लाल भूरा हो जाता है। मैग्नीशियम की कमी को मैग्निशियम सल्फेट 17.5 फीसद या पोटेशियम कैल्शियम सल्फेट 11 फीसद का प्रयोग करके पूरा कर सकते हैं।

गंधक कमी के लक्षण व पूर्ति : पत्तियों का रंग हल्का हरा हो जाता है, पत्तियों के किनारे ऊपर की ओर मुड़ जाते हैं। तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा में कमी तथा प्याज व लहसुन आदि मूल कंद का विकास रुक जाता है। इसकी पूर्ति के लिए सुपर फास्फेट 12 फीसद सल्फर तथा जिप्सम आदि तथा अमोनियम सल्फेट 24 फीसद का प्रयोग किया जा सकता है।

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लोहा : इसकी कमी से पौधों में पीलिया रोग हो जाता है। पत्तियों का रंग पीला व सफेद हो जाता है। गन्ना धान आदि फसलों में कमी के लक्षण दूर से पहचाने जा सकते हैं। पौधों का आकार छोटा रह जाता है। इसकी कमी को फेरस सल्फेट का छिड़काव करके दूर किया जा सकता है

जिक : पीले रंग के छोटे छोटे धब्बे पत्तियों के मध्य में बनते हैं। बाद में धब्बे बड़े होकर पत्तियों को सुखा देते हैं। पत्तियों की नौक बनी रहती है। पत्तियां बीच से मुड़ जाती हैं। अधिक नमी में बीच से टूट जाती है। गेहूं में लक्षण नीचे से तीसरी चौथी पत्ती पर प्रकट होते हैं। धान की पत्तियां जंग लगी सी हो जाती हैं। इसकी कमी को जिक सल्फेट भूमि पर डालकर या छिड़काव द्वारा पूरा किया जा सकता है।


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