स्वचछता रैंकिग में धड़ाम गिरा पलवल
स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 ने भी शहर को निराश कर दिया। देश भर के 425 शहरों में हुए स्वच्छ सर्वेक्षण में पलवल को 283 वां स्थान मिला तो प्रदेश में नीचे से ऊपर की तरफ दूसरे पायदान पर रहा यानि कि नीचे से सेकेंड। इस वर्ष मिली रैंकिग पिछले वर्ष की अपेक्षा 37 अंक और नीचे गिर कर प्राप्त हुई।
संजय मग्गू, पलवल
स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 ने भी शहर को निराश कर दिया। देश भर के 425 शहरों में हुए स्वच्छ सर्वेक्षण में पलवल को 283 वां स्थान मिला तो प्रदेश में नीचे से ऊपर की तरफ दूसरे पायदान पर रहा यानि कि नीचे से सेकेंड। इस वर्ष मिली रैंकिग पिछले वर्ष की अपेक्षा 37 अंक और नीचे गिर कर प्राप्त हुई। पिछले वर्ष के सर्वेक्षण में शहर को 246वां स्थान मिला था तथा यमुनानगर, पानीपत, जींद, सिरसा, रेवाड़ी पलवल से पीछे रहे थे, लेकिन अबकी बार ये सभी शहर पलवल को धकेलते हुए आगे निकल गए। स्वच्छता सर्वेक्षण ने जहां शहरवासियों की उम्मीदों को धक्का पहुंचाया है वहीं दैनिक जागरण के स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान जताई गई आशंका पर भी मोहर लगा दी है। यदि उस समय संबंधित अधिकारी कुछ संज्ञान ले लेते तो शायद यह स्थिति न रहती।
पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद स्वच्छता को मिशन बनाया था। स्वच्छता स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बन जाए तथा हर शहर खुद को साफ दिखने की दिशा में खुद को आगे रखने का प्रयास करे, इसके लिए वर्ष 2014 से ही स्वच्छ सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया था। पलवल क्योंकि एनसीआर का तेजी से उभरता हुआ ग्रामीण बाहुल्य जिला है, तो इसे पहले सर्वेक्षण से ही शामिल किया गया था। पहले दो वर्ष तो जिला 384 व 400 व 328वीं रैंक पर रहा, लेकिन वर्ष 2018 में कुछ सुधार करते हुए 246वीं रैंक मिली थी। इस वर्ष के स्वच्छ सर्वेक्षण शुरू होने के साथ ही सात दिन की श्रृंखला चलाकर जागरण ने अधिकारियों को जगाने का प्रयास किया था, ताकि शहर की रैंकिग कुछ सुधर जाए लेकिन परिषद को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझने की सोच रखने वाले लोगों ने जिले के उच्चाधिकारियों को वस्तुस्थिति से दूर ही रखा।
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स्वच्छता सर्वेक्षण से हमे उम्मीद थी कि अबकि बार शहर पिछली सर्वेक्षण से अधिक अंक बटोरेगा। ताजा परिणाम वाकई शोचनीय है। संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर समीक्षा की जाएगी। मैं खुद शहर के अलग-अलग स्थानों का निरीक्षण करूंगा। जहां जरूरत महसूस की जाएगी बड़े स्तर पर भी अभियान चलो जाएंगे। शहर की सफाई व्यवस्था में जो बाधक मिलेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
- डॉ. मनीराम शर्मा, जिला उपायुक्त
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जो परिणाम आया है उसका पहले से ही अनुमान था। शहर को इस स्थिति तक पहुंचाने में सीधे-सीधे नगर परिषद ही जिम्मेदार है। नगर परिषद में भ्रष्टाचार जड़ों तक समा चुका है, जिसके चलते व्यवस्था ठीक होने का नाम ले रही है। नगर परिषद की कार्यशैली से आमजन तो पार्षद भी नाखुश हैं, जिसका सीधा-सीधा उदाहरण है कि परिषद की बजट बैठक में 14 पार्षद गैर हाजिर रहे।
- दीपक मित्तल, सामाजिक कार्यकर्ता
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जो परिणाम आया है उसके लिए प्रशासन व शहर के नागरिक बराबर जिम्मेदार हैं। यह तो तय है कि नगर परिषद से शहर की सफाई व्यवस्था ठीक हो जाने की उम्मीद ही करना बेमानी है। लेकिन साथ ही साथ यह भी है कि जब तक शहर का हर आदमी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगा तब तक भी स्वच्छता के मामले में शहर को उचित स्थान दिलाने का ख्वाब अधूरा ही रहेगा।
- नमिता तायल, संयोजक क्लीन एंड स्मार्ट पलवल
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सही मायने में कहा जाए कि इस दिशा ठोस प्रयास ही नहीं किए गए कि शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण में ठीक-ठाक रैंकिग मिल जाए। चाहे वो सार्वजनिक शौचालय की स्थिति हो या फिर शहर को पॉलीथिन मुक्त करने की बात, कभी ठोस प्रयास हुए ही नहीं। मैं तो कहूंगा कि स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर राजनीति की भेंट चढ़ गया तथा न तो नागरिकों व न ही अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया।
- मनोज छाबड़ा, संयोजक करुणामयी संस्था